कमलेश सारडा, Neemuch. शहर की सालों पुरानी बंगला-बगीचा (bangala-bageecha) समस्या के समाधान के लिए अब लोग एकजुट हो गए हैं। शासन द्वारा लगातार इस मामले में कोई निर्णय नहीं लेने के कारण बंगला बगीचा वासी परेशान हैं। साल 2018 में गठित व्यवस्थापन बोर्ड (administration board) ने 26 लोगों को जमीन का मालिकाना हक दिया। सुनवाई में लोगों की आर्थिक स्थिति रोड़ा बन गई है।
124 मामलों की सुनवाई हुई थी
बंगला-बगीचा क्षेत्र में 50 सालों से काबिज लोगों को मालिकाना हक देने के प्रस्ताव पर नगर पालिका (Municipality) ने विशेष सम्मेलन (Special Conference) बुलाकर मुहर लगाई थी। समस्या के निराकरण के लिए व्यवस्थापन बोर्ड का गठन होने पर 20 दिसंबर 2017 से सुनवाई शुरू हुई। बोर्ड अध्यक्ष एसडीएम आदित्य शर्मा (SDM Aditya Sharma) ने प्रथम चरण में 50 मामलों की सुनवाई कर 26 आवेदकों को मालिकाना हक के पट्टे जारी किए। व्यवस्थापन बोर्ड में 978 लोगों ने आवेदन जमा किए थे। इसमें से 150 आवेदकों की सुनवाई होने पर 124 लोगों को जरूरी दस्तावेज जमा करने और तय शुल्क देने के लिए समय दिया गया है। इनकी सुनवाई चल ही रही थी कि बोर्ड अध्यक्ष शर्मा का तबादला दमोह हो गया। उनके स्थान पर नए एसडीएम की नियुक्ति नहीं हुई। ऐसे में सुनवाई प्रभावित होने से लोगों के मामले अटक गए हैं। आदित्य शर्मा का कहना है कि हमने प्रयास किया, जितने मामले हैं उन्हें जल्दी निपटाया जाए लेकिन सुनवाई की प्रक्रिया लंबी होने से इसमें समय लगेगा। कलेक्टर का कहना है कि बोर्ड की कार्रवाई जारी रहेगी और लोगों के प्रकरण का जल्द हल निकाला जाएगा।
दस्तावेजों के कारण प्रक्रिया लंबी
बोर्ड की सुनवाई के दौरान कुछ मामले ऐसे भी आए, जिनमें लोगों के पास दस्तावेजों कम तो कुछ के पास निर्माण स्थल को लेकर समस्या है। इनमें कई ने आवासीय की जगह व्यवसायिक परिसर बना लिए गए। बोर्ड ने ऐसे मामलों को टीएनसीपी कार्यालय भेजा है। जहां मास्टर प्लान (Master Plan) के तहत निर्माण की जांच और भूमि रिकॉर्ड में बदलाव की कार्रवाई की जाएगी। इन आवेदकों को दस्तावेज पूरे करने के लिए अगली तारीख दी है। इसलिए प्रक्रिया लंबी हो गई है और भूमि रिकॉर्ड में बदलाव करने में भी समय लगेगा।
शुल्क जमा करने में भी परेशानी
बंगला बगीचा समस्या के निदान में शासन ने पांच हजार वर्गफीट तक की जमीन को छूट दी है। इससे अधिक जमीन नगर पालिका के खाते में दर्ज होगी। 5 हजार वर्गफीट तक की जमीन के विस्थापन के लिए घोषित किया गया है। इसके लिए प्रीमियम और लीजरेंट तय की है। 5 हजार वर्गफीट से अधिक जमीन के लिए 100 प्रतिशत प्रीमियम वर्तमान गाइडलाइन के अनुसार जमा करना होगी।
सुनवाई के बाद जिन प्रकरणों का निराकरण होगा। उन आवेदकों को शासन द्वारा तय शुल्क जमा करवाना होगा। इसमें प्रीमियम राशि, लीज रेंट, निर्माण शुल्क और विकास शुल्क लगाया गया है, जो तीन किस्तों में जमा करवाया जा सकेगा। पहली किस्त 25 फीसदी, दूसरी 40 और तीसरी किस्त 35 फीसदी राशि देनी होगी। एकमुश्त जमा कराने पर पांच फीसदी की छूट दी जाएगी। कुछ मामलों में लोगों के पास रुपए न होने की परेशानी भी सामने आई है। रुपया जमा नहीं होने की दशा में प्रकरण बोर्ड के पास ही अटक गए हैं।
ये है बंगला-बगीचा क्षेत्र में निवास करने वालों की समस्या
1978 में तत्कालीन नीमच एसडीएम (अविभाजित मंदसौर) ने बंगला-बगीचा क्षेत्र की भूमि के स्वामित्व पर सवाल खड़े किए। इसके पीछे तर्क था पूर्व में नीमच अंग्रेजों की छावनी हुआ करता था। अंग्रेजों के 60 बंगले, 54 बगीचे और लगभग इतने ही खेत थे। आजादी के बाद वे इन्हें अन्य लोगों को सौंपकर चले गए। इन लोगों के पास भूमि के स्वामित्व और अधिकार से संबंधित दस्तावेज नहीं है। बंगला-बगीचा का असाधारण राजपत्र क्रमांक-239 भोपाल में 26 मई 2017 को प्रकाशित किया गया हैं। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद मसौदे को नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा फाइनल कर विधि-विधान विभाग से अंतिम राय लेने के बाद राज्यपाल के पास भेजा था। राजपत्र में नपा नीमच सीमा अंतर्गत छावनी क्षेत्र स्थित भूमि व्यवस्थापन नियम, 2017 नाम दिया गया है। इस नियम का विस्तार संपूर्ण छावनी क्षेत्र है। जिला प्रशासन ने व्यवस्थापन बोर्ड का गठन किया। इसके बाद बोर्ड अध्यक्ष ने सुनवाई शुरू की।