भोपाल बॉर्डर पर पुलिस ने रोकी शिक्षकों की ध्वज यात्रा, निकले थे मांगों को लेकर

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Shivasheesh Tiwari
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भोपाल बॉर्डर पर पुलिस ने रोकी शिक्षकों की ध्वज यात्रा, निकले थे मांगों को लेकर

Bhopal. विदिशा के गणेश मंदिर से 1 मई को शुरू हुई ध्वज यात्रा भोपाल आ रही थी। प्रदर्शनकारी शिक्षक मुख्यमंत्री को ध्वज सौंपना चाहते थे। लेकिन पुलिस ने शिक्षकों को बॉर्डर पर ही रोक लिया। शिक्षक सिर्फ पुरानी पेंशन के लिए सड़क पर नहीं उतरे हैं। असल गुस्सा तो क्रमोन्नति, नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता, अनुकंपा नियुक्ति, पदोन्नति और वरिष्ठता सूची नहीं बनाने को लेकर है। यह सभी काम स्कूल शिक्षा विभाग के हैं। हैरत की बात है कि क्रमोन्नति की नोटशीट पिछले तीन साल से स्कूल शिक्षा, सामान्य प्रशासन एवं वित्त विभाग के बीच घूम रही है। उस पर कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है। शिक्षकों का अधिकारियों से भरोसा उठ चुका है और वे सिर्फ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने पर अड़े हैं। पुलिस प्रशासन ने 4 मई को शिक्षकों की इस ध्‍वज यात्र को सूखी सेवनिया में रोक दिया। इससे नाराज लगभग एक हजार शिक्षक भूखे प्यासे चिलचिलाती धूप में बैठ गए। मुख्यमंत्री के सलाहकार ने शिक्षकों के प्रतिनिधि मंडल को मिलने के लिए बुलाया है।




— TheSootr (@TheSootr) May 4, 2022



यह है पूरा मामला



20 दिन में अनुकंपा नियुक्ति देने की बात की जाती है। सात सौ कर्मचारियों के स्वजन तीन साल से इंतजार कर रहे हैं। आयुक्त लोक शिक्षण ने काम का बोझ कम करने के लिए वर्ष 2014 में अपने अधिकार संभागीय संयुक्त संचालक को सौंप दिए और उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी को। यानी नियुक्ति भले ही आयुक्त ने की हो, पर व्याख्याता संवर्ग को अन्य लाभ देने की जिम्मेदारी संभागीय संयुक्त संचालक निभाएंगे और उच्च श्रेणी शिक्षक व सहायक शिक्षक की नियुक्ति की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी। सामान्य प्रशासन विभाग के नियमों के अनुसार ये गलत है। तीन विभाग इसे दुरस्त करने को लेकर तीन साल से परेशान हैं। जबकि जनजातीय कार्य विभाग में शिक्षकों को नियोक्ता क्रमोन्नति का लाभ दे चुके हैं।



पुलिस जहां रोकेगी, वहीं सभा करेंगे



शिक्षक संघ के अध्यक्ष भरत पटेल ने मीडिया से कहा कि पदयात्रा के दौरान खाने-सोने की व्यवस्था के चलते ज्यादा भीड़ नहीं रखी गई। लेकिन भोपाल में ऐसी कोई समस्या नहीं है। इसलिए अब भीड़ बढ़ेगी। पांच मई को हम भोपाल में सभा करेंगे। सरकार ने अनुमति नहीं दी है। इसलिए पुलिस जहां रोकेगी, वहीं सभा की जाएगी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में दो लाख 87 हजार शिक्षक हैं।


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