Seoni, Vinod Yadav. देश के हर गांव में शारदेय नवरात्र के पर्व पर माता की प्रतिमा बैठाने की परंपरा है लेकिन मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आष्टा गांव में माता की प्रतिमा स्थापित नहीं हो पाती है, दरअसल आष्टा गांव में साक्षात माता महाकाली विराजमान है जिसके चलते आष्टा गांव की सरहद तक कोई भी प्रतिमा स्थापित नहीं हो पाती है। माता महाकाली एक ही रात में बने पत्थरों पर विराजमान है, जहां उनके दरबार में शारदेय नवरात्र और चैत्र नवरात्र में भारी भीड़ उमड़ती है। दूर दूर से लोग माता के दर्शन करने के लिए आते हैं।
खंडित हो जाती है प्रतिमा
सिवनी जिले के बरघाट आष्टा मे ऐतिहासिक और प्रसिद्ध मंदिर है जहां स्वयं माता महाकाली विराजमान हैं, साक्षात माता के विराजमान रहने से गांव में दूसरी कोई भी देवी की प्रतिमा विराजमान नहीं होती है। गांव के सुनील अवधिया एवं बरघाट जनपद की अध्यक्ष आभा जितेंद्र राहंगडाले सहित गांव के बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि एक बार गांव के लोगों ने शारदेय नवरात्र में देवी प्रतिमा बैठाने का प्रयास भी किया था लेकिन प्रतिमा स्वयं ही खंडित हो गई थी ओर माता महाकाली स्वयं स्वपन देकर लोगों को बोली कि जब यहां पर साक्षात बैठी हूं तो प्रतिमा बैठाने की क्या जरूरत है
माता के स्वपन मे कही गई बात के बाद से गांव में माता की प्रतिमा स्थापित नहीं की जाती है। माता महाकाली की इस मंदिर में शारदीय नवरात्र चौत्र नवरात्र में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। दूर दूर से लोग माता महाकाली के दर्शन ओर पूजन करने के लिए आते हैं।
एक रात मे मंदिर का निर्माण
ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण एक रात में हुआ था, कहा जाता है कि देवी मां की कृपा से बड़े-बड़े पत्थरों से विशाल मंदिर एक रात में तैयार हो रहा था लेकिन इसी दौरान मुर्गे की आवाज से मंदिर का काम अधूरा रह गया..बड़े-बड़े पत्थरों की शिलाएं आज भी मंदिर के आसपास बिखरी पड़ी हैं। आठ स्थानों पर मंदिर का निर्माण होने के कारण इसका नाम बाद में आष्टा पड़ गया।
दूर-दूर से आते है मनोकामना कलश
मनोकामना ज्योति कलश की स्थापना के साथ ही नौ दिनों तक आराधना और पूजन करने देशभर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. ओर मनोकामना कलश रखवाते है। हजारों की संख्या में स्थापित ज्योति कलश जब एक साथ विसर्जन के लिए निकलते हैं तो यह नजारा अनूठा होता है।