रायसेन में है मां कंकाली का दरबार, सिद्धपीठ की प्रतिमा में हैं कई रहस्य

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Shivasheesh Tiwari
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रायसेन में है मां कंकाली का दरबार, सिद्धपीठ की प्रतिमा में हैं कई रहस्य

अम्बुज माहेश्वरी, रायसेन. करीब 250 साल पुरानी 20 भुजाओं वाली मां कंकाली की प्रतिमा ऐसी कि देखने वाला बस मां की इस मूरत को निहारता ही रह जाए। मूर्ति में माता की गर्दन 45 डिग्री झुकी है, जो प्रतिमा को रहस्यमयी बनाता है। एक किवदंती के अनुसार नवरात्र में भक्तों को मां की गर्दन सीधी नजर आती है। मां कंकाली का दरबार मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में राजधानी भोपाल से महज 20 किमी की दूरी पर स्थित हैं। भोपाल मार्ग पर बिलखिरिया से 5 किमी अंदर जिले के उमरावगंज के नजदीक स्थित मां कंकाली का दरबार रहस्य और चमत्कारों से भरा हुआ है। शारदेय व चैत्र नवरात्रि में हजारों भक्त प्रदेश के कोने-कोने से यहां आते हैं। इसे एक सिद्धपीठ के रूप में पहचाना जाता है। मान्यता है कि मां भक्त की हर मनोकामना पूरी करती है। यहां लोग श्रद्धा से चुनरी अर्पित करते हैं और मनोकामनाओं के लिए धागा भी बांधते हैं। कई भक्तों की आस्था तो इतनी है कि सैकड़ों किमी दूर पैदल यहां आते हैं। 7 करोड़ की लागत से इस मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। निर्माण के बाद ये भवन स्वरूप के मामले मध्यप्रदेश का पहला अष्टकोणीय मन्दिर होगा। यहां मां काली की 20 भुजाओं वाली मूर्ति के साथ भगवान ब्रम्हा, विष्णु और महेश की प्रतिमाएं विराजमान हैं।





250 से भी अधिक वर्ष पुराना बताते हैं मंदिर





ग्रामीण बताते हैं कि मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। मातारानी यहां 1731 के आसपास विराजमान हुई थीं। उस समय मां कंकाली ने एक भक्त को स्वप्न में दर्शन दिए थे। उसके बाद यहां स्थापना की गई। मां कंकाली का सिर थोड़ा झुका हुआ है। बताते हैं कि दशहरे के दिन श्रद्धालुओं को माता का शीश सीधा दिखाई देता है। वैसे तो सालभर यहां भक्त पहुंचते हैं। लेकिन नवरात्र में यहां भक्तों की भीड़ बड़ी संख्या में उमड़ती है। 





श्रद्धालु गोबर से उल्टे हाथ के निशान लगाते





संतान प्राप्ति के लिए मंदिर पर श्रद्धालु गोबर से उल्टे हाथ के निशान लगाते हैं। मनोकामनाएं पूरी होने पर हाथों के सीधे निशान बना दिए जाते हैं। यहां हाथों के हजारों निशान बने हुए हैं। इन दिनों भव्य मंदिर का निर्माण कार्य यहां चल रहा है। मंदिर का निर्माण 153 बाय 153 वर्ग फीट क्षेत्र में किया जा रहा है। इसमें नौ हजार वर्गफीट का मां कंकाली का गर्भगृह तैयार किया जा रहा है। इसकी छत खास तकनीक की है, जिसमें एक भी पिलर नहीं होगा। 7 करोड़ रुपए की लागत से बनाए जा रहे इस अष्टकोणीय मन्दिर के शिखर की ऊंचाई 71 फीट है। मंदिर के सभी अष्टकोण में विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमाएं होंगी। करीब 23 हजार वर्गफीट में मंदिर का निर्माण होना है। इसकी विशेषता ये है कि मंदिर के भीतरी हिस्से में बनाए जा रहे 10 हजार वर्गफीट के हॉल में एक भी पिलर नहीं है। 





विदेशी करंसी भी निकलती है दान पेटी में





ट्रस्टी ओमप्रकाश मीणा बताते हैं कि मां के दरबार में भक्त बहुत दूर-दूर से आते हैं। मां की कृपा से यहां सूनी गोद भी भर जाती है। विदेश से भी यहां मां के भक्त आते रहे हैं, कई बार दान पेटी में विदेशी करंसी भी निकली है।



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