Jabalpur. शासकीय योजनाएं बनती हैं और फाइलों में दफन हो जाती हैं। कुछ ऐसा ही मदर्स मिल्क बैंक के साथ भी हो रहा है। पिछले दो साल से इसे शुरू करने की चर्चा हो रही है लेकिन इसे शुरू नहीं किया गया। भोपाल में बैठे अधिकारियों को इस प्रोजेक्ट की सुध ही नहीं है।
एल्गिन महिला अस्पताल में इसके लिए स्पॉट भी तय कर लिया गया लेकिन अब तक इसे शुरू नहीं किया गया।
ये है प्रोजेक्ट
प्रसव के बाद जो माताएं अपने शिशुओं को किसी कारणवश स्तनपान नहीं करा सकतीं उन शिशुओं के लिए मदर्स मिल्क बैंक शुरू करने की योजना यूनिसेफ और एनएचएम की ओर से बनाई गई। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि नवजात मां के दूध से वंचित न हों। क्योंकि जन्म के छह महीने तक नवजातों को केवल मां का दूध पिलाना जरूरी है। इससे शिशुओं में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
अब तक ये हुआ
भोपाल से आए अधिकारियों ने एल्गिन अस्पताल परिसर में जगह देख ली। आठ लाख रुपए फंड भी अलॉट कर दिया।लेकिन इसके आगे बात आगे नहीं बढ़ी। भोपाल से अभी तक उपकरण खरीदने आदेश नहीं आया। यहां डीप फ्रीजर खरीदे जाने हैं। स्टाफ की भी नियुक्ति होनी है।
आदेश का इंतजार
रीजनल हेल्थ डायरेक्टर डॉ संजय मिश्रा का कहना है कि जल्द ही मदर्स मिल्क बैंक शुरू किया जाना है,आदेश का इंतजार है।