Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि महाधिवक्ता कार्यालय में शासकीय अधिवक्ता की नियुक्तियां संविदा के आधार पर होती हैं। महाधिवक्ता कार्यालय सरकार का कोई विभाग नहीं है। सरकार और एजी ऑफिस के अधिकारियों के बीच पूर्णतः व्यावसायिक रिश्ता होता है, न कि नियोक्ता-कर्मचारी का। इसलिए राज्य सरकार को इन नियुक्तियों में आरक्षण नियमों को लागू करने की बाध्यता नहीं है। जस्टिश शील लागू और जस्टिस अरुण कुमार शर्मा ने इस मत के साथ ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से दायर अपील को निरस्त कर दिया।
एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक शाह, उदय कुमार ने दलील दी थी कि प्रदेश की जिला अदालतों, हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट समेत विभिन्न अधिकरणों में शासन की ओर से नियुक्त शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्तियां आरक्षण अधिनियम 1994 के प्रावधानों के तहत की जाएं। इससे पहले भी हाईकोर्ट की एकलपीठ ने यह याचिका यह कहकर निरस्त कर दी थी कि अदालत सरकार को आरक्षण नियम लागू करने के निर्देश नहीं दे सकती। जिसके विरुद्ध रिट अपील दायर की गई थी।