Bhopal. भोपाल। जिला कोर्ट ने भोपाल जेल में विचाराधीन बंदी की मौत के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने जेलर, 3 पुलिस अधिकारी, 4 पुलिसकर्मियों और एक मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर के खिलाफ धारा 302 (हत्या), 120 (षड़यंत्र रचने) और 201 (साक्ष्य मिटाने) का मामला दर्ज किया है। कोर्ट ने आरोपियों को समन जारी किया है, 27 जून को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए है।
जानिए क्या हैं पूरा मामला
4 जून 2015 में मोहसिन नाम के युवक को क्राइम ब्रांच थाना, भोपाल के चार पुलिस कर्मियों ने गिरफ्तार किया था। फरियादी पक्ष के मुताबिक मोहसिन के साथ क्राइम ब्रांच थाने में पुलिसकर्मी ऐहसान, मुरली, दिनेश और चिरोंजी ने मारपीट की थी। जिसके बाद उसे टीटी नगर थाना पुलिस को सौंप दिया गया था। टीटी नगर थाने में तत्कालीन टीआई मनीष राज भदौरिया, डीएल यादव ने भी मोहसिन के साथ मारपीट की और उसे करंट भी लगाया था। फरियादी पक्ष के वकील यावर खान ने बताया कि पुलिसकर्मियों ने मोहसिन को लूट के झूठे केस में गिरफ्तार किया था और उससे 2 लाख रुपए की मांग की थी।
गंभीर घायल अवस्था में जेल भेज दिया था
क्राइम ब्रांच थाना पुलिस और टीटी नगर थाना पुलिस की मारपीट की वजह से मोहसिन खान गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसी अवस्था में उसे जेल भेज दिया गया। फरियादी पक्ष का आरोप हैं कि मोहसिन के साथ जेल में भी मारपीट की गई थी। जेल अधिकारी आलोक वाजपेयी ने उसे प्रताड़ित किया था। मनोचिकित्सक डॉ. आरएन साहू ने उससे 1 लाख रुपए की मांग की थी। लेकिन जब फरियादी पक्ष उस मांग को पूरा नहीं कर पाए तो डॉ. साहू ने फर्जी सर्टिफिकेट जारी करते हुए मोहसिन को मानसिक रोगी करार दे दिया था।
19 दिन बाद हो गई मौत
23 जून 2015 को मोहसिन के परिजन को सूचना दी गई थी कि मोहसिन की ग्वालियर में मौत हो गई है। इस संदिग्ध मौत के खिलाफ परिजन ने तत्कालीन पुलिस अधिकारियों से शिकायत की थी और जांच की मांग की थी। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिसके बाद फरियादी पक्ष ने कोर्ट की शरण ली थी। 11 मई को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी स्नेहा सिंह की कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ हत्या, षड़यंत्र रचने और साक्ष्य मिटाने की धाराओं में केस दर्ज किया है।
अब अपील करेंगे डॉ. आरएन साहू
वहीं इस मामले में द सूत्र ने डॉ. आरएन साहू से बात की। पहले तो डॉ. साहू ने कहा कि उन्हें कुछ भी याद नहीं है। दोबारा पूछने पर उन्होने बताया कि एक मरीज को ग्वालियर मानसिक आरोग्यशाला रैफर किया था। जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी। मृतक के परिजन ने फर्जी सर्टिफिकेट बनाने का आरोप लगाया था। यानी डॉ. साहू को मामले की पूरी जानकारी है। हालांकि उनका ये भी कहना हैं कि कोर्ट के फैसले के खिलाफ वें उच्च न्यायालय में अपील करेंगे।