54 हजार किसानों को हुआ 300 करोड़ का घाटा, उसके बाद शुरू हुआ मूंग उपार्जन के लिए किसानों का पंजीयन

author-image
Rahul Sharma
एडिट
New Update
54 हजार किसानों को हुआ 300 करोड़ का घाटा, उसके बाद शुरू हुआ मूंग उपार्जन के लिए किसानों का पंजीयन

Bhopal. मध्यप्रदेश सरकार को किसानों की सरकार कहा जाता है और इस बार इसी किसानों की सरकार ने मूंग के मामले में प्रदेश के किसानों को 300 करोड़ की चपत लगा दी। दरअसल प्रदेश में अधिकांश ग्रीष्मकालीन मूंग 15 से 30 मई में खेतों से कटकर आ गई थी। बीते सालों में जून माह में ही मूंग का उपार्जन होता आया, लेकिन इस बार सरकारी स्तर पर मूंग खरीदी की बात छोड़िए किसानों के पंजीयन तक नहीं हुए। सीमांत और छोटे किसान जिनको आने वाली फसल की तैयारी के लिए पैसा चाहिए था, उन्होंने मंडी की ओर रूख कर लिया। इस स्थिति का व्यापारियों ने जमकर फायदा उठाया। 14 जुलाई को मूंग उपार्जन की सीएम की घोषणा से पहले बाजार में मूंग का औसत रेट 5 हजार प्रति क्विंटल के आसपास ही रहा। सीएम की घोषणा से पहले प्रदेश के किसान 13 लाख 53 हजार क्विंटल मूंग मंडी में बेंच चुके थे। मूंग का समर्थन मूल्य 7275 रूपए है और बाजार में मूंग औसत 5 हजार की दर से बिका। मतलब 2225 रूपए प्रति क्विंटल किसानों को घाटा हुआ। इस हिसाब से किसानों को बाजार में मूंग बेचने पर 300 करोड़ रूपए का नुकसान हो गया। यदि 1 किसान का औसत रकबा 5 एकड़ और औसत उत्पादन 25 क्विंटल मान लिया जाए तो कम दामों पर बाजार में मूंग बेचने वाले किसानों की संख्या 54 हजार से अधिक है।









40 फीसदी अधिक मूंग मंडी पहुंची





इस बार मूंग खरीदी को लेकर समय पर कोई घोषणा नहीं होने से किसानों ने बड़ी संख्या में मंडी की ओर रूख किया। मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड यानी मंडी बोर्ड से मिले आंकड़ों की माने तो वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में करीब 40 फीसदी अधिक मूंग बिक्री के लिए मंडी पहुंची। 2021 में जहां 1 जून से 14 जुलाई तक मंडी में 95 हजार 660 मैट्रिक टन मूंग का विक्रय हुआ था जो इस बार 2022 में बढ़कर 1 लाख 35 हजार मैट्रिक टन के उपर चला गया। मतलब एक साल के अंदर ही 39 हजार 634 मैट्रिक टन मूंग मंडी में पहुंची। यह इसलिए हुआ क्योंकि सरकार द्वारा मूंग उपार्जन के संबंध में कोई प्रक्रिया ही शुरू नहीं की गई थी और न ही इस संबंध में कोई घोषणा हुई।







लक्ष्य से अधिक खरीदी के चक्कर में हुआ सबकुछ





केंद्र सरकार ने प्राइस सपोर्ट स्कीम के अंतर्गत मध्यप्रदेश के लिए 2 लाख 25 हजार टन मूंग खरीदने का लक्ष्य पहले ही दे दिया था, पर प्रदेश सरकार अपने खजाने से एक दाने की भी कीमत नहीं चुकानी पड़े इसलिए पिछले साल हुई खरीदी को देखते हुए केंद्र को 4 लाख टन मूंग खरीदी का प्रस्ताव भेजा दिया, जिसकी स्वीकृति लंबे समय तक केंद्र से नहीं मिली और इसलिए मामला अटका रहा। इस बीच छोटे किसानों ने कम दामों पर अपनी मूंग बाजार में बेंच दी।  







