भोपाल में रिजॉर्ट जैसा मॉडर्न वृद्धाश्रम, साल के अंत तक होगा तैयार, ये सुविधाएं

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Atul Tiwari
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भोपाल में रिजॉर्ट जैसा मॉडर्न वृद्धाश्रम, साल के अंत तक होगा तैयार, ये सुविधाएं

रुचि वर्मा, भोपाल. मध्य प्रदेश में बिना किसी केयरटेकर के रहने वाले संपन्न बुजुर्गों के लिए एक अच्छी खबर है। राज्य सरकार के सामाजिक न्याय विभाग द्वारा राजधानी भोपाल में लग्जरी सुविधाओं वाला एक अत्याधुनिक वृद्धाश्रम बनाया जा रहा है। इसका निर्माण नेशनल हेल्थ मिशन की बिल्डिंग के पास हो रहा है। हालांकि, इस वृद्धाश्रम में आवास मुफ्त में नहीं मिलेगा। जो बुजुर्ग वहां रहना चाहते हैं, उन्हें होटल या गेस्ट हाउस जैसी सेवाओं के हिसाब से ही पैसे खर्च करने होंगे।



कपल्स रह सकेंगे, ये सुविधाएं मिलेंगी: करोड़ों की लागत से बन रहे इस आधुनिक वृद्धाश्रम के लिए विभाग को करीब 5 एकड़ जमीन आवंटित की गई है। वृद्धाश्रम में जोड़े (कपल्स) और सिंगल बुजुर्ग समेत 56 लोग रहेंगे। हालांकि, वृद्धाश्रम को मिलने वाली प्रतिक्रिया के आधार पर विभाग आगे इसकी सीटें बढ़ा भी सकता है। वृद्धाश्रम में बुजुर्गों के लिए बोर्डिंग और लॉजिंग की हाईक्लास फैसिलिटी होंगी। इसमें पूरी तरह से एयर कंडीशंड कमरे, एंटरटेनमेंट एरिया, रीडिंग रूम, स्पोर्ट्स एरिया, पार्क, पैदल मार्ग और अन्य सुविधाओं के अलावा चौबीसों घंटे चिकित्सा सहायता मौजूद रहेगी। वृद्धाश्रम अभी निर्माणाधीन है, इसलिए इसका आवासीय शुल्क तय नहीं किया गया है।



5-6 महीनों में तैयार होगा: मध्य प्रदेश सामाजिक न्याय विभाग के कमिश्नर डॉ. रमेश कुमार ने बताया, ‘कोरोना काल के दौरान राज्य के ऐसे संपन्न बुजुर्ग जो अकेले रहते हैं, उनके एवं रिश्तेदारों द्वारा शासन से सर्वसुविधायुक्त वृद्धाश्रम की मांग की गई थी। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रस्ताव मंजूर हुआ। इसके लिए वरिष्ठ नागरिकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए शहर के बीच में (नेशनल हेल्थ मिशन की बिल्डिंग के पास) जमीन चिह्नित की गई। जमीन सामाजिक न्याय विभाग को सौंप दी गई है और वृद्धाश्रम के विकास के लिए काम भी शुरू हो चुका है। अगर योजना के अनुसार चीजें चलती हैं तो अगले 5-6 महीनों में अपनी तरह का पहला वृद्धाश्रम बनकर तैयार हो जाएगा और सालभर के अंदर बुजुर्ग इसकी सेवाएं ले सकेंगे।



5 साल पहले आया था प्रपोजल: वृद्धाश्रम का प्रस्ताव पहली बार दिसंबर 2017 में रखा गया था। उस वक्त इसकी लागत 11 करोड़ तय हुई थी। गांधी नगर में 12 एकड़ के भूखंड की पहचान भी की गई थी, लेकिन कुछ कारणों से इसका निर्माण आगे नहीं बढ़ पाया और बाद में कोरोनाकाल आ गया।


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