उमा भारती के शराबबंदी अभियान से, बीजेपी को नुकसान कम फायदा ज्यादा !

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Rahul Garhwal
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उमा भारती के शराबबंदी अभियान से, बीजेपी को नुकसान कम फायदा ज्यादा !

हरीश दिवेकर, BHOPAL. इसे महज इत्तेफाक कहें या आदत। उमा भारती चाहें या न चाहें उनके साथ यू-टर्न जुड़ ही जाता है। अपने बयानों पर यू-टर्न लेकर पलट जाना और फिर बैकफुट पर आना तो उनकी पुरानी अदा है। इस बार उन्होंने ये भी साबित कर दिया है कि वो वादों और इरादों में भी यू-टर्न ले सकती हैं। दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी कुछ नेता उमा भारती के इस यू-टर्न को पार्टी के लिए फायदेमंद मान रहे हैं।





सीएम शिवराज की नाक में दम करने की तैयारी





उमा भारती एक बार फिर स्थानीय अखबारों और समाचारों की सुर्खियों में हैं। पहले एक गंभीर इल्जाम लगाया और चंद ही घंटे बाद आदत के मुताबिक बयान से पलट गईं। उमा भारती ने बयान दिया था तो ये उम्मीद की ही जा सकती थी कि वो कभी भी यू-टर्न ले लेंगी। सो, ले भी लिया। ये वही उमा भारती हैं जो चंद रोज पहले शिवराज सिंह चौहान के साथ मंच पर नजर आईं थीं। जिस मुद्दे पर दोनों एक साथ आए थे। अब उमा भारती उसी मुद्दे पर शिवराज सिंह चौहान की नाक में दम करने की तैयारी में है। पर, क्या वाकई, वो शिवराज की मुश्किल बढ़ा रही हैं या बीजेपी की राह आसान कर रही हैं।





प्रदर्शन के दौरान उमा ने प्रशासन को भी घेरा





शराबबंदी की मांग पर अड़ीं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने अपने ऊपर पर हमले की आशंका जताई है। एक शराब दुकान के बाहर धरने पर बैठीं उमा भारती ने ये आशंका जाहिर की और कुछ ही देर बाद हमले का मतलब ही कुछ और बता दिया। उमा भारती जहां पहुंची थीं वहां शराब दुकान के बाहर कुछ देर तक कुर्सी डालकर बैठी रहीं। स्थानीय लोग खासकर महिलाएं भी उनके साथ जुट गईं। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने प्रशासन को भी घेरा। उमा भारती की नाराजगी इस बात पर थी कि दुर्गा जी और हनुमान जी के मंदिर के सामने शराब की दुकान और अहाता है। इस दुकान को उमा ने गैरकानूनी बताया और कहा कि मैं 11 से 16 के बीच में यहां आना चाहती थी, लेकिन उज्जैन में प्रधानमंत्री और भोपाल में अमित शाह के कार्यक्रम थे। मैं नहीं चाहती थी कि उनके मध्यप्रदेश दौरे के समय कुछ करूं। मैं बीजेपी की कार्यकर्ता हूं, शिवराज जी की छोटी बहन हूं। इसलिए शिवराज को लज्जित नहीं होने दिया।





अहाते बंद कराए तो सरकार की आरती उतारेंगी उमा





इन्हीं शिवराज सिंह चौहान के साथ उमा भारती ने नशा मुक्ति के मुद्दे पर दो अक्टूबर को मंच साझा किया था और एक साथ ये जंग लड़ने का वादा किया लेकिन यू-टर्न की आदत से बाज न आ सकीं। अभी उस वादे को 20 दिन भी नहीं हुए और उमा भारती फिर इस मुद्दे को तूल देते हुए अपनी ही जान पर खतरा बता दिया। मामला बिगड़ते देखा तो अपने बयान से फिर यूटर्न ले लिया और कहा कि मेरा मतलब यह नहीं था कि मेरे ऊपर शारीरिक रूप से हमला हो सकता है। मैं यह कहना चाहती थी कि शराब माफिया मेरे अभियान को फेल करके, मुझ पर दुष्प्रचार का हमला कर सकते हैं। अब उमा भारती का यू-टर्न लेना अब आम बात हो चुकी है। इस बार तो यूटर्न लेने के बाद उमा भारती ने बैकफुट पर आने में भी देर नहीं की। ट्विटर पर सरकार की आरती उतारने की बात लिख दी। उमा ने लिखा कि अगर सरकार अहाते बंद करवा देती है तो वो पैदल चलते हुए मंत्रालय तक जाएंगी और सरकार की आरती उतारेंगी।