प्रदेश सरकार के खजाने को लगी थी 1079 करोड़ की चपत





वर्ष 2021 में केंद्र ने 1 लाख 39 हजार टन मूंग खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसे बाद में बढ़ाकर 2 लाख 47 हजार टन कर दिया गया था। खरीदी इससे अधिक 4 लाख टन की हुई थी, लेकिन केंद्र से प्रदेश को राशि सिर्फ 2 लाख 47 हजार टन की ही मिली थी। 2021 में मूंग का समर्थन मूल्य 7196 रूपए था, इस हिसाब से प्रदेश सरकार को करीब 1.5 लाख टन मूंग की अतिरिक्त खरीदी करने पर प्रदेश के खजाने से किसानों को 1079 करोड़ से अधिक की राशि देना पड़ी थी। जिसके बाद प्रदेश सरकार ने 9 लाख टन मूंग मध्यान्ह भोजन के लिए दे दी थी।







व्यापारियों और बड़े किसानों को मिलेगा फायदा





नर्मदापुरम के किसान जीतेंद्र भार्गव ने बताया कि 75 फीसदी किसान अपनी मूंग पहले ही बेंच चुके हैं। ऐसे में मूंग उपार्जन की अब जो प्रक्रिया शुरू की गई है उसका फायदा व्यापारियों और बड़े किसानों को होने वाला है। बनखेड़ी के एक अन्य किसान ने बताया कि उसने 2.5 एकड़ पर मूंग लगाई थी और आने वाली फसल की तैयारी के कारण उसने पूरी मूंग 4500 रूपए प्रति क्विंटल की दर से बेंच दी है। वहीं हरदा के किसान मोहन सांई ने कहा कि शिवराज जी को यह बताना चाहिए कि जिन किसानों ने 1500 से 2000 रूपए के घाटे में अपनी मूंग बेची है, क्या सरकार उन किसानों की भरपाई करेगी।







2.23 लाख से अधिक किसानों ने कराया पंजीयन





18 जुलाई से ग्रीष्मकालीन मूंग की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिये पंजीयन शुरू हुआ। पंजीयन के अंतिम दिन 28 जुलाई की दोपहर 3 बजे तक 2 लाख 23 हजार से अधिक किसान अपना पंजीयन करा चुके थे। हालांकि अभी भी उपार्जन की तारीख घोषित नहीं हुई है, जल्द ही इसकी घोषणा हो सकती है। कृषि विभाग से भी इस बार कितने मूंग की खरीदी होगी इसे लेकर स्पष्ट स्थिति नहीं है। किसान नेताओं का कहना है कि यदि केंद्र द्वारा निर्धारित लक्ष्य 2 लाख 25 हजार मैट्रिक टन की ही सरकार को खरीदी करनी थी तो समय पर जून में ही खरीदी शुरू कर देती, कम से कम किसानों को नुकसान तो नहीं होता।   







मध्यप्रदेश में 13 से 16 लाख मैट्रिक टन है उत्पादन





मध्यप्रदेश में मूंग का रकबा लगातार बढ़ता जा रहा है। ग्रीष्मकालीन तीसरी फसल के रूप में अधिकांश जगहों पर केवल मूंग ही उगाई जा रही है। इस वर्ष एमपी के किसानों ने 9 लाख हेक्टेयर में मूंग की फसल ली। होशंगाबाद, हरदा, सीहोर, नरसिंहपुर और रायसेन जिलों में ही 5 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में मूंग की फसल ली गई है। मध्यप्रदेश में मूंग का उत्पादन खरीदी से कहीं अधिक है। प्रदेश में मूंग का उत्पादन 13 से 16 लाख मैट्रिक टन है। ऐसे में किसान की प्राथमिकता यही रहती है कि जितनी उपज सरकारी खरीदी में बिक जाएगी उतना उसे घाटा कम होगा।     



MP Farmers किसान खराब परेशान Moong losses MSP नयूतन समर्थन मूल्य घाटा फसल