BHOPAL : अफसरों की भूल, 21 की उम्र में पार्षद तो बनेंगे लेकिन अध्यक्ष नहीं बन पाएंगे

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Rahul Garhwal
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BHOPAL : अफसरों की भूल, 21 की उम्र में पार्षद तो बनेंगे लेकिन अध्यक्ष नहीं बन पाएंगे

BHOPAL. मध्यप्रदेश सरकार नगरीय निकाय चुनाव के नियमों में बड़ा संशोधन करना भूल गई है। इस बार नगर पालिकाओं और परिषदों में अप्रत्यक्ष रूप से अध्यक्ष का चुनाव होना है। पार्षद से ही अध्यक्ष चुने जाएंगे। निर्वाचन नियमों में पार्षद बनने की उम्र 21 साल या इससे ज्यादा है। वहीं पालिका और परिषद अध्यक्ष पद के लिए 25 साल या इससे ज्यादा का होना जरूरी है। 25 साल से कम उम्र के पार्षद अध्यक्ष नहीं बन पाएंगे।



25 मई को अध्यादेश लाई थी सरकार



नगरीय निकाय चुनाव के लिए मध्यप्रदेश सरकार 25 मई को अध्यादेश लेकर आई थी। इसमें महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष और पालिका और परिषद का चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से होना था। पिछले चुनावों में अध्यक्ष भी प्रत्यक्ष रूप से चुने गए थे। निकाय चुनाव के अध्यादेश को लाते वक्त उम्र के मामले में बदलाव नहीं किया गया। सरकार की ये बड़ी भूल बड़ी परेशानी बन सकती है।



अध्यक्ष नहीं बन पाएंगे 25 से कम उम्र के पार्षद



कई जगहों पर पाषदों का चुनाव निर्विरोध किया जा रहा है लेकिन अध्यक्ष के मामले पर पेंच फंस जाएगा। कई पार्षद सिर्फ इसलिए अध्यक्ष नहीं बन पाएंगे क्योंकि उनकी उम्र 25 साल से कम है। 76 नगर पालिका अध्यक्ष और 255 नगर परिषद अध्यक्ष चुने जाने हैं। पंचायत और निकाय चुनावों में सभी चरणों का मतदान 13 जुलाई तक हो जाएगा। 18 जुलाई तक परिणाम आ जाएंगे, इसके बाद अध्यक्ष चुने जाएंगे।



सरकार को फिर से लाना होगा अध्यादेश



मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र 25 जुलाई से शुरू होगा लेकिन नियमों में बदलाव अभी जरूरी है। निकाय चुनाव के लिए मध्यप्रदेश सरकार को अध्यादेश लाना पड़ा था। उम्र में बदलाव करने के लिए मध्यप्रदेश नगर पालिका निर्वाचन नियम 1961 की धारा 34 व 35 में संशोधन करना होगा। विधानसभा सत्र 25 जुलाई से है लेकिन फिलहाल चुनावी प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार को फिर से अध्यादेश लाना पड़ेगा। लिहाजा अभी चुनावी प्रक्रिया को निर्बाध चलाने के लिए सरकार को फिर अध्यादेश लाना पड़ेगा।



मानसून सत्र की तैयारी के दौरान मालूम पड़ी भूल



सूत्रों के मुताबिक विधानसभा के मानसून सत्र की तैयारी के दौरान जब नगर निगम और नगर पालिका निर्वाचन संशोधन अध्यादेश 2022 को सदन में पेश करने की बात आई तब उम्र की व्यवस्था पर ध्यान गया और भूल का पता चला। अब सरकार को नए सिरे से संशोधन प्रक्रिया से गुजरना होगा।


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