Bhopal. 7 साल बाद चुनकर आने वाले पंचायतों के नव निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग भरपूर राजस्व की व्यवस्थाओं को जुटा रहा है। इसके लिए गांवों में भी अब सरकार प्रॉपर्टी टैक्स वसूलेगी। इसमें 6 हजार रुपए से अधिक कीमत की संपत्ति से संपत्ति-कर वसूला जाएगा। इसके अलावा पंचायतों में शहरों की तर्ज पर वॉटर टैक्स, यहां लगने वाले मेला, तहबाजारी वसूला जाएगा। इसके अलावा गांवों में बाजार फीस नाम से एक नया टैक्स भी लगाया जाएगा। इस कवायद के पीछे सरकार की मंशा पंचायतों की आय बढ़ाना है।
गांवों में होगी वसूली
टैक्स वसूली को लेकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने सभी कलेक्टरों को पंचायतों के माध्यम से इसमें संचालित होने वाले हाट बाजार, दुकानों, मॉल, शॉपिंग कॉम्पलेक्स सहित तमाम व्यवसायिक प्रतिष्ठानों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार ऐसी संपत्ति से टैक्स वसूलेगी जिसकी कीमत 6 हजार रुपए से ज्यादा होगी। इसके तहत पंचायत क्षेत्र में आने वाली निजी, आवासीय एवं व्यवसायिक संपत्तियों के अलावा निगम, मंडल, बोर्ड, प्राधिकरण, विद्युत वितरण कंपनी सहित अन्य की संपत्तियों से भी टैक्स वसूला जाएगा। कलेक्टरों को 31 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गए हैं। टैक्स का निर्धारण ग्राम पंचायत स्तर पर होगा, पंचायतों को टैक्स वसूली का पूरा डाटा ऑनलाइन रखना होगा।
यह टैक्स वसूलेगी पंचायत
ग्रामीण इलाकों में सरकार संपत्ति कर के अलावा जल कर, स्ट्रेट लाइन कर, मेला-बाजार टैक्स वसूला जाएगा। ग्रामीण इलाकों में लगने वाले हॉट बाजारों में तहबाजारी भी शुरू की जा रही है। पंचायतों के गठन के बाद इसमें और तेजी आएगी। ग्रामीण इलाकों में जिन मकान मालिकों के खाते नहीं खुले हैं, उनके खाते खोले जाएंगे। जिससे उनसे टैक्स वसूल किया जा सके। ग्रामीण इलाकों में भी भवन अनुज्ञा को अनिवार्य किया गया है। अब इसमें सख्ती और लाई जाएगी। खासतौर से उन गांवों में जो शहरों से सटे हुए हैं और यहां तेजी से निर्माण हो रहा है। ऐसे इलाकों में अव्यवस्थित विकास न हो इसको लेकर भवन अनुज्ञा को अनिवार्य किया गया है। ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता और पीने के पानी पर भी टैक्स वसूलना शुरू कर दिया जाएगा।
आमदानी बढ़ाने पर जोर
आर्थिक तंगी से जूझ रही राज्य सरकार पंचायतों के जरिए आय बढ़ाने के नए रास्ते खोज रही है. राज्य सरकार ने इसके लिए पंचायतों का रास्ता चुना है, जिससे पंचायतों के जरिए राजस्व की व्यवस्था हो सके और सरकार को भी राहत मिल सके।