UJJAIN. धार्मिक नगरी उज्जैन काफी प्राचीन नगरों में से एक है। ये शहर अपने आप में कई धार्मिक मान्यताएं समेटे हुए है। उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के ठीक ऊपर बना भगवान नागचंद्रेश्वर का मंदिर भी कई रहस्यों से परिचय कराता है। ये दुनिया में एकमात्र ऐसा मंदिर है, जो साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी के दिन ही खुलता है।
11वीं शताब्दी की भगवान नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा
जानकारों का कहना है कि इस मंदिर में भगवान नागचंद्रेश्वर की जो प्रतिमा है। वो 11वीं शताब्दी की है। साथ ही ऐसी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन इस मंदिर में तक्षक नाग स्वयं मौजूद रहते हैं। इस प्रतिमा में फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं। कहते हैं ये प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।
पूरी दुनिया में एकमात्र मंदिर जहां महादेव सर्प शैय्या पर विराजमान
पूरी दुनिया में ये एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शैय्या पर विराजमान हैं। मूर्ति में शिव, गणेश और मां पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शैय्या पर विराजे हुए हैं। महादेव के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं।
1 अगस्त की रात 12 बजे खुलेंगे नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट
नागपंचमी पर साल में एक बार होने वाले भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए 1 अगस्त की रात 12 बजे पूजन अभिषेक के साथ मंदिर के पट खुलेंगे। दो अगस्त नागपंचमी को रात 12 बजे मंदिर में फिर पूजन और आरती कर पट बंद कर दिए जाएंगे। श्रद्धालुओं को नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने में किसी तरह की परेशानी न हो। इसके लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं।