पीएम मोदी ने लीवर उठाकर चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा, बिग कैट की फोटो भी खींची

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Dev Shrimali
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पीएम मोदी ने लीवर उठाकर चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा, बिग कैट की फोटो भी खींची

GWALIOR. श्योपुर में आखिरकार 17 सितंबर को 11.30 बजे इंतजार खत्म हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लीवर घुमाकर पिंजरे से चीतों को पालपुर कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ दिया। नामीबिया की राजधानी विंडहॉक से 8 चीतों (5 मादा, 3 नर) को लेकर विशेष विमान पहले ग्वालियर पहुंचा, फिर चिनूक हेलिकॉप्टर से चीतों को कूनो लाया गया। मोदी के पास कैमरा भी था, उन्होंने चीतों की फोटो भी खींची। मध्य प्रदेश में ही 1948 में आखिरी चीते को मार दिया गया था। 1952 में सरकार ने भारत से चीतों के विलुप्त होने का ऐलान कर दिया था।  



मोदी के भाषण के 3 पॉइंट्स



टूटी कड़ी को जोड़ने का मौका मिला



आज सौभाग्य से हमारे सामने ऐसा क्षण है, सदियों पहले जैव विविधता की जो कड़ी टूट गई थी, हमें उसे जोड़ने का मौका मिला है। भारत की धरती पर चीता लौट आया है। इसी के साथ भारत की प्रकृति की चेतना जागृत हो गई है। मैं नामीबिया सरकार का भी धन्यवाद करता हूं, जिनके सहयोग से चीते भारत की धरती पर वापस लौटे। ये ना केवल प्रकृति के जिम्मेदारी का बोध कराएंगे, बल्कि मानव मूल्यों का भी बोध कराएंगे।



दशकों तक चीते लाने का प्रयास नहीं हुआ



1947 में जब तीन चीते बचे थे, तब गैर जिम्मेदारी से शिकार कर लिया गया। हमने 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित तो कर दिया लेकिन दशकों तक उनके लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ। अब देश चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है। मुझे खुशी है कि कर्तव्य और विश्वास का ये अमृत चीतों को भारत की धरती पर पुनर्जीवित कर रहा है। ये एक ऐसा कार्य है, राजनीतिक दृष्टि से जिसे कोई महत्व नहीं देता। इसके लिए विस्तृत चीता प्लान तैयार किया, नामीबियाई एक्सपर्ट्स के साथ मिलकर काम किया। चीतों के लिए सबसे उपयुक्त क्षेत्र का सर्वे किया और कूनो को चुना। आज हमारी मेहनत परिणाम के रूप में सामने है। 



कूनो में इको टूरिज्म बढ़ेगा



कूनो नेशनल पार्क में जब चीता फिर से दौड़ेगा तो यहां का ग्रासलैंड इकोसिस्टम मजबूत होगा, बायोडायवर्सिटी बढ़ेगी। आने वाले दिनों में यहां इकोटूरिज्म भी बढ़ेगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। मैं सभी देशवासियों से आग्रह करता हूं कि कूनो में छोड़े गए चीतों के देखने के लिए कुछ दिन इंतजार करना पड़ेगा। चीते इस क्षेत्र से अनजान हैं, वे यहां घर बना पाएं, इसके लिए उन्हें समय देना होगा। हम चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। हमें इसे विफल नहीं होने देना है।



चीतों का आना ऐतिहासिक- शिवराज

 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर मध्य प्रदेश के लिए इससे बड़ी सौगात नहीं हो सकती कि चीते नामीबिया से भारत, भारत में भी मध्यप्रदेश, मध्यप्रदेश में भी कूनो पालपुर आ रहे हैं। चीता भारत से विलुप्त हो गया था। चीते को पुनर्स्थापन करने का ऐतिहासिक काम हो रहा है। वन्य जीवन की यह इस सदी की सबसे बड़ी घटना है। इससे मध्य प्रदेश में पर्यटन बहुत तेजी से बढ़ेगा, उस क्षेत्र के लिए तो यह वरदान होगा।




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एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान।




