कथावाचक प्रदीप मिश्रा ने केपी यादव के MP बनने की वजह बताई तो तालियां बजीं, लेकिन सिंधिया समर्थक मंत्री असहज हो गए

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Dev Shrimali
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कथावाचक प्रदीप मिश्रा ने केपी यादव के MP बनने की वजह बताई तो तालियां बजीं, लेकिन सिंधिया समर्थक मंत्री असहज हो गए

उमेश शर्मा, ASHOK NAGAR. जैसे -तैसे प्रदेश में चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं नेता कथा और भागवत के आयोजन कराने में ज्यादा सक्रिय होते जा रहे हैं। ऐसी ही एक कथा का आयोजन अशोक नगर में भी हो रहा है, जिसे गुना के सांसद डॉ केपी सिंह यादव ने कराया है। इसके कथावाचक इन दिनों देश भर में चर्चित सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा हैं। उन्होंने कथा के दौरान एक ऐसी बात कह दी जिससे पंडाल में तो तालियां गूंजने लगी , डॉ यादव मुस्कराने लगे लेकिन मंच के पास ही बैठे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक मंत्री काफी असहज हो गए। कथा वाचक ने बताया कि उन्हें भोपाल नहीं जाना था, क्योंकि उन्हें तो दिल्ली पहुंचना था। 



अभी चल रही है कथा 



अशोक नगर के नवीन कृषि मंडी मे जिसे राज्यराजेश्वर महादेव की नगरी अशोक नगर कहा जाता है, उसमें सांसद डॉ केपी यादव के द्वारा शिव तर्पण महापुराण कथा का आयोजन रखा गया है। जिसमें सीहोर के संत प्रदीप मिश्रा के मुख से एकाएक व्यास पीठ से बीच में कथा कर रहे हैं। विगत 19 सितंबर से शुरू हुई इस कथा का आयोजन 25 सितम्बर तक चलना है। इसमें हजारों श्रद्धालु तो जुट ही रहे हैं प्रदेश भर से नेता भी आ रहे हैं।  हर रोज कोई न कोई बड़ा नेता ,विधायक या सांसद भी इसमें पहुंचता है। 



बोले- बाबा ने सांसद बनाया 



विगत दिनों कथा सुनने के लिए डॉ के पी यादव से चुनाव हार चुके और अब केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास मंत्री प्रदेश के पीएचई राज्यमंत्री ब्रजेन्द्र सिंह यादव भी वीआईपी दीर्घा में बैठकर कथा सुन रहे थे। कथा में व्यास गद्दी से पंडित मिश्रा ने ऐसी राजनीतिक बात कही कि पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजने लगा, लेकिन मंत्री जी असहज हो गए। कथावाचक बोले - केपी यादव ने विधायक के चुनाव लड़ा। वे हारे या जीते, ये बाबा जानें, लेकिन उनकी भक्ति और श्रद्धा कायम रखी तो बाबा ने उन्हें सांसद बनाकर दिल्ली भिजवा दिया। यह सुनकर कथा मंडप में तो तालियां गूंजने लगीं, लेकिन वही बैठे पीएचई मंत्री असहज हो गए। 



सिंधिया को हराकर दिल्ली पहुंचे है केपी यादव 



दरअसल केपी यादव लम्बे समय से सिंधिया के ही समर्थक होकर कांग्रेस में राजनीति करते थे। बात 2018 की है, जब बीजेपी के कद्दावर नेता और विधायक राव देशराज सिंह का देहांत हो गया तो मुंगावली में विधानसभा का उप चुनाव हुआ। केपी यादव ने उम्मीदवारी प्रकट की लेकिन सिंधिया ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वे बागी होकर बीजेपी में चले गए और बीजेपी ने उन्हें अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था। बीजेपी ने लगभग एक साल बाद हुए लोकसभा चुनावों में उनको कांग्रेस के अपराजेय नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ मैदान में उतार दिया लेकिन परिणाम चौकाने वाले आये और केपी यादव ने सिंधिया जैसे कद्दावर  नेता को एक लाख से भी ज्यादा मतों के अंतर् से करारी शिकस्त देकर पूरे देश को चौंका दिया। हालांकि अब सिंधिया भी केपी यादव के साथ बीजेपी में ही शामिल हो गए हैं।   


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