राजीव उपाध्याय, JABALPUR. जबलपुर के न्यू लाइफ अस्पताल में आग लगने से 8 लोगों की मौत हो गई। अग्निकांड मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। न्यू लाइफ अस्पताल ने पिछले साल मार्च 2021 में प्रोविजनल फायर NOC ली थी जो इस साल मार्च 2022 में एक्सपायर हो गई थी। इसके बाद भी अस्पताल संचालित किया जा रहा था। सीएम शिवराज ने भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में 8 नवंबर 2021 को हुए अग्निकांड का जिक्र करते हुए 12 नवंबर को कैबिनेट बैठक में मुख्य सचिव को निर्देश दिए थे कि 30 नवंबर तक सभी सरकारी और निजी अस्पतालों का फायर ऑडिट कराया जाए। नगर निगम के अधिकारियों ने सीएम के आदेश को भी गंभीरता से नहीं लिया और दिखावे के लिए फायर ऑडिट प्रक्रिया शुरू की। उन्होंने अस्पतालों में फायर सेफ्टी के पुख्ता इंतजाम देखे बिना ही प्रोविजनल NOC दे दी। कई अस्पतालों की प्रोविजनल NOC भी एक्पायर हो गई जिसमें न्यू लाइफ अस्पताल भी शामिल था। इसके बाद भी फायर ऑडिट नहीं कराया गया और नतीजा ये हुआ की न्यू लाइफ अस्पताल में आग लगने से 8 लोगों की जान चली गई।
प्रोविजनल एनओसी दी, 13 अस्पतालों की डेडलाइन भी खत्म
- न्यू लाईफ मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल
नगर निगम के फायर ब्रिगेड के अधीक्षक कुशाग्र ठाकुर ने 28 दिसम्बर 2021 को 55 अस्पतालों को नोटिस जारी किया कि वे सेफ्टी के मापदंड पूरे करने जांच कराएं। लेकिन तैयारी के बिना उन्हें प्रोविजनल एनओसी दे दिया गया। इनमें से 13 अस्पतालों की प्रोविजनल एनओसी की डेडलाइन भी खत्म हो गई लेकिन उन्होंने सेफ्टी के मापदंड की जांच नहीं कराई। इनमें न्यू लाइफ मल्टी स्पेशियल्टी हॉस्पिटल भी शामिल है। कुशाग्र ठाकुर का कहना है कि इनको नोटिस जारी किए जा रहे हैं।
न्यू लाइफ मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में एक ही एग्जिट, फिर भी दी गई स्वीकृति
न्यू लाइफ हॉस्पिटल में एक ही एग्जिट है। आपात स्थिति में बाहर निकलने के लिए कोई भी इमरजेंसी एग्जिट नहीं है। इसके बाद भी नगर निगम और सीएमएचओ कार्यालय से स्वीकृति दी गई।
अस्पताल में नहीं थे आग बुझाने के पुख्ता इंतजाम
सूत्रों के मुताबिक अस्पताल ने अगर प्रोविजनल फायर NOC ली थी तो वहां आग बुझाने के लिए सेफ्टी इंस्ट्रूमेंट्स लगाने चाहिए थे लेकिन ऐसा नहीं किया गया। अगर नगर निगम के अफसरों ने मामले में गंभीरता दिखाई होती तो ये हादसा नहीं होता। जबलपुर में 125 अस्पताल और नर्सिंग होम चल रहे हैं। इसमें से 17 के पास फायर सेफ्टी क्लीयरेंस नहीं है।
2 महीने पहले भेजा गया था रिमाइंडर
सूत्रों के मुताबिक जब नगर निगमों की तरफ से अस्पतालों के फायर सेफ्टी ऑडिट नहीं मिले तो दो महीने पहले सरकार की तरफ से नगर निगमों और नगर पालिकाओं को रिमाइंडर भेजा गया था। इसके बाद भी अधिकारियों ने इसे लेकर गंभीरता नहीं दिखाई।
पिछले साल कमला नेहरू अस्पताल में लगी थी आग, सीएम ने दिए थे फायर ऑडिट के निर्देश
भोपाल के कमला नेहरू गैस राहत हॉस्पिटल में पिछले साल (8 नवंबर 2021 की रात) लगी आग को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कड़ी नाराजगी जताई जताई थी। उन्होंने 12 नवंबर को कैबिनेट की मीटिंग में इस दुर्घटना का उल्लेख करते हुए मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को प्रदेश में सभी सरकारी और निजी अस्पतालों का फायर ऑडिट कराने का आदेश दिया था। इसके तहत इसके तहत प्रदेश के हर अस्पताल को 30 नवंबर तक फायर ऑडिट कराना था। अस्पताल का फायर ऑडिट नहीं कराने पर उसका रजिस्ट्रेशन रद्द कराने के निर्देश दिए गए थे।
सेफ्टी के इंतजाम सुनिश्चित किए बिना ही दी गई प्रोविजनल NOC
इसके बाद भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे बड़े शहरों में दिखावे के लिए नगर निगम की फायर सेफ्टी ब्रांच के अमले की निगरानी में अस्पतालों में फायर ऑडिट की प्रक्रिया तो शुरू हुई। लेकिन अस्पतालों में फायर सेफ्टी के इंतजाम सुनिश्चित किए बगैर ही उन्हें प्रोविजनल एनओसी जारी कर उन्हें इस काम के लिए अतिरिक्त समय दे दिया गया। इस ढिलाई के चलते ज्यादातर अस्पतालों को दी गई प्रोविजनल एनओसी की मियाद भी खत्म हो गई लेकिन उनके मैनेजमेंट ने फायर सेफ्टी के लिए जरूरी इंतजाम नहीं किए। अकेले जबलपुर में ही ऐसे 13 निजी अस्पताल हैं और उनमें न्यू लाइफ मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल पहले नंबर पर हैं जिसमें सोमवार (1 अगस्त 2022) को आग लगने से 8 लोगों की मौत हो गई।
जबलपुर में फायर सेफ्टी पर ध्यान नहीं
फायर सेफ्टी के नियमों के मुताबिक अस्पताल या नर्सिंग होम अगर 500 वर्गमीटर में बना है या बिल्डिंग 9 मीटर से ऊंची है। उसका निर्माण क्षेत्रफल कितना भी हो उसके लिए फायर ऑडिट जरूरी है। जबलपुर में फायर सेफ्टी पर उतना ध्यान नहीं दिया गया। इसलिए निगम को उसके दायरे में आने वाली बिल्डिंगों की जानकारी नहीं है। सभी अस्पतालों के लिए फायर ऑडिट कराना जरूरी होता है।