देर से पहुंचा विशेष विमान 



नामीबिया से बीती शाम को रवाना हुए इस विमान को सुबह सात बजे के लगभग ग्वालियर पहुंचना  था लेकिन यह लगभग आठ बजे के आसपास ग्वालियर पहुंचा। कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ,एसपी अमित सांघी और वन्य प्राणी विशेषज्ञ और चिकित्सकों का दस्ता यहाँ पहले से ही मौजूद था। यहां पहले विशेषज्ञों की टीम ने उन्हें  विमान से बाहर निकाला और फिर उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इसके बाद उन्हें ट्रांजिट के लिए पहले से तैयार खड़े एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर में सवार किया गया। इन हेलीकॉप्टर में इन चीतों के लेकर पहुंचा विशेषज्ञों का दल भी सवार होकर चीतों के साथ गया। इस दल में भारतीय वन्य प्राणी संस्थान के डीन डॉ वाय एस झाला और नामीबिया से आये विशेषज्ञों के दल के सदस्य प्रो एड्रिन ,डॉ लारी मारकर और डॉ विन्सेंट भी शामिल हैं। 




— ANI (@ANI) September 17, 2022



सिंधिया भी रहे मौजूद 



नामीबिया से चीता लेकर पहुंचे विशेष विमान के समय केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद रहे।  उन्होंने उन्हें विमान से निकालकर हेलीकॉप्टर में शिफ्ट करने की पूरी प्रक्रिया को वही खड़े होकर देखा बल्कि जरूरी सुझाव देते हुए भी नज़र आये। 



कूनो में ही नाश्ता करेंगे चीते 



 इस अभियान से जुड़े सूत्रों ने बताया कि  चीतों को रास्ते में खाने को कुछ नहीं दिया गया, ताकि वे यात्रा के दर्जन शौचादि न करें। ग्वालियर में ट्रांजिट के दौरान भी उन्हें कुछ भी नहीं खिलाया गया।  लेकिन कूनो पहुंचने के बाद इनके पिंजड़ों में थोड़ा भोजन दिया जाएगा। इसके लिए भैंसे के मांस की व्यवस्था है। लेकिन इन्हे पूरा भोजन पिंजड़े से बाहर आने का बाद ही मिलेगा वह भी  शिकार के जरिये नहीं बल्कि नेशनल  पार्क में द्वारा बनाये गए प्लेटफार्म पर रखा हुआ मिलेगा। 



शाम को रवाना हुई थी फ्लाइट 



नामीबिया से इन आठ चीतों को लेकर विशेष विमान बी 474 ने भारतीय समयानुसार लगभग साढ़े पांच बजे भारत के लिए उड़ान भरी थी । इस मौके पर नामीबिया के तमाम वन्य प्राणी विशेषज्ञ और वहां के ब्यूरोक्रेट तथा भारत के राजनयिक मौजूद थे। बताया गया कि यह क्षण अत्यंत भावुक था। यह विमान गुरूवार को ही  ही विंडहोक पहुँच गया था वहां विशेषज्ञों ने इसका लंबा तकनीकी परीक्षण किया और कल  दोपहर में इनके अंतरण की कानूनी औपचारिकताएँ पूर्ण करने के बाद इन्हे शाम पांच बजे अलग-अलग कैब्स में कैद करके एयरपोर्ट पर लाया गया। इसके बाद इन्हें वहां पहले से मौजूद भारतीय वन्य प्राणी संस्थान के डीन डॉ वाय एस झाला के सुपुर्द किया गया गया था  वे अन्य विशेषज्ञों के साथ विमान में सवार हुए और फिर इस विमान ने भारत के लिए अपनी उड़ान भरी। नामीबिया सरकार ने इस कार्यवाही की जानकारी औपचारिक रूप से भारत सरकार से साझा की। 



क्वारंटाइन में दूर से ही भोजन मिलेगा 



अभी यह चीते निर्धारित क्वारंटाइन में ही रहेंगे। इस दौरान इनको शिकार से पूरी तरह दूर रखा जाएगा और दूर रहकर ही बाहर से इनके लिए भोजन की व्यवस्था की जाएगी।  



अभी मैन्यू में सिर्फ भैंसे का मांस 



शुरुआती दिनों में इनको नए बसेरे के वातावरण  से परिचय होने में थोड़ा समय  लगेगा इसलिए  कम और लाइट फ़ूड ही इनके मैन्यू में शामिल रहेगा । इन्हे सप्ताह में दो दिन भैंसे का मांस परोसा जाएगा और इनके स्वास्थ्य और पाचन क्रिया की कड़ी निगरानी की जायेगी। इनको प्रतिदिन दी जाने वाली डाइट का निर्णय इनके साथ ही आ रहे प्रो एड्रिन ,डॉ लारी मारकर और डॉ विन्सेंट की टीम करेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक इन्हे शिकार के लिए नहीं छोड़ा जाता तब तक  भैंसे के मांस को ही इनके मैन्यू  में शामिल करने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि एक तो यह हर जगह आसानी से उपलब्ध है और दूसरे इसके लाइसेंसी सप्लायर सब जगह आसानी से मिल जाते है। 



