नगर निगम रेलवे से वसूलेगी कचरा उठाने का पैसा, एमओयू की तैयारी

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Dev Shrimali
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 नगर निगम रेलवे से वसूलेगी कचरा उठाने का पैसा, एमओयू की तैयारी

GWALIOR .  नगर निगम हर वर्ष  स्वच्छता के नाम पर करोड़ो रुपए खर्च करता आ रहा है लेकिन स्वच्छता रैंकिंग ज्यों की त्यों  बनी हुई है। वह हर बार ग्वालियर नगर निगम स्वच्छता रेंकिग में पहले नम्बर पर आने का दावा करता है लेकिन फिसड्डी ही  रह जाता है । वह अब इसका ठीकरा रेलवे स्टेशन ,अस्पताल जैसे सरकारी संस्थानों के सिर फोड़ रहा है और इसके लिए कार्य योजना भी बनाई है। इसलिए स्वच्छता रैंकिंग को सुधारने के लिए नगर निगम अब शहर के सरकारी और निजी बड़ी संस्थानों से कचरा कलेक्शन के लिए एमओयू करेगा। इस एमओयू के माध्यम से बड़े सरकारी और निजी संस्थानों से जो कचरा कलेक्शन किया जायेगा उसके बदले नगर निगम उनसे पैसे वसूलेगा। इसके साथ ही निगम ने एमओयू में शर्त रखी है कि सरकारी और निजी बड़ी संस्थान रोज कचरा गाड़ी को सूखा गीला कचरा अलग अलग करके देंगे।इसके बाद कचरा सीधा केदारपुर स्थित लैंडफिल साइट पर पहुंचेगा वह कचरे से खाद बनाने का काम किया जाएगा।



हर रोज निकलता है 22 टन कचरा



निगम कमिश्नर किशोर कान्याल  का कहना  है कि नगर निगम सबसे पहले रेल विभाग के साथ एमओयू साइन कर रहा है। क्योंकि रेलवे स्टेशन पर भारी मात्रा में कचरा निकलता है  एक मोटे अनुमान के अनुसार रोज औसतन 22 टन कचरा  स्टेशन और उसके आसपास  इकट्ठा होता है।



जो संपत्ति कर नहीं देते उनसे ऐसे वसूलेंगे



नगर निगम का कहना है कि रेलवे के अलावा सरकारी अस्पताल  पुलिस लाइन,एसएएफ बटालियन, आवास सेना क्षेत्र, वन और जल संसाधन आदि बड़े विभागों से एमओयू कर निगम पैसे वसूलेगा क्योंकि यहां से निगम कोई संपत्ति कर प्राप्त नहीं करता है। एमओयू  की शुरुआत सबसे पहले रेलवे विभाग से की जा रही है एमओयू साइन होने के बाद रेलवे स्टेशन से कचरा कलेक्शन किया जाएगा।इसके साथ-साथ शहर की जितनी भी सरकारी और बड़ी निजी संस्थान है उनसे भी साइन जल्द किया जाएगा ताकि आगामी 2023 की स्वच्छता रैंकिंग को सुधारा जा सके।




अगला नम्बर  कॉलोनीज का



नगर निगम आयुक्त कान्याल का कहना है कि अब नगर निगम स्वच्छता को लेकर अपना दायरा बढ़ाने की तैयारी कर रहा है । इसमें सरकारी,दफ्तर,रेल परिसर और डिफेंस से सम्बंधित दफ्तर और कॉलोनियां तो ले ही रहे हैं अगले चरण में टाउन शिप के साथ भी ऐसे ही एमओयू करेंगे ताकि इनसे निकलने वाले सूखे और गीले कचरे का ठीक से संग्रहण और निस्तारण हो सके और निगम की आय में भी बढ़ोतरी हो सके। इसके लिए डाटा कलेक्शन का काम चल रहा है ताकि उसके हिसाब से इंफ्रा स्ट्रक्चर तैयार कर आगे की प्रक्रिया बढ़ाई जा सके।




पहले निजी कम्पनी के हाथ था कचरा संग्रहण




नगर निगम ने कचरा संग्रहण का काम पहले निजी हाथों में सौंपा था और ईको ग्रीन नाम चाइना से सम्बध्द कंपनी को इसका ठेका मिला था लेकिन इसका काम शुरू से विवादों में रहा । नगर निगम और कम्पनी के बीच टकराव की स्थिति बनी रहती थी आखिरकार ईको ग्रीन अपना बोरिया बिस्तर समेंटकर भाग निकली । इसके बाद से सफाई का काम खुद नगर निगम ही देख रही है ।


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