NEEMUCH: एमएसएमई मंत्री ने आंगनबाड़ियों से वापस मांगा पैसा! 2021 में स्वेच्छानुदान मद से दिए थे 13.13 हजार

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The Sootr CG
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NEEMUCH: एमएसएमई मंत्री ने आंगनबाड़ियों से वापस मांगा पैसा! 2021 में स्वेच्छानुदान मद से दिए थे 13.13 हजार

कमलेश सारडा, NEEMUCH. 2 महीने पहले 3 जून को नीमच जिले के जावद (Jawad) सीट से विधायक (MLA) और एमएसएमई मंत्री (MSME Minister) ओमप्रकाश सखलेचा (Omprakash Sakhlecha) ने स्वेच्छानुदान मद (donation item) से 56 लाख 68 हजार रु. 436 आंगनबाड़ियों (Anganwadis) को दिए थे। उन पैसों को वापस मांगा जा रहा है और एक प्राइवेट अकाउंट में पैसा ट्रांसफर करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इस मामले में द सूत्र ने एमएसएमई मंत्री ओपी सखलेचा से भी बात की थी तो उन्होंने कलेक्टर (Collector Mayank Agarwal) को जांच के लिए कहा था। कलेक्टर ने एसडीएम को जांच प्रतिवेदन देने के लिए कहा, मगर अब कलेक्टर मयंक अग्रवाल सुर बदले हुए हैं। कलेक्टर ने साफ कहा कि इस मामले में किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं हुई है, जबकि पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने सीएम शिवराज (CM Shivraj Singh Chouhan) को एक पत्र लिखकर इसमें घोटाले की आशंका जताई थी। इसके बाद भी मामले में लीपापोती कर दी गई और कलेक्टर मयंक अग्रवाल के बदले सुर से ऐसा ही लग रहा है।





कलेक्टर ने एसडीएम और महिला बाल विकास अधिकारी से मांगा था जांच प्रतिवेदन





कलेक्टर अग्रवाल ने पुराने बयान में कहा था कि उन्होंने एसडीएम और जिले के महिला बाल विकास अधिकारी से जांच प्रतिवेदन मांगा है। दरअसल, मामला ऐसा है कि जावद सीट से विधायक और प्रदेश के एमएसएमई मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने 10 मार्च 2021 को कलेक्टर को एक पत्र लिखा और कहा कि उनके स्वेच्छानुदान मद की राशि से 56 लाख 68 हजार रुपए 436 आंगनबाड़ियों को आवंटित किए जाएं। यानी हर आंगनबाड़ी को 13.13 हजार रुपए देने का मामला था। मंत्री का पत्र मिलने के बाद आंगनबाड़ियों को पैसा आवंटित कर दिया गया। एक साल बाद इस मामले में नया मोड़ तब आया जब 30 मई 2022 को आंगनबाड़ियों के वाट्सऐप ग्रुप पर महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी ने मैसेज किया। लिखा कि मंत्री महोदय ने खिलौने और बाकी सामग्री के लिए जो राशि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं के खाते में जमा की थी वो सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के अकाउंट नंबर 5224888755 के खाते में जमा करवाएं। द सूत्र ने पता किया तो खाता काबरा कंस्ट्रक्शन एंड एंटरप्राइज के नाम से है। इस मैसेज के बाद द सूत्र ने जावद के विधायक और एमएसएमई मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा से बात की तो उन्होंने कहा कि पैसा वापस नहीं मांगा गया और उन्होंने कलेक्टर को जांच के लिए कहा था। इसके बाद दिग्विजय सिंह ने भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर मामले की जांच का अनुरोध किया था क्योंकि महिला बाल विकास विभाग बतौर मंत्री मुख्यमंत्री के ही पास है। लेकिन दो महीने बाद अब इस मामले की क्या स्थिति तो अबतक 15 लाख रु. काबरा कंस्ट्रक्शन के खाते में जमा चुके हैं। द सूत्र ने मामला सामने आने के बाद जावद के एसडीएम से बात की तो उस वक्त उन्होंने पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव का हवाला दिया था। चुनाव होने के बाद एक बार फिर एसडीएम को फोन लगाया कि तो वो ये बताने के लिए तैयार नहीं कि मामले की जांच की है या नहीं और तो और कलेक्टर मयंक अग्रवाल के भी सुर बदल गए। कलेक्टर ने तो स्वेच्छानुदान राशि के नियम बताने लगे। लेकिन जब उनसे पूछा कि पैसा वापस मांगा गया। तो कलेक्टर इस बात से ही मुकर गए कि पैसा वापस तो मांगा ही नहीं गया। यानि कलेक्टर ने सीधे-सीधे पल्ला झाड़ लिया।





मौजूदा बीजेपी मंडल अध्यक्ष सचिन गोखरू के दोस्त का है काबरा कंस्ट्रक्शन





द सूत्र ने की पड़ताल में सामने आया कि काबरा कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर नितिन काबरा मौजूदा बीजेपी मंडल अध्यक्ष सचिन गोखरू के दोस्त हैं। जैसे ही द सूत्र ने इस मामले को उठाया तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने काबरा कंस्ट्रक्शन के खाते में पैसा डालना बंद कर दिया था। इसलिए 56 लाख में से 15 लाख रुपए ही वापस हुए हैं। यानी 41 लाख रुपए अभी भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के पास है, जिसमें से कइयों ने आंगनबाड़ी के लिए खिलौने और बाकी सामान खरीदा है लेकिन इसका भी प्रशासन फिजिकल वैरिफिकेशन नहीं कर पाया है। साथ ही बताया जाता है कि जिन्होंने पैसा जमा करवाया उनसे सहमति पत्र लिखवाया गया था। लेकिन इसके कोई प्रमाण द सूत्र के पास नहीं है। एक विधायक को स्वेच्छानुदान मद से राशि तौर के तौर पर 50 लाख रुपए सालाना मिलते हैं और मंत्री को 1 करोड़ रुपए सालाना। ये जनता के टैक्स का पैसा है, जो विधायकों को और मंत्रियों को जनता को ही सुविधा देने के लिए मिलता है। स्वेच्छानुदान मद से जरूरतमंद को दी गई राशि वापस नहीं ली जाती। मगर मप्र में ये पहला मामला है, जिसमें पैसा वापस मांगा गया और एक प्राइवेट फर्म के अकाउंट में जमा करने के लिए कहा गया। साफ है कि कहीं ना कहीं इसमें घोटाला है और अधिकारियों का जो जवाब मिला है वो इस तरफ इशारा कर रहा है कि घोटाले को दबाने की पूरी पूरी कोशिश की जा रही है।



 



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