राजगढ़. कमीशन का खेल इस तरह हावी है कि अधिकारी-कर्मचारी किसी भी हद तक गुजर जाते हैं। ताजा मामला राजगढ़ (Rajgarh) जिले के खिलचीपुर सरकारी अस्पताल का है। यहां बीएमओ की परमीशन से अस्पताल में मोबाइल फोन की दुकान लगा दी। लेकिन जैसे ही मेडिकल की टीम जांच के लिए पहुंची तो दुकानदार अपना सामान लेकर भाग गए। दरअसल आशा कार्यकर्ताओं (Asha workers) को मोबाइल खरीदने के लिए सरकार से 7 हजार रुपए मिलते हैं। इन पैसों से आशा कार्यकर्ताओं को फोन खरीदना था। इधर आशा कार्यकर्ताओं की संख्या और राशि का गणित BMO साहब ने लगाया तो उनकी नीयत डोल गई।
आशा कार्यकर्ताओं को मौखिक फतवा जारी: जमीनी स्तर पर रोगियों की जानकारी जुटाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं को एंड्राइड फोन के लिए राशि मिलती है। इस राशि से आशा कार्यकर्ता अपना पंसदीदा फोन खरीदती है और बिल जमा करा देती है। इधर अस्पताल के BMO डॉ सिंघी की परमीशन से अस्पताल में दुकान लगवा दी। आरोप है कि दुकानदार बीएमओ का परिचित है और मोबाइल पर मिलने वाली कमीशन खाने के लिए बीएमओ ने दुकान लगाने की परमीशन दी, जो कि गैरकानूनी है।
सभी आशाओं को नगद 7-7 हजार रुपए लेकर तलब किया। यहां सस्ते मोबाइलों को महंगी कीमत पर बेचने का खेल शुरू हुआ। महेशकुमार बद्रीलाल नाम फर्म से जियो कंपनी का मोबाइल 7 हजार रुपए की नगद कीमत पर ग्रामीण आशा कार्यकर्ताओं को बेचा गया। ताजुज्ब की बात ये है कि मोबाइल का ये मॉडल ऑनलाइन खरीदने पर 800 से 1 हजार रुपए कम कीमत पर उपलब्ध है, वो भी किस्तों में। अस्पताल की दुकान पर देखते ही देखते भीड़ जमा हो गई। इसका वीडियो भी सामने आया है। शिकायत मिलने के बाद मौके पर मेडिकल की टीम पहुंची। कैमरा देखते ही दुकानदार अपना प्रिंटर और लैपटॉप लेकर भागने लगे। वहीं, bmo डॉ. सिंघी ने इस मामले में बयान देने से ही इनकार कर दिया। मामला 13 मार्च का है।
CMHO ने दिए जांच के आदेश: इस मामले की गंभीरता को देखते हुए राजगढ़ CMHO दीपक पिप्पल ने जांच के आदेश दिए है। मित्तल ने बताया कि मुझे अस्पताल में मोबाइल बेचे जाने की सूचना मिली थी। उसी समय मैंने संबंधित ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर से पूछा था तो उन्होंने ऐसी घटना होने से नकार दिया था। तब मैंने आदेश दिए कि अगर ऐसा हो रहा है तो तुरंत बंद कीजिए। सरकार के नियमानुसार मिलने वाली राशि आशा कार्यकर्ताओं के खातों में दें। जो भी मोबाइल खरीदे जाने है, उनका सत्यापन करे। ना कि दुकान लगाकर बैठ जाए।