भोपाल. मध्यप्रदेश विधानसभा के पांचवें दिन एक समय वो भी आया जब सरकार की किरकिरी होने से बचाने के लिए संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा को खड़ा होकर प्रश्नकर्ता विधायक से यह कहना पड़ा कि मंत्री जी आपको लिखित में जवाब भेज देंगे। दरअसल दिग्विजय सिंह के एमएलए बेटे जयवर्धन सिंह ने विधानसभा में फैक्टरियों से हो रहे प्रदूषण और प्रदूषण रोकने के मानकों के पालन के संदर्भ में सवाल किया था। जिसका पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग (Hardeep Singh Dang) ठीक से जवाब ही नहीं दे पाए। जिसके बाद जयवर्धन सिंह ने हरदीप सिंह डंग पर लगातार सवाल दागने शुरू कर दिए। जयवर्धन (Jaivardhan Singh) ने कहा कि वे यह जानते हैं कि मंत्री जी को विभाग की जानकारी नहीं है, जिसके जवाब ने डंग ने कहा कि आपने जो सवाल किए आप उसके अलावा सवाल पूछ रहे हो। मामला बढ़ता देख नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) को बीच में खड़े होकर बोलना पड़ा कि मंत्रीजी को विभाग की संपूर्ण जानकारी है, वह लिखित में जवाब भेज देंगे।
जयवर्धन के इन सवालों में फंसे मंत्रीजी: गुना के राघौगढ़ में जीईएल और एनएसएल दो औद्योगिक इकाईयां हैं। इन दोनों इकाई का EIA यानी एनवायरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट कब हुआ। जिसके जवाब में डंग पर्यावरण विभाग द्वारा साल में दो बार होने वाली जांच की जानकारी देने लगे। जबकि ईआईए केंद्रीय और प्रदेश के पर्यावरण विभाग के अधिकारी संयुक्त रूप से करते हैं। इसके अलावा मंत्रीजी ठीक-ठीक यह भी नहीं बता सके कि इन इकाईयों में एनवायरमेंट क्लीयरेंस कब मिला। जयवर्धन ने सदन को बताया कि खुद पर्यावरण विभाग ने 2016 में रिपोर्ट दी थी कि जीईएल में जब तक कार्बन रिकवरी प्लांट नहीं लगता तब तक फैक्ट्री शुरू नहीं हो सकती, जबकि यह आज भी चल रही है और इससे प्रति घंटे 50 टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साईड निकल रही है। डंग जयवर्धन के इन सवालों का भी कोई सटीक जवाब न देकर गोलमोल जवाब ही देते रहे।
प्रदूषण होने से श्वांस संबंधी होती है गंभीर बीमारियां: जयवर्धन सिंह द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में विभागीय मंत्री ने लिखित में जो उत्तर दिया उसके अनुसार प्रदूषण होने से श्वांस संबंधी गंभीर बीमारियां होती है। जवाब में यह भी कहा गया कि औद्योगिक इकाईयों काकार्बन एमिशन का मापन नहीं किया गया है। सवाल यह भी है कि जब कार्बन एमिशन मापन ही नहीं किया गया तो इन इकाईयों को एनवायरमेंट क्लीयरेंस मिल ही नहीं सकता, तो फिर ये चल कैसे रही है।
सदन में जवाब नहीं मिलने से कांग्रेस का वॉकआउट: जयवर्धन सिंह द्वारा स्पष्ट सवाल पूछे जाने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिलने पर कांग्रेस ने इसका विरोध किया। जयवर्धन सिंह समेत विपक्ष ने सदन से यह कहकर वॉकआउट किया कि विभागीय मंत्री सदन में मौजूद हैं। इसके बावजूद यदि संसदीय मंत्री नरोत्तम मिश्रा लिखित में जवाब देने की बात कह रहे हैं तो फिर विधानसभा चलाने का क्या मतलब, प्रश्नकाल का क्या मतलब?
अधिकारों के हनन को लेकर सीएम-अध्यक्ष को लिखेंगे पत्र: जयवर्धन सिंह ने द सूत्र से कहा कि प्रश्नकाल प्रश्न पूछने और उसके जवाब के लिए ही होता है, यदि प्रश्नकाल में पूछे जाने वाले सवाल का जवाब भी लिखित में देंगे तो प्रश्नकाल का औचित्य ही क्या रह जाएगा। मैंने 8 साल में पहली बार देखा जब कोई मंत्री किसी भी सवाल का उत्तर नहीं दे पाए। सदन में लिखित जवाब देने की बात कहकर मेरे अधिकारों का हनन किया गया है, इस विषय में मैं विधानसभा अध्यक्ष और सीएम को पत्र लिखूंगा।