Jabalpur. बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों के राष्ट्रीय संगठन (एनसीसीओईईई) द्वारा बिजली (संशोधन) विधेयक, 2022 के प्रभाव पर विचार-विमर्श करने के लिए 02 अगस्त मंगलवार को, कांस्टीट्यूशनल क्लब, नई दिल्ली में राष्ट्रीय सम्मेलन किया गया । इस सम्मेलन में मध्य प्रदेश विद्युत मंडल अभियंता संघ की तरफ से अध्यक्ष हितेश तिवारी और संयुक्त सचिव सुरेश त्रिवेदी ने सम्मेलन में, मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए आश्वस्त किया की (एनसीसीओईईई) द्वारा जो भी निर्णय लिया जावेगा और जो भी रणनीति बनाई जाएगी उसमें देशव्यापी आंदोलन किया जावेगा उसमें मध्य प्रदेश बढ़ चढ़कर भाग लेगा।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए शैलेन्द्र दुबे द्वारा इसे पावर सेक्टर, बिजली कर्मचारियों एवं बिजली के उपभोक्ताओं के लिए एक प्रतिगामी जनविरोधी कदम बताते हुए कहा गया कि, इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2022 के जरिए केंद्र सरकार एक ही क्षेत्र में एक से अधिक विद्युत वितरण कंपनियों को विद्युत वितरण का लाइसेंस देने का कार्य करने जा रही है । सरकार यह दावा भी कर रही है कि इससे बिजली के उपभोक्ताओं को मोबाइल के सिम कार्ड की तरह च्वाइस मिलेगी किंतु दरअसल यह च्वाइस बिजली के उपभोक्ताओं को नहीं अपितु निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए मुनाफा कमाने की च्वाइस होगी। आज के सम्मेलन में प्रमुख राजनीतिक दलों के सांसदों व ट्रेंड यूनियन के नेताओं ने अपने उद्बोधन में बिजली (संशोधन) विधेयक, 2022 का कड़े शब्दों में विरोध किया ।
इस कड़ी में अखिल भारतीय विद्युत अभियंता महासंघ (एआईपीईएफ) और एनसीसीओईईई के बैनर तले बिजली कर्मचारियों ने बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 के खिलाफ कमर कस ली है और विरोध हेतु अपनी भविष्य की रणनीति जारी कर दी है। केंद्रीय मंत्रिमडल ने बिजली विधेयक 2022 को मंजूरी दे दी है और सरकार द्वारा उसे इसी संसद सत्र में पारित करने का प्रयास करने जा रही हैं।
सम्मेलन का उद्देश्य सभी राजनीतिक दलों के प्रमुख सांसदों एवं नेताओं को आमंत्रित कर उनसे जनहित में विधेयक के खिलाफ आंदोलन का समर्थन करने का आग्रह करना है। सरकार की मंशा, बिना कोई निवेश किए राज्य वितरण कंपनियों के बुनियादी ढांचे का उपयोग करके निजी खिलाड़ियों को लूटपाट में मदद करना है। इस बिल पर मुख्य हितधारकों, जैसे उपभोक्ताओं, बिजली क्षेत्र के इंजीनियरों और कर्मचारियों से बिल्कुल भी सलाह नहीं ली गई है। सम्मेलन में यह निर्णय भी लिया कि यदि केंद्र सरकार संसद सत्र में यदि इस बिल को पारित करती है तो इसके विरोध में सभी बिजली अधिकारी एवं कर्मचारी लाइटनिंग एक्शन लेते हुए हड़ताल पर चले जायेंगे। जिससे पूरे देश में अंधकार छा जायेगा और त्राहिमाम की स्थिति निर्मित होगी जिसके लिए केंद्र सरकार स्वयं उत्तरदायी होगी।