उमा के यू-टर्न बीजेपी को पहुंचाते हैं नुकसान





सवाल ये है कि उमा भारती के यू-टर्न बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचाते हैं। वो हर बार मध्यप्रदेश से बाहर जाती हैं और यू-टर्न लेकर फिर एमपी लौट आती हैं। ये इस बात का इशारा है कि वो एमपी की सियासत में फिर दखल देना चाहती हैं। ये मौका जब तक नहीं मिलेगा तब तक वो बार-बार शराबबंदी का मुद्दा उठा कर अपनी ही पार्टी और शिवराज सिंह चौहान दोनों का टेंशन बढ़ाती रहेंगी। लेकिन इस आंदोलन का एक पहलू भी है जो शायद उमा भारती को नजर नहीं आ रहा। ये भी संभव है कि जो मुद्दा वो हर महीने जोरशोर से उठाती हैं उसे कैश कर बीजेपी ज्यादा फायदा वसूल ले और उमा फिर बगले ही झांकती रह जाएं।





समय-समय पर मुद्दे उठाती रही हैं उमा भारती





उमा भारती की बयानबाजी, उनके यू-टर्न और गाहे बगाहे आकर अलग-अलग मुद्दों पर छिटपुट आंदोलन करने की आदत से बीजेपी भी यूज टू हो चुकी है। कम से कम सीएम शिवराज सिंह चौहान के रिस्पॉन्स और बीजेपी की खामोशी से तो यही लगता है कि वो उमा भारती के किसी भी एक्शन को खास तवज्जो देने के मूड में नहीं हैं। बीजेपी में कई लोगों को लगता है कि उमा भारती के आंदोलनों का एक पैटर्न है। वह काफी समय से शिवराज सिंह चौहान सरकार पर अपना हमला जारी रखे हुए हैं। इस मसले पर बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि वास्तव में, जब एक नई आबकारी नीति में शराब पर दरों में 20 प्रतिशत की कटौती की गई थी, उन्होंने सीएम पर भी निशाना साधा था। ऐसा लगता है कि वह महत्वपूर्ण 2023 के राज्य चुनाव से पहले सरकार के सुचारू कामकाज में बाधा उत्पन्न करने की कोशिश कर रही है।





मुद्दा तलाश रही हैं उमा भारती





एक अन्य बीजेपी नेता ने भी कहा कि जिस तरह से उमा जी समय-समय पर इन मुद्दों को उठाती रही हैं, उससे पता चलता है कि वह राज्य और केंद्रीय नेतृत्व को यह संदेश देने की कोशिश कर रही हैं कि अगर उनकी अनदेखी की गई तो क्या हो सकता है। एक अन्य बीजेपी नेता की राय है कि उमा भारती को एक लॉन्च पैड की जरूरत है। जिससे वो एमपी में दोबारा उड़ान भर सकें। इसी तलाश में वो ऐसे मुद्दे बार-बार उठा रही हैं।





शराब एक सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा





हालांकि मध्यप्रदेश से बाहर के एक बीजेपी नेता ने उमा के इस स्टाइल के अलग ही मायने बताए हैं। उन्होंने कहा कि वह सरकार और बीजेपी को नुकसान पहुंचाने के लिए ऐसा कर रही होंगी, लेकिन यह सब हमारे लिए अच्छा है। शराब वास्तव में एक सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा है। यह महिला मतदाताओं के साथ भी जुड़ा हुआ है, जिनमें से कई ने आबकारी नीति के खिलाफ विरोध भी किया है। इसलिए एक बीजेपी नेता इस मुद्दे को उठा रहा है, अन्यथा विपक्ष का कोई नेता यह मुद्दा उठा रहा होता। यह हमारे लिए काफी है। जिसका सीधा सा मतलब ये है कि बीजेपी अगर चाहेगी तो उमा के जरिए इस मुद्दे को अपना बनाकर चुनावी फायदा ले सकती है। उमा भारती के पुराने कई दांव खाली जा चुके हैं। देखना ये है कि इस बार ये दांव कितना असर दिखाता है।





सियासत में वापसी की कोशिश कर रहीं उमा भारती





मध्यप्रदेश की सियासत में वापसी के लिए उमा भारती हर तरह पापड़ बेल रही हैं। कभी उग्र तेवर दिखाती हैं। कभी नर्म पड़ जाती हैं। कोशिश ये है कि उनका पुराना फायर ब्रांड रुख आलाकमान पर असर दिखा दे या उनकी पार्टी के प्रति निष्ठा वरिष्ठ नेताओं को रास आ जाए किसी बहाने भी उन्हें एक बार फिर मौका मिल जाए। फिलहाल तो उनके किसी भी अंदाज पर आलाकमान का दिल पसीजता दिखाई नहीं दे रहा। शराबबंदी के मुद्दे पर सत्ता और संगठन खामोश हैं। प्रीतम लोधी का मुद्दा भी ठंडा पड़ता नजर आ रहा है। अब उमा के सामने कोई नया दांव बचा नहीं है। अब सवालों की बौछार उन पर ही हो रही है कि उनके लिए शराब बंदी का मुद्दा वाकई आंदोलन है या शगूफा भर है जिसके दम पर वो कुछ सुर्खियां बटोर लेती हैं और एमपी में होने की हाजिरी लगा देती हैं।



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