Ranji Trophy Final : मध्यप्रदेश ने पहली बार जीती रणजी ट्रॉफी, मुंबई को 6 विकेट से हराया, CM शिवराज सिंह चौहान ने दी बधाई

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Pratibha Rana
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Ranji Trophy Final : मध्यप्रदेश ने पहली बार जीती रणजी ट्रॉफी, मुंबई को 6 विकेट से हराया, CM शिवराज सिंह चौहान ने दी बधाई

BHOPAL. मध्यप्रदेश की टीम ने रणजी ट्रॉफी जीतकर इतिहास रच दिया है। MP की टीम ने पहली बार रणजी ट्रॉफी जीती है। फाइनल में MP ने मुंबई को 6 विकेट से हरा दिया। ऐतिहासिक जीत के बाद मध्यप्रदेश के खिलाड़ियों ने जमकर जश्न मनाया। टीम के कोच चंद्रकात पंडित जीत के बाद काफी भावुक हो गए। खिलाड़ियों ने उन्हें कंधों पर उठा लिया।




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मध्यप्रदेश को मिला था 108  रन का टारगेट



मुंबई की टीम ने मध्यप्रदेश को 108 रन का टारगेट दिया था जिसे मध्यप्रदेश ने 4 विकेट खोकर हासिल कर लिया। पहली पारी में यश, शुभम और रजत पाटीदार ने शतकीय पारी खेली थीं। मध्यप्रदेश ने मुंबई की दूसरी पारी 269रन पर समेट दी थी। मुंबई की दूसरी पारी में कुमार कार्तिकेय ने 4 विकेट चटकाए। पार्थ साहनी ने 2 विकेट लिए। 




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कोच चंद्रकांत पंडित बोले बच्चों ने अधूरा सपना पूरा कर दिखाया



मध्यप्रदेश ने 41 बार के रणजी चैंपियन मुंबई को हराकर इतिहास रच दिया। इस सफलता के सबसे बड़े हीरो कोच चंद्रकांत पंडित रहे, जिन्होंने पूरी टीम को एकजुट रखा। जीत के बाद कोच ने कहा कि 1998-99 में उनके कप्तान रहते हुए टीम कर्नाटक से बेंगलुरू के इसी चिन्नास्वामी स्टेडियम में फाइनल में हार गई थी, पिता ने जो सपना देखा आज 23 साल बाद बेटों ने पूरा कर दिखाया। ये मेरे लिए एक भावनात्मक मौका है, हर बार उस फाइनल की हार की टीस मन में रही, जब मुझे यहां कोच बनने का ऑफर आया तो मैंने तत्काल हां कर दी। शायद भगवान को यही मंजूर था कि यहां मेरा सपना पूरा हो और आज इसी स्टेडियम में सपना बच्चों ने पूरा कर दिखाया। जीत के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी खुशी जताई। उन्होंने कहा कि टीम ने इतिहास रच दिया हम जीत गए टीम का नागरिक अभिनंदन होगा।



इससे पहले सिर्फ एक बार फाइनल में पहुंची थी टीम



साल 1998-99 में मध्यप्रदेश की टीम पहली बार फाइनल में पहुंची थी। उस समय कैप्टन पंडित ही थे। पहली बार में लीड लेने के बाद भी मध्यप्रदेश की टीम मैच के पांचवे दिन टारगेट नहीं पा सकी और 150 रन पर ही ऑलआउट होकर मैच गंवा बैठी थी। इसके बाद अब साल 2021-22 के सीजन में मध्यप्रदेश की टीम पंजाब, बंगाल जैसी टीमों को क्वार्टर फाइनल, सेमीफाइनल में हराकर फाइनल में पहुंची थी। जहां पहली बार में यश दुबे, मैन ऑफ द मैच शुभम शर्मा और रजत पाटीदार के तीन शतकों की मदद से 536 रन का विशाल स्कोर बनाने में कामयाब रही। पांचवे दिन टीम को मुंबई की ओर से जीत के लिए 108 रन का लक्ष्य मिला जो 29.5 ओवर में ही केवल चार विकेट खोकर आसानी से हासिल कर लिया। मैन ऑफ द मैच पहली बार में शतकीय पारी खेलने वाले शुभम शर्मा रहे।



सीजन के टॉप स्कोरर में MP के तीन खिलाड़ी



रणजी सीजन में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले 5 खिलाड़ियों में 3 मध्यप्रदेश के हैं। सबसे ज्यादा रन मुंबई के सरफराज खान ने (982) बनाए, मध्यप्रदेश की ओर से रजत पाटीदार ने 658 रन बनाकर लिस्ट में दूसरे नंबर पर रहे। तीसरे नंबर पर चेतन बिस्ट (623 रन) रहे। चौथे नंबर पर मध्यप्रदेश के ही यश दुबे (614 रन) और पांचवे नंबर पर मध्यप्रदेश के शुभम शर्मा (608 रन) रहे। वहीं विकेट लेने में मध्यप्रदेश के कुमार कार्तिकेय 27 विकेट के साथ दूसरे नंबर पर रहे। मुंबई के मुलानी ने सबसे ज्यादा 37 विकेट लिए।



होलकर की टीम चार बार जीती थी



रणजी मैच में मध्यप्रदेश के पहले होल्कर टीम शामिल होती थी। साल 1944-45 से 1954-55 के दौरान होलकर टीम दस बार फाइनल मे पहुंची थी इसमें 1945-46, 1947-48, 1950-51 और 1952-53 में चार बार फाइनल मैच जीतकर विजेता बनी। वहीं 6 बार रनरअप रही।



अब तक मध्यप्रदेश की टीम के कप्तान



मध्यप्रदेश की टीम बनने के बाद से अभी तक मध्यप्रदेश की रणजी टीम के कप्तान चंदू सरवटे, सैय्यद मुश्ताक अली, सीएस नायडू, विजय नायडू, अशोक जगदाले, भगवानदास सुधार, सुबोध सक्सेना, मनोहर शर्मा, संजीव राव, संजय जगदाले, संदीप पाटिल, कीर्ति पटेल, चंद्रकांत पंडित, सुहैल अंसारी, एम, हसनैन, राजेश चौहान, सैय्यद अब्बास अली, अमय खुरासिया, ब्रजेश तोमर, देवेंद्र बुंदेला, ऋषिकेश कानिटकर, नमन ओझा रहे। 


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