दुनियाभर से कर्ज लेकर भी साफ नहीं हुई नर्मदा, 4 साल में चले अढ़ाई कोस

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Anjali Singh
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दुनियाभर से कर्ज लेकर भी साफ नहीं हुई नर्मदा, 4 साल में चले अढ़ाई कोस

Bhopal. अंकुश मौर्य. मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी को साफ करने के लिए राज्य सरकार की तमाम कोशिशें नाकाम होती नजर आ रही हैं। नर्मदा को लेकर अधिकारियों के ढुलमुल रवैये के कारण कोई भी काम समय सीमा में नहीं हो पाता। द सूत्र खुलासा करने जा रहा हैं कि कैसे दुनियाभर से कर्ज लेकर भी नर्मदा साफ नहीं हो पा रही। कैसे सैकड़ों करोड़ की योजनाएं चार साल साल में अढ़ाई कोस ही चल सकी हैं। इन प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा कराने की जिम्मेदारी नगरीय विकास एवं आवास विभाग की एमपी अर्बन डेवलपमेंट कंपनी की है। 



अमरकंटक से बड़वानी तक नर्मदा को साफ रखने, नर्मदा जल को शुद्ध करने के लिए नदी किनारे बसे शहरों में सीवरेज लाइन और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। साथ ही उन शहरों और कस्बों में भी ये प्रोजेक्ट्स चल रहें हैं, जहां से निकलने वाले नाले नर्मदा या उसकी सहायक नदियों में जाकर मिलते हैं। इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने एशियन डेवलपमेंट, वर्ल्ड बैंक और केएफडब्ल्यू डेवलपमेंट बैंक जर्मनी से सैकड़ों करोड़ रुपए का कर्ज लिया है।



महेश्वर, शाजापुर, जबलपुर, नसरुल्लागंज, शहडोल और छिंदवाड़ा में सीवरेज लाइन और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए वर्ल्ड बैंक

होशंगाबाद, मंडला, नरसिंहपुर, बड़वानी और सेंधवा में प्रोजेक्ट के लिए केएफडब्ल्यू डेवलपमेंट बैंक जर्मनी

बड़वाह, अंजड़, साईंखेड़ा और सनावद में एशियन डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लेकर सीवरेज लाइन और ट्रीटमेंट प्लांट का काम चल रहा हैं।



डेडलाइन खत्म, 50 फीसदी भी नहीं हुई प्रोग्रेस



केएफडब्ल्यू डेवलपमेंट बैंक जर्मनी के प्रोजेक्ट्स की स्थिति

होशंगाबाद – प्रोग्रेस- 20 फीसदी, एमपीयूडीसीएल की डेडलाइन- दिसंबर 2022, लागत – 170 करोड़ रुपए

बड़वानी – प्रोग्रेस – 38 फीसदी, एमपीयूडीसीएल की डेडलाइन- दिसंबर 2022, लागत – 105 करोड़ रुपए

सेंधवा – प्रोग्रेस – 38 फीसदी, एमपीयूडीसीएल की डेडलाइन – दिसंबर 2022, लागत – 79 करोड़ रुपए

नरसिंहपुर – प्रोग्रेस – 28 फीसदी, एमपीयूडीसीएल की डेडलाइन- दिसंबर 2022, लागत 105 करोड़ रुपए

मंडला – प्रोग्रेस – 18 फीसदी, एमपीयूडीसीएल की डेडलाइन- दिसंबर 2022, लागत- 110 करोड़ रुपए



इसी तरह....



वर्ल्ड बैंक के प्रोजेक्ट्स की प्रोग्रेस रिपोर्ट

महेश्वर – प्रोग्रेस - 37 फीसदी, एमपीयूडीसीएल की डेडलाइन – जून 2022, लागत- 42 करोड़ रुपए

शहडोल – प्रोग्रेस – 03 फीसदी, एमपीयूडीसीएल की डेडलाइन – दिसंबर 2023, लागत – 172 करोड़ रुपए

शाजापुर – प्रोग्रेस – 57 फीसदी, एमपीयूडीसीएल की डेडलाइन – जून 2022, लागत – 98 करोड़ रुपए

छिंदवाड़ा – प्रोग्रेस – 72 फीसदी, एमपीयूडीसीएल की डेडलाइन – जून 2022, लागत – 239 करोड़ रुपए

नसरुल्लागंज – प्रोग्रेस- 51 फीसदी, एमपीयूडीसीएल की डेडलाइन – सितंबर 2022, लागत – 41 करोड़

जबलपुर (भेड़ाघाट) – प्रोग्रेस - 35 फीसदी, एमपीयूडीसीएल की डेडलाइन – सितंबर 2022, लागत



एशियन डेवलपमेंट बैंक से चल रहे प्रोजेक्ट्स की प्रोग्रेस रिपोर्ट

बड़वाह – प्रोग्रेस – 27 फीसदी, एमपीयूडीसीएल की डेडलाइन – सितंबर 2022

अंजड़ – प्रोग्रेस – 66 फीसदी, एमपीयूडीसीएल की डेडलाइन – सितंबर 2022

साईंखेड़ा – प्रोग्रेस – 66 फीसदी, एमपीयूडीसीएल की डेडलाइन – सितंबर 2022

सनावद – प्रोग्रेस – 03 फीसदी, एमपीयूडीसीएल की डेडलाइन – अगस्त 2023



मध्यप्रदेश अर्बन डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड के अधिकारियों ने ज्यादातर प्रोजेक्ट्स की डेडलाइन दिसंबर 2022 बताई हैं। जबकि सूत्रों का कहना हैं कि जिन योजनाओं की डेडलाइन 2022 बताई जा रही हैं, एग्रीमेंट के मुताबिक उन्हें 2021 में ही पूरा हो जाना था। 



20 साल में वापस देना हैं 70 फीसदी कर्ज

इन योजनाओं के लिए एडीबी, वर्ल्ड बैंक और केएफडब्ल्यू से मध्यप्रदेश सरकार को मिला सैकड़ों करोड़ का कर्ज 20 साल के लिए मिला है। योजनाओं पर खर्च होने वाली राशि का 70 फीसदी हिस्सा इन बैंकों ने दिया है, बाकि 30 फीसदी राज्य सरकार लगा रही है। कर्ज वापसी में 82.5 फीसदी राशि राज्य सरकार को देनी होगी और 17.5 फीसदी राशि संबंधित निकाय वहन करेगा।



कोरोना ने लेट कराया

नर्मदा नदी को साफ करने के लिए चल रहे प्रोजेक्ट्स की लेटलतीफी की वजह कोरोना बताई जा रही है। मध्यप्रदेश अर्बन डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड के टेक्निकल ऑफिसर कमलेश भटनागर का कहना हैं कि कोरोना की वजह से लॉकडाउन लगा था। जिसके कारण काम पूरा करने में देरी हुई है। एसटीपी के लिए जगह की तलाश में भी समय खराब हुआ है।


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