भोपाल. पैगंबर हजरत मोहम्मद साहिब के मेराज के आसमानी सफर की यादगार शब-ए-मेराज का पवित्र इस्लामी पर्व 28 फरवरी की रात कोमनाया जाएगा। इसमें रात में अनेक स्थानों पर दीये जलाए जाएंगे और कुरानख्वानी, दरूदख्वानी, नियाज फातेहा के धार्मिक कार्यक्रम होंगे। साथ ही मोहम्मद साहब की पवित्र निशानियों की जियारत की महफिलों समेत मजहबी जलसे और तकरीरें होंगी।
अल्लाह से मिलने गए थे मोहम्मद साहब: ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी के चैयरमेन पीरजादा डॉ. औसाफ शाहमीर खुर्रम मियां चिश्ती ने बताया कि मान्यतानुसार इस्लाम के प्रवर्तक हजरत मोहम्मद 1443 साल पहले अपने रब्बुल आलमीन अल्लाह पाक से मिलने के लिए आसमान से भी ऊपर अर्श-ए-आजम पर पहुंचे थे और इसी रात वापस भी आए। लिहाजा मुस्लिम धर्मावलंबियों में इस रात को विशेष इबादत करने का महत्व है। कई मुसलमान इसमें इबादत के साथ रोजे भी रखते हैं।
यहां होंगे कार्यक्रम: खुर्रम मियां चिश्ती के मुताबिक, शब-ए-मेराज में भोपाल समेत प्रदेश की अनेक मस्जिदों, खानकाहों, दरगाहों, मदरसों में जलसों के साथ दीये जलाए जाएंगे और तबर्रू (प्रसाद) बांटा जाएगा। साथ ही सूफियाना कव्वाली की महफिलें भी होंगी। धार्मिक जलसों में उलेमा तकरीरों में हजरत साहब की जीवनी पर प्रकाश डालेंगे।
सुन्नी सकलैनी जामा मस्जिद के अध्यक्ष एवं ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी (मध्य प्रदेश इकाई) के उपाध्यक्ष सूफी नूरउद्दीन सकलैनी ने बताया कि 28 फरवरी को शाम से ही जश्न-ए-शब-ए मेराज का कार्यक्रम शुरू होगा और इंशा की नमाज के बाद उलेमाओं की तकरीर होगी। उसके बाद पैगंबर हजरत मोहम्मद की पवित्र निशानियों की जियारत शुरू होगी। कार्यक्रम के दूसरे दिन 1 मार्च को महिलाओं के लिए जियारत का कार्यक्रम होगा।