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Indore. नेपा नगर नागरिक सहकारी साख संस्था में नौ करोड़ का घपला सामने आया है। संस्था के जमाकर्ता जहां लंबे समय से अपनी जमा पूँजी के लिए भटक रहे हैं वहीं सहकारिता
विभाग जांच-जांच खेल रहा है। ताजा सूचना यह है कि यहां एक प्राधिकारी नियुक्त किए गए हैं जो लोगों से पैसा वसूल कर जमाकर्ताओं को लोटाएंगे।
उक्त संस्था में लंबे समय से घपलों की आशंका व्यक्त की जा रही थी। हाल ही में इसके लेन-देन की 2017 से 2022 तक की जांच की गई तो उसमें 8 करोड़, 92 लाख, 4 हजार एक सौ
उनपचास रुपए का घपला पाया गया। जांच रिपोर्ट कलेक्टर बुरहानपुर को सौंपने के बाद उन्होंने इंदौर में संयुक्त आयुक्त को इस संबंध में पत्र लिखकर कहा है कि जिन कर्मचारियों और
सदस्यों से पैसा वसूलना है, उस पर तुरंत कार्रवाई कर अमानतदारों को राशि लौटाएं। पीड़ित जमाकर्ताओं की संस्था सैकड़ों में है।
बिजली बिल का पैसा हड़प लिया
संस्था के पास बिजली कंपनी के बिजली बिल जमा करने का अधिकार भी है। सूत्र कहते हैं, घपला इसी राशि का हुआ है। लोगों ने संस्था में जो बिल जमा कराए वह पूरी राशि बिजली
कंपनी को देने के बजाए कम ही दी गई और बाकी राशि की गड़बड़ी कर दी गई। जब बिजली कंपनी और उपभोक्ताओं का दबाव संस्था पर पड़ा तो गड़बड़ी करने वालों ने संस्था में जमा
राशि से बिजली कंपनी को भुगतान कर दिया इससे संस्था की जमा पूँजी पर असर पड़ा। जब अमानतदारों ने रुपया मांगना शुरू किया और उन्हें संस्था द्वारा इनकार करने या सीमित राशि
निकालने की बंदिश लगाई तो पूरे मामले का खुलासा हो गया।
सभी को जिम्मेदार माना
उप पंजीयक (सहाकारी संस्थाएं, बुरहानपुर) मीना डावर ने द सूत्र से कहा-संस्था के सभी कर्मचारियों की भूमिका पाई गई है। मैनेजर की जिम्मेदारी तय की गई है। उन्हें चेतावनी दी गई
है कि संस्था का पैसा दो महीने में लौटा दें अन्यथा वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। संस्था नेपा मिल के कर्मचारियों की है। बिजली बिल की राशि में गड़बड़ी पाई गई है।
सहकारी बैंक और संस्थाएं डूबने का पुराना इतिहास है
सहकारिता क्षेत्र में संस्थाएं और सहकारी बैंक डूबने का इतिहास पूरे प्रदेश में फैला पड़ा है। अकेले इंदौर में ही महाराष्ट्र ब्राह्णण बैंक, गुजरात मर्केंटाइल संस्था, श्री नागरिक बैंक, सिटीजन अर्बन बैंक जैसी संस्थाएं हैं जो कालांतर में अलग-अलग कारणों से डूब गईं । इनमें से अधिकांश के जमाकर्ता (जिनकी संख्या हजारों में और राशि करोड़ों में है) आज भी अपनी पूँजी के लिए भटक रहे हैं। कुछ तो पैसों का इंतजार करते-करते स्वर्ग सिधार गए।