भोपाल. देश के गरीब राज्यों में मध्य प्रदेश चौथे स्थान (4th Position) पर है। नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) में ये बात सामने आई है। सूचकांक के मुताबिक, प्रदेश की 37% आबादी गरीब है यानी करीब ढाई करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे रह रहे हैं। पहले नंबर पर बिहार (52%), दूसरे पर झारखंड (42%) और तीसरे पर उत्तर प्रदेश (38%) हैं। नीति आयोग ने पहला मल्टी-डाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स (MPI) जारी किया है। इसके मुताबिक गरीबी के मामले में जो 5 राज्य टॉप पर हैं, उनमें से 4 बीजेपी शासित हैं। मध्य प्रदेश में भी साल 2003 से लगातार (दिसंबर 2018 से मार्च 2020 छोड़कर) बीजेपी की सरकार है। शिवराज सिंह चौहान 2005 से मुख्यमंत्री हैं।
कई दावे, पर हकीकत कुछ और
अलीराजपुर में सबसे ज्यादा 71% आबादी गरीब है। झाबुआ में 69% तो बड़वानी में 62% लोग गरीब हैं। ये इलाके कुपोषण (Malnutrition) के भी शिकार हैं। 2011 की जनगणना (Census) के मुताबिक, भारत का सबसे कम साक्षर जिला अलीराजपुर विकास के वादे के साथ 17 मई 2008 को झाबुआ से अलग जिला बनाया गया था। गठन के 13 साल बाद भी यह मध्य प्रदेश का सबसे गरीब जिला है।
3 मानकों पर रिपोर्ट तैयार
MPI के तीन मानक (Standards) हैं- स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर। जीवन स्तर में पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, प्रसवपूर्व देखभाल, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पीने का पानी 12 संकेतकों में दर्शाए जाते हैं। पानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते भी इसमें शामिल हैं। रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के सभी जिलों में 40% से ज्यादा आबादी गरीबी की मार झेल रही है।
सबसे कम गरीबी केरल में
देश में सबसे कम गरीबी केरल (0.71%) में है। इसी तरह, गोवा और सिक्किम (4%), तमिलनाडु (5%) और पंजाब (6%) पूरे देश में सबसे कम गरीब लोग वाले राज्य हैं। ये इंडेक्स में सबसे नीचे हैं।
कांग्रेस का आरोप- शिवराज सरकार MP को गरीबी में आगे बढ़ा रही
रिपोर्ट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि बीजेपी के कुशासन की प्रतीक, केंद्र सरकार की यह रिपोर्ट शिवराज सरकार को आईना दिखाने के लिए काफी है। मध्य प्रदेश देश में कुपोषण, शिशु मृत्युदर और स्कूल में बच्चों के गैर हाजिर रहने के मामले में तीसरे नंबर पर है। सरकार मध्य प्रदेश को गरीबी में आगे बढ़ा रही है।
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