Jabalpur. जबलपुर के सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल में चल रहे आयुष्मान योजना के फर्जीवाड़े की जांच में परत दर परत सच सामने आता जा रहा है और जांच की जितनी परतें उधड़ रही हैं, फर्जीवाड़े में शामिल एक-एक शख्स के दिल में कार्रवाई का खौफ बढ़ता जा रहा है। इस पूरे फर्जीवाड़े में जारी एसआईटी की जांच में यह सामने आया है कि अस्पताल में नकली मरीजों के जरिए शासन को चूना तो लगाया ही जा रहा था। वहीं दलालों के मार्फत ऐसे लोग भी तैयार किए जाते थे जिनके पास आयुष्मान कार्ड नहीं होता था, वे केवल आधारकार्ड लेकर अस्पताल पहुंचते थे जिसके बाद अस्पताल में मौजूद आधार कार्ड बनवाने के ठेकेदार 24 घंटे में उनका आधार कार्ड बनवा देते थे।
हजारों हितग्राही अब भी तरस रहे कार्ड बनवाने
ताज्जुब की बात यह है कि अकेले जबलपुर शहर में ही आयुष्मान कार्ड बनवाने की लालसा रखने वाले लाखों लोग हैं लेकिन इस फर्जीवाड़े के गढ़ की छांव में आयुष्मान कार्ड 24 घंटे में बनवाया जा रहा था। आम आदमी की भले ही आयुष्मान कार्ड बनवाने में चप्पलें घिस जाएं लेकिन इस अस्पताल के गोरखधंधे में शामिल ठेकेदार बकायदा अपने क्लाइंटों को होटल में ठहरा रहे थे, चाय ,नाश्ता, खाना मुफ्त दिया जा रहा था और रुपए मिलने के साथ-साथ मात्र आधारकार्ड के जरिए आयुष्मान कार्ड भी बनवाया जा रहा था।
जेल भेजे गए डॉक्टर दंपती और मैनेजर
इधर एक दिन की रिमांड खत्म होने के बाद पुलिस ने डॉक्टर दंपती और गिरफ्तार किए गए मैनेजर कमलेश्वर मेहतो को न्यायालय में पेश कर दिया जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। वहीं एसआईटी ने सेंट्रल किडनी अस्पताल से आयुष्मान योजना के पोर्टल से कई दस्तावेज निकलवाए हैं साथ ही योजना से संबंधित काफी ज्यादा दस्तावेज जब्त किए हैं।
प्रति मरीज 30 हजार से 5 लाख तक का लगाया चूना
सूत्रों की मानें तो एसआईटी को प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि करीब दो साल से अस्पताल में हर छद्म मरीज के जरिए शासन को 30 हजार से 5 लाख रुपए तक का चूना लगाया गया। कभी-कभी तो फर्जीवाड़े के लिए तैयार हितग्राही न मिलने पर खुद दलाल ही मरीज बन जाते थे।
जिम्मेदार अधिकारियों की फूलने लगी सांसें
वहीं एसआईटी अब इस फर्जीवाड़े से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हर शख्स की लिस्ट बना रही है। जिनसे पूछताछ तो होगी ही जरूरत पड़ने पर उन्हें सहआरोपी भी बनाया जाएगा। पुलिस के इन तेवरों को देखते हुए आयुष्मान योजना से जुड़े अधिकारी कर्मचारियों का भी बीपी बढ़ने लगा है। क्योंकि यह बात साफ है कि बिना प्रशासनिक सहयोग के दो साल से इतना बड़ा फर्जीवाड़ा हो ही नहीं सकता था।