फिलहाल छोटे बाड़े में ही रहेंगे मेहमान 



तय शेड्यूल के अनुसार नामीबिया से आ रहे यह अफ्रीकी चीते अपने क्वारंटाइन  का समय एक माह तक  कूनो नेशनल  पार्क के छोटे बाड़े में ही काटेंगे।  पीएम मोदी इन्हें इसी बाड़े में आज़ाद करेंगे। यह बाड़ा लगभग 1500 वर्गमीटर में बनाया गया है। इसके पीछे सोच यह है कि इनको इस अन्य आशियाने के हैबिटेट से और यहाँ के ईको से फ्रेंडली होने में कुछ समय लगेगा। इसके बाद इन्हे इससे बड़े बाड़े में शिफ्ट किया जाएगा और फिर नेशनल  पार्क के वृहद इलाके में विचरण करने लगेंगे। 



प्रशिक्षित दस्ता करेगा देखरेख 



नामीबिया से आ रहे इन अफ्रीकी चीतों की कूनो में देखभाल भी सामान्य वन कर्मियों के हवाले नहीं रहेगी बल्कि एक प्रशिक्षित दस्ता यह व्यवस्था संभालेगा। यह दस्ता नामीबिया से ही इसकी ट्रेनिंग लेकर आया है। वन विभाग ने विगत मई माह में एक दल नामीबिया  भेजा था जिसने वहां इन्हीं चीतों के साथ रहकर उनकी मनोदशा और जीवन शैली का विशद अध्ययन किया और उनकी देखरेख की औपचारिक ट्रेनिंग भी ली। अब इस दस्ते ने दो दिन पहले ही कूनो में जाकर अपनी कमान संभाल ली है। 



काले हिरणों  को नजरों से बचाने का इंतज़ाम 



चीता के पसंदीदा काम में काले हिरणों का शिकार करना है और अभी एक माह तक उन्हें शिकार से दूर रखना है इसलिए पहले बाड़े का निर्माण  इस ढंग से किया गया है कि नेशनल  पार्क में मौजूद काले हिरणों का शिकार करना तो दूर वे इन चीतों की आँखों के सामने भी न आ पाएं।  इसके लिए इसी तरह की लेंड स्केपिंग की गयी है और कंटीले तार  भी लगाए गए हैं और गहरी खाई भी खोदी गयी है लेकिन इस बात का ख़ास ख्याल रखा गया है कि इनसे मेहमान चीतों को किसी तरह का कोई नुक्सान न पहुंचे। 



फिलहाल भोजन का पर्याप्त बंदोबस्त 



इस नेशनल पार्क से जुड़े सूत्रों के अनुसार कूनो में इन मेहमानों के लिए भोजन की पर्याप्त व्यवस्था है। इसकी तैयारी  दो वर्ष से चल रही है।  1200 चीतल अलग-अलग जगह से लाकर  छोड़े गए हैं।  उम्मीद की जा रही है कि इनके कुनबे में भी इजाफा होने से इनकी संख्या भी बढ़ी होगी। सूत्रों का मानना है कि चीतों को भोजन में कोई दिक्कत नहीं होगी क्योंकि इस क्षेत्र में पहले से भी बड़ी संख्या में हिरण ,चीतल और जंगली सुअर पाए जाते हैं। नामीबिया में भी काले हिरण और साम्भर से मिलते -जुलते कद और स्वरुप वाले जानवर  पाए जाते है जो इन चीतों की सर्वाधिक पसंद है। चीते उन्हें ही समझकर इनके शिकार के लिए लालयित होंगे। 



ग्वालियर से कूनो के लिए चिनूक हेलिकॉप्टर में निकले थे चीते




— ANI (@ANI) September 17, 2022



एमपी गजब है...



मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट, तेंदुआ स्टेट, वल्चर स्टेट, घड़ियाल स्टेट के बाद अब चीता स्टेट भी हो गया। मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बाघ 526, सबसे ज्यादा तेंदुए 3421, 30% हिस्से से ज्यादा पर जंगल, 10 नेशनल पार्क, 6 टाइगर रिजर्व, 25 वन्यजीव अभयारण्य हैं। घड़ियाल और वल्चर भी मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा हैं।


पीएम मोदी PM Modi Cheetah in Kuno PM in Sheopur Kono National Park चीता कूनो में श्योपुर में पीएम कोनो नेशनल पार्क