BHOPAL. बीजेपी 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए हिंदुत्व के एजेंडे पर आगे बढ़ रही है। मंदिर,गाय,नर्मदा,धर्म जैसे उसके कोर इश्यू हैं जिन पर खासतौर पर फोकस किया जा रहा है। सरकार को अब गायों की चिंता सताई है। खासतौर पर उन गायों की जो बेसहारा हैं। ये बेसहारा गाय कई बार सड़क हादसों की शिकार भी हो रही हैं। गौ संवर्धन बोर्ड ने इन बेसहारा गायों के लिए एक प्लान तैयार किया है। इस प्लान के तहत हेलीपैड की तर्ज पर सड़कों किनारे काउ पैड बनाए जाएंगे। हालांकि गौ सवंर्धन बोर्ड पहले इस प्लान पर काम कर चुका है लेकिन तब इसको गंभीरता से नहीं लिया गया था। लेकिन अब इस प्लान पर काम शुरु हो चुका है। यहां पर सवाल ये है कि क्या गौवंश को देकर फर्श, बीजेपी पा सकेगी राजनीति का अर्श।
गौ संवर्धन बोर्ड का प्लान
इस बार इस प्लान को अमलीजामा पहनाने के लिए पूरी कार्य योजना तैयार की गई है। इसके लिए फंड के इंतजाम के बारे में भी अलग योजना बनाई गई है। गौ संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद ने सभी विधायकों से ये अपील की है कि वे अपनी विधायक निधि से अपने क्षेत्र में इस काउ पैड का निर्माण कराएं। साथ ही वे अपनी नाम पट्टिका इस काउ पैड पर लगवा सकते हैं। इसके पीछे की वजह मानी जा रही है कि विधायक की छवि गाय सेवक के रूप में बनेगी जिसका फायदा उसे चुनाव में मिल सकता है। इसी वजह से बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस विधायक भी काउ पैड बनाने में आगे आ सकते हैं।
सड़क के किनारे बनाए जाएंगे काउ पैड
ये काउ पैड सड़क के किनारे बनाया जाएगा। काउ पैड भी सड़क की तरह लंबा और चौड़ा पक्का फर्श होगा जहां पर गायें बैठ सकेंगी। इससे फायदा ये होगा कि गायें सड़कों पर बैठना बंद कर देंगी। काउ पैड के बगल से तारों की फेंसिंग की जाएगी ताकि गाय सड़क तक न आ पाएं। दरअसल गायों के सड़क पर बैठने के पीछे ये कारण है कि उनको पक्की जगह पर बैठने पर सुकून मिलता है और सड़क पर वाहनों की आवाजाही से उनको गर्माहट महसूस होती है। खास तौर पर बारिश और सर्दी के मौसम में गायें सड़क पर ज्यादा दिखाई देती हैं। काउ पैड इसीलिए तैयार किए जा रहे हैं ताकि गायों को बैठने के लिए पक्का फर्श मिल सके जिससे उनका सड़क पर जाना रुके।
ये है गायों का समीकरण
प्रदेश में करीब पौने दो करोड़ गौवंश है। प्रदेश में निजी और सरकारी मिलाकर 1100 गौशालाएं काम कर रही हैं। सरकारी गौशालाएं मनरेगा के फंड से तो निजी गौशालाएं स्व सहायता समूहों के द्वारा संचालित हो रही हैं। इन गौशालाओं में करीब ढाई लाख गायें हैं। बीस लाख गायें सड़कों पर बेसहारा घूम रही हैं। यही कारण है कि सरकार ने गौ अभ्यारण्य को निजी हाथों में सौंप दिया है ताकि वो इसका बेहतर संचालन कर सके और चुनावी साल में यहां से कोई विवादों की खबरें सुर्खियां न बनें। वहीं दूसरी ओर गौपालकों पर गायों को खुला छोड़ने पर जुर्माना लगाने की तैयारी की जा रही है। सरकार ने इसलिए काउ पैड बनाने की तरफ अपना कदम आगे बढ़ाया है। ताकि उसकी छवि जनता के सामने गौसेवक के रूप में सामने आए।