Jabalpur. जबलपुर में किशोरी का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने वाले किशोर को जिला न्यायालय की कोर्ट ने 10 साल की सजा और 2 हजार रुपए के जुर्माने से दण्डित किया है। हालांकि उसका दूसरा साथी साक्ष्य नहीं होने के चलते बरी हो गया। जबलपुर का यह पहला मामला है जब अपचारी किशोर पर बड़ों की तरह मुकदमा चला और कड़ी सजा दी गई।
अपहरण कर किया था दुष्कर्म
अभियोजन के मुताबिक साल 2018 में रांझी थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी कि पीड़ित किशोरी अपनी सहेली को घर छोड़ने पैदल गई थी। वापस आते वक्त दो किशोरों ने रास्ता रोककर मोटर साइकिल में बैठने की जिद की, इनकार करने पर धमकाने लगे और परिवार के सदस्यों की हत्या की धमकी देते हुए उसे एक स्कूल के पास ले गए जहां खंडहर में ले जाकर दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया था।
दोनों आरोपी थे नाबालिग
जिला अभियोजन अधिकारी अजय जैन के मुताबिक विवेचना के बाद किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष प्रकरण पहुंचा, दोनों आरोपी नाबालिग थे, लेकिन दोनों की आयु 16 वर्ष से अधिक थी। रांझी पुलिस की ओर से किशोर न्याय बोर्ड को संशोधित जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2016 की धारा 14/18 के तहत आवेदन देकर मामले को सेशन कोर्ट ट्रांसफर करने का आग्रह किया गया। मामला जिला अदालत ट्रांसफर हुआ जहां पॉक्सो एक्ट की विशेष अदालत में ट्रायल चला। डीपीओ जैन ने बताया कि संशोधित एक्ट के तहत नाबालिग को 10 साल की सजा का यह पहला मामला है।
निर्भया कांड के बाद हुआ था संशोधन
दिसंबर 2012 के निर्भया दुष्कर्म कांड के संबंध में एक नाबालिग की भूमिका सबसे अधिक घिनौनी थी, पर केवल नाबालिग होने के कारण उसे बाल सुधार गृह में 3 साल के लिए भेजा गया। इसके बाद उसे छोड़ दिया गया। घटना की प्रकृति को देखते हुए कानून में बदलाव कर जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम 2015 लाया गया। 15 जनवरी 2016 से यह लागू कर दिया गया। संशोधित जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के मुताबिक नाबालिग अपचारियों की उम्र सीमा 18 वर्ष से घटाकर 16 वर्ष कर दी गई है।