MP सरकार के और वक्त मांगने पर SC नाराज, कहा- एक हफ्ते में कैसे जानकारी दे देंगे?

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Atul Tiwari
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MP सरकार के और वक्त मांगने पर SC नाराज, कहा- एक हफ्ते में कैसे जानकारी दे देंगे?

Bhopal. मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय (पंचायत और नगरीय निकाय) चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट 10 मई फैसला सुना सकता है। 6 मई को सुनवाई के दौरान सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट कोर्ट में रखी। इस रिपोर्ट में मध्य प्रदेश में ओबीसी की 48% आबादी के हिसाब से 35% आरक्षण देने की सिफारिश की गई है।



आरक्षण के लिए पिछड़ी जातियों की राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्तर की जानकारी देनी थी। लेकिन आयोग की रिपोर्ट में इस पर कुछ कमी रह गई, जिसे लेकर सरकार के वकीलों ने कोर्ट से कुछ और समय मांगा, लेकिन कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई।



‘एक हफ्ते में सब कैसे कर लेंगे’



जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस रवि कुमार की बेंच ने कहा कि पिछले 2 साल से मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय के चुनाव नहीं हुए। अब तक जो जरूरी कार्यवाही करनी चाहिए थी, वो नहीं हुई, आप एक हफ्ते में जानकारी कैसे दे देंगे? हम अपना फैसला 10 मई तक सुरक्षित रखते हैं। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 4 मई को अपने फैसले में महाराष्ट्र सरकार को आदेश दिया कि वो बिना ओबीसी आरक्षण के निकाय चुनाव कराए।



मध्य प्रदेश में OBC आरक्षण को लेकर सरकार की तैयारी



कोर्ट के 10 मई के फैसले के बाद मध्य प्रदेश में निकाय और पंचायत चुनाव की तस्वीर साफ हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हिसाब से नगरीय विकास विभाग और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने तैयारी कर ली है।



नगरीय विकास विभाग में अभी 25% आरक्षण के हिसाब से काम हो रहा है। इसमें बदलाव होता है तो नए सिरे से आरक्षण में नगरीय विकास के साथ पंचायत को भी एक महीने का वक्त लगेगा। पंचायत में परिसीमन मार्च 2022 में पूरा हो गया है। नोटिफिकेशन जारी हो रहा है। 10 मई को वोटर लिस्ट भी आ जाएगी।



अभी के 25% के हिसाब से फैसला आए तो...



यदि यही लागू होता है तब भी सामान्य सीटें जस की तस ही रहेंगी। आरक्षण किसी भी स्थिति में 50% से ज्यादा नहीं होगा। यह जरूर है कि SC-ST के आरक्षण के प्रतिशत के बाद जो बचेगा, वह अधिकतम 25% तक ओबीसी को मिलेगा।



कुल आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं होगा



हर निकाय और पंचायत में SC-ST की सीटों को आरक्षित करने के बाद ओबीसी को जगह मिलेगी, लेकिन कुल आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। उदाहरण के लिए किसी निकाय में SC-ST मिलाकर 15% आरक्षण होता है तो उससे बचा हुआ 35% ओबीसी को मिल जाएगा। यदि SC-ST को 20% रिजर्वेशन है तो ओबीसी को 30% मिलेगा। इसी तरह SC-ST 30% या पूरा 36% है तो ओबीसी को क्रमश: 20% या 14% मिलेगा।


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