Satna. ओबीसी के वोट बैंक को साधने के लिए पूर्व सीएम कमलनाथ ने राजस्थान के चिंतन शिविर में तय किए गए फार्मूले के विपरीत जाकर सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को महापौर का प्रत्याशी बना दिया। संभवत: नाथ ने इस टिकट के जरिए विन्ध्य के कद्दावर नेता अजय सिंह को दरकिनार कर दिया लेकिन अब बड़ा सवाल यही है कि क्या सिद्धार्थ अकेले दम पर चुनाव लड़ेंगे? प्रश्र इसलिए क्योंकि टिकट घोषित होने के बाद राहुल समर्थक कांग्रेसी नेताओं ने पूरी तरह से चुप्पी साध ली है। कांग्रेस पार्टी ने भले ही टिकट घोषित करने में भाजपा को पछाड़ दिया हो लेकिन प्रत्याशी घोषित करने के साथ ही कई बवाल भी पाल लिए। एक तरफ पार्टी नेताओं में उत्साह नजर नहीं आ रहा है तो दूसरी ओर तमाम लोगों ने पदों से इस्तीफा देना भी शुरू कर दिया।
एमएलए को मेयर की टिकट, संगठन में प्रदेश प्रभारी बनाया
कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रदेश के पंद्रह नगर पालिक निगम की सूची जारी की गई थी। इस सूची में सतना के सिद्धार्थ कुशवाहा का नाम महापौर प्रत्याशी के तौर पर तय किया गया। कमलनाथ ने अपने सर्वे के आधार पर टिकट तय की जिसके बाद कांग्रेस के तमाम नेता नाराज हो गए। चूंकि राजस्थान चिंतन शिविर में एक व्यक्ति एक पद देने का फार्मूला हाईकमान ने तय किया था। ऐसे में सब को भरोसा था कि अब किसी और को सतना मेयर का चुनाव लडऩे का अवसर मिलेगा लेकिन प्रदेशाध्यक्ष ने निर्वाचित विधायक पर भरोसा जताया। नाथ यहीं नहीं रुके उन्होंने विधायक सिद्धार्थ को लगे हाथ ओबीसी विभाग का प्रदेश प्रभारी भी तय कर दिया।
ओबीसी विभाग के जिलाध्यक्ष ने दिया इस्तीफा
कांग्रेस कमेटी ओबीसी विभाग के जिलाध्यक्ष पद से गेंदलाल पटेल ने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पार्टी के जिला अध्यक्ष को पद से त्यागपत्र सौंपा है। हालांकि वे कांग्रेस पार्टी में बनें रहेंगे। उनकी यह नाराजगी इसलिए है कि यहां एक व्यक्ति एक पद का फार्मूला नहीं अपनाया गया। एक ही व्यक्ति को सभी तरह के पद दिए जा रहे हैं। उनका इशारा सिद्धार्थ कुशवाहा की ओर था। उन्होंने कहा कि ओबीसी वर्ग के लोगों को कांग्रेस पार्टी में ठगा जा रहा है। एक ही व्यक्ति को सभी पद दिए जा रहे हैं। इसी से आहत होकर उन्होंने पार्टी के ओबीसी विभाग का पद छोड़ दिया है।
अभी और हो सकते हैं इस्तीफे
भाजपा पार्टी की टिकट फायनल होते-होते कांग्रेस पार्टी में और भी इस्तीफे दिए जा सकते हैं। बताया जाता है कि महापौर पद के लिए दावेदारी करने वाले तमाम लोगों ने पार्टी से नाराज चल रहे हैं। सिर्फ एक सर्वे के आधार पर टिकट दिए जाने का विरोध कर रहे हैं। अन्य पार्टियों से भी ऑफर मिल रहा है, जिससे उम्मीद है कि आने वाले कुछ दिनों में कई और लोग कांग्रेस छोड़कर दूसरे दल का दामन थाम लें। कांग्रेस की ओर से पूर्व मंत्री सईद अहमद, प्रदेश की कमेटी के रवीन्द्र सेठी, अजय सोनी आदि भी महापौर की टिकट के दावेदारों में थे।
कार्यकर्ताओं में नहीं दिख रहा उत्साह
कांग्रेस पार्टी का प्रत्याशी घोषित होने के बाद भी कांग्रेस के कार्यकर्ता उत्साहित नजर नहीं आ रहे। पार्टी से टिकट की दावेदारी करने वाले लोगों की नाराजगी समझी जा सकती है, लेकिन कांग्रेस के जिलाध्यक्ष द्वय सहित अन्य कार्यकर्ता भी चुप हैं, जिससे सवाल उठना स्वाभाविक है। क्या कार्यकर्ता इसलिए नाराज हैं कि प्रदेशाध्यक्ष ने टिकट चयन में विन्ध्य के कद्दावर नेता अजय सिंह को कोई महत्व नहीं दिया? जिसका बदला वे तय किए गए प्रत्याशी का प्रचार न करके लेंगे? बहरहाल यह स्थिति कांग्रेस पार्टी में हर चुनाव के वक्त देखने को मिलती है।