Bhopal. पति की मौत के बाद सास—ससुर ऐसे बदले कि उन्होंने अपनी बहू को बेसहारा छोड़ दिया। दो मासूम बच्चियां जो पहले दादा—दादी की गोद में खेला करती थी, उन्हें अब ये समझ नहीं आ रहा कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो दादा दादी अब उनके साथ नहीं है। खास बात यह भी है सास-ससुर ने जिस बहु और उसकी दो बेटियों को बेसहारा छोड़ा 8 साल तक वे उनके साथ ही रहते थे। ये कहानी है सोनू पटेल की। सोनू की शादी 5 जून 2013 को अरुण पटेल से हुई। अरुण रेलवे में सप्लायर थे। 18 अक्टूबर 2021 को ब्रेन हेमरेज होने से उनकी मौत हो गई। अरुण की मौत से पहले उनकी मां मधु और पिता जगदीश भोपाल में ही चूनाभट्टी के पास ईडन गार्डन में 8 साल तक साथ रहे, पर जैसे ही अरुण की मौत हुई, उन्होंने अचानक अपनी बहू सोनू, उसकी 4.5 साल की बेटी आरोही और 2 साल की बेटी अनाया को बेसहारा छोड़ दिया। अब हालत यह है कि सोनू के पास न तो आरोही के स्कूल की फीस भरने के पैसे हैं और न ही अनाया की ठीक से परवरिश करने की कोई व्यवस्था। ससुराल पक्ष के अचानक इस रवैये के बाद सोनू ने सीएम हेल्पलाइन और चूनाभट्टी थाने में शिकायत की, मामले में सखी सेंटर पर काउंसलिंग भी शुरू हुई, पर कहीं कोई समाधान नहीं निकला।
आपत्ति दर्ज कराने के 4 दिन बाद रजिस्ट्री हो गई
सास-ससुर का बदला रवैया देख सोनू ने अपनी बच्चियों के भविष्य को देखते हुए भोपाल के घर की रजिस्ट्री को लेकर रजिस्ट्रार ऑफिस भोपाल में 8 मार्च 2022 को आपत्ति लगाई, ताकि रजिस्ट्री किसी और के नाम दर्ज न हो सके, पर आपत्ति लगाने के 4 दिन बाद घर की रजिस्ट्री अरुण के बड़े भाई दिनेश के नाम कर दी गई। दिनेश रेलवे कोच फैक्ट्री में काम करते हैं। भोपाल का घर सोनू की सास मधु के नाम पर था।
बेटियों को गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाने की बात पर अड़े
सोनू बताती है कि उनका ससुराल रीवा जिले के बियोहरा गांव का है। पति अरूण की मौत के बाद सास—ससुर इस बात पर अड़े थे कि बेटियों को गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ाओं, पर ये बात सोनू को मंजूर नहीं थी। सोनू का कहना है कि बेटियां यदि अच्छे से नहीं पढ़ेंगी तो फिर उनके भविष्य का क्या होगा। इसके बाद सोनू बेटियों को लेकर भोपाल आ गई। इसी बात से नाराज होकर सास मधु ने उस घर को भी बड़े बेटे के नाम कर दिया जिस घर में सोनू शादी के बाद से ही रह रही थी।
ससुराल पक्ष ने नहीं की बात
जब हमने सोनू के ससुर जगदीश पटेल से फोन पर बात करने की कोशिश की तो उन्होनें पूरा मामला सुनकर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। हमने उनका पक्ष जानने का प्रयास किया तो उन्होंने बीमार हूं कहकर फोन काट दिया।