अरुण तिवारी. Bhopal. बीजेपी ने मिशन 2023 फतह करने के लिए टिकट पर मंथन शुरू कर दिया है। हाल ही में बीजेपी दफ्तर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा के साथ राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश की मैथराथन बैठक हुई। इस बैठक में अगले विधानसभा चुनाव को लेकर ही मंथन किया गया। बैठक में सबसे ज्यादा इस बात पर चर्चा हुई कि टिकट का आधार परफॉर्मेंस और जीत का आधार होना चाहिए, चर्चा में ये बात भी आई कि सिंधिया फैक्टर को कैसे नजरअंदाज किया जाएगा। पार्टी नेता चाहते हैं कि बीजेपी टिकट देते समय अपनी मूल विचारधारा जीत को ही आधार रखे। इस बात पर बैठक में मौजूद सभी नेताओं ने हां में हां मिलाई लेकिन कमजोर प्रदर्शन वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों को टिकट देने से कैसे मना किया जाएगा।
परफॉर्मेंस को आधार बताने लगी पार्टी
प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की सहायता से सरकार बनाने वाली बीजेपी ने उपचुनाव में सिंधिया समर्थकों को थोक में टिकट दिए। उस वक्त टिकट का सिर्फ एक आधार था सिंधिया फैक्टर। लेकिन अब मामला दूसरा है। पार्टी को इस चुनाव में अंदरूनी कलह से निपटकर टिकट बांटना है। पार्टी अपने विधायकों का परफॉर्मेंस ऑडिट करा रही है। इसी परफॉर्मेंस को लेकर पार्टी के दिग्गजों की बैठक में विस्तार से चर्चा हुई। पार्टी ने अब ये आंकलन शुरू कर दिया है कि परफॉर्मेंस पर टिकट को आधार बनाया तो इसकी प्रतिक्रिया क्या होगी। पार्टी ये कहने लगी है कि उसका फैक्टर सिर्फ जीत का आधार है। पार्टी अपने मूल विचार से कोई समझौता नहीं करेगी।
सिंधिया से ही पूछा जाएगा दूसरा विकल्प
सिंधिया समर्थक की परफॉर्मेंस खराब होने पर पार्टी सिंधिया से ही दूसरा विकल्प पूछेगी। यानी यदि सिंधिया के पाले के विधायक की टिकट कटने की नौबत आएगी तो दूसरा नाम भी सिंधिया ही सुझाएंगे। पार्टी ये तरीका इसलिए अपना रही है क्योंकि प्रदेश स्तर पर यदि कोई फैसला लिया गया तो उस पर दिल्ली से रोक लग सकती है।
ग्वालियर-चंबल में 34 सीटें
पार्टी इस बात को लेकर भी बात कर रही है कि ग्वालियर-चंबल की 34 सीटों पर सिंधिया की राय के आधार पर टिकट दिए जाएं। बाकी प्रदेश में बीजेपी अपने हिसाब से टिकट बांटे। ग्वालियर-चंबल में 34 सीटें हैं, जिनमें से 2018 में बीजेपी के कब्जे में सिर्फ 8 सीटें थी, जो 2020 के उपचुनाव में बढ़कर 17 हो गईं। यही कारण है कि पार्टी ग्वालियर—चंबल में टिकट की कमान सिंधिया के हाथों में देने का फॉर्मूला बना रही है। यहां पार्टी को नरेंद्र सिंह तोमर, प्रभात झा, जयभान सिंह पवैया जैसे दिग्गजों से भी सामांजस्य बनाए रखने की चुनौती है।
सिंधिया समर्थक 22 विधायकों ने ही छोड़ी पार्टी
2020 में 28 उपचुनाव हुए थे, जिनमें से 22 विधायक सिंधिया समर्थक थे। बाकी वे लोग थे जो कांग्रेस सरकार में मंत्री बनना चाहते थे लेकिन उनकी आस पूरी नहीं हुई। जिनमें ऐदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह और हरदीप सिंह डंग शामिल हैं। इसके बाद प्रद्युम्न सिंह लोधी, नारायण पटेल और सुमित्रा कास्डेकर ने भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। ये विधायक भी सिंधिया समर्थकों में नहीं गिने जाते।
मोदी और कमलनाथ होंगे आमने-सामने
बैठक में इस बात को लेकर भी चर्चा हुई कि अगला चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा। चुनाव में बीजेपी की ओर से कोई सीएम फेस प्रोजेक्ट नहीं किया जाएगा। वहीं कांग्रेस के चेहरे कमलनाथ की ताकत और कमजोरी का आंकलन किया गया। कांग्रेस ने कमलनाथ को ही अपना चेहरा बनाया है।