Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान भोपाल के एसपी नार्थ और राज्य शासन, गृह सचिव, डीजीपी, डीआईजी समेत अन्य को नोटिस जारी किए हैं। मामला एक सब इंस्पेक्टर का बतौर सजा इंक्रीमेंट रोके जाने का है। सभी अनावेदकों को जवाब पेश करने के लिए 6 सप्ताह का समय दिया गया है।
जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता देव सिंह धुर्वे की ओर से अधिवक्ता अजय रायजादा व अंजना श्रीवास्तव ने पक्ष रखा। दलील दी गई कि याचिकाकर्ता समेत 4 अन्य पुलिस वालों को एसपी नार्थ भोपाल ने 22 अगस्त 2019 को आरोप-पत्र दिया। याचिकाकर्ता का आरोप था कि उसने 2-3 जुलाई की रात थाना तलैया में यश यादव के साथ अमानवीय व्यवहार करते हुए अवैधानिक रूप से उसकी पिटाई की। इस वजह से उसका हाथ फ्रेक्चर हो गया। पुलिस ने मानवाधिकार का हनन करते हुए रेगुलेशन-64 के विपरीत आचरण किया। दर्द से कराहते यश को कोई चिकित्सकीय सहायता मुहैया कराए बिना पुलिस वाले मौके से गायब हो गए। दरअसल पीड़ित यश की कार से किसी बाइक सवार को टक्कर लग गई थी। जिस वजह से राहगीरों से बहस हो गई थी।
दंड देने का अधिकार डीआईजी को
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में दलील यह दी गई है कि उसे दंड देने का अधिकार डीआईजी को था न कि एसपी को। अदालत में बताया गया कि विभागीय जांच में याचिकाकर्ता ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों का खंडन किया। इसके बावजूद उसकी वेतनवृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकने का दंड दिया गया। जिसके खिलाफ अपील की गई,जिसे निरस्त कर दिया गया। लिहाजा डीजीपी के समक्ष अपील की गई। उसका भी कोई नतीजा नहीं निकला। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली।