BHOPAL. धरती का वातावरण तेजी से बदल रहा है। दुनियाभर के वैज्ञानिक कई रिपोर्ट्स में ये बात कह चुके हैं। ऐसी ही एक रिपोर्ट क्लाइमेट रेजिलिएंट ऑब्जरविंग सिस्टम प्रमोशन काउंसिल (Climate Resilient Observing Systems Promotion Council) और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India meteorological department) ने बनाई है।
13.85% की दर से बढ़ीं थंडरस्टॉर्म की घटनाएं
एनुअल लाइटनिंग रिपोर्ट 2021-22 (Annual Lightning Report 2021-22) में पता चलता है कि 2021-22 में थंडरस्टॉर्म यानी बिजली गिरने की घटनाएं देश में सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में हो रही हैं। अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक प्रदेश में 6,55, 788 बार बिजली गिरी थी। यहां थंडरस्टॉर्म की घटनाएं हर साल 13.85% के रेट से बढ़ रही हैं।
10 साल में सबसे ज्यादा मौत पिछले 6 महीने में
भौगोलिक (geographical) स्थिति से मध्यप्रदेश काफी बड़ा राज्य है। इसलिए यहां बिजली गिरने कारण भी कई हैं। भोपाल मौसम केंद्र (Bhopal Meteorological Station) के मुताबिक पिछले 6 महीने में बिजली गिरने से 199 लोगों की मौत हुई है। यह डैथ रेट पिछले 10 सालों में सबसे ज्यादा है। प्रदेश में साल 2020 में 168 और 2021 में 116 लोगों की मौत हुई थी।
80% हादसे यहां हुए
पिछले डेढ़ महीने में हुई घटनाओं से पता चला कि 80% हादसे ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड, महाकौशल, विंध्य के जिलों में हुए हैं। छतरपुर में सबसे ज्यादा 13 मौत हुईं। भोपाल, मालवा और निमाड़ में भी बिजली की कई घटनाएं हो रही हैं। ये हादसे नॉर्थ और ईस्ट की तुलना में कम हैं।
29 जिलों में बिजली गिरने की ज्यादा आशंका
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India meteorological department) के पुणे स्थित क्लाइमेट रिसर्च एंड सर्विस ऑफिस (climate research and service office) ने भारत का क्लाइमेट हैजार्डस वल्नरेबिलिटी एटलस (Climate Hazards Vulnerability Atlas) तैयार किया है। इस एटलस के मुताबिक मध्यप्रदेश के 9 जिलों में बिजली गिरने की ज्यादा आशंका है। 20 जिलों में इन 9 के मुकाबले कम लेकिन सामान्य से ज्यादा आशंका जताई है।
बिल्डिंग्स में नहीं हैं Lightning Conductors
प्रदेश में प्राइवेट मल्टीस्टोरीड बिल्डिंग पर तड़ित चालक (Lightning-conductor) नहीं लगे हैं। इसकी वजह है कि मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम (Madhya Pradesh Land Development Rules) में इन कंडक्टर्स को लगाने का कोई नियम नहीं है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग (Town and Country Planning Department) के संयुक्त संचालक (joint director) डॉ. अमित कुमार गजभिए (Dr. Amit Kumar Gajbhiye) का कहना है कि नेशनल बिल्डिंग (national building) में सिर्फ सरकारी इमारतें (government buildings) ही शामिल हैं।
भोपाल के चीफ सिटी प्लानर (chief city planner) नीरज आनंद लिखार (Neeraj Anand Likhar) बताते हैं कि भोपाल में मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स पर लाइट्निंग कंडक्टर्स लगे होने का कोई रिकॉर्ड नगर निगम के पास नहीं हैं। जानकारी के लिए बता दें कि बिल्डिंग बनाने के लिए नगर निगम ही परमिशन देता है। लेकिन लाइट्निंग कंडक्टर्स लगाने की शर्तें नहीं होतीं।