हरीश दिवेकर, BHOPAL. MSME मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा की जिद के चलते पिछड़ा वर्ग के युवाओं को विदेश में नौकरी दिलाने वाली नई योजना आने से पहले दम तोड़ गई। इस योजना में इस साल आईटीआई और नर्सिंग के 200 ओबीसी युवाओं को जापान में नौकरी देने की बात कही गई थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सहमति के बाद नई योजना का प्रस्ताव सोमवार को कैबिनेट में लाया गया। बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होते ही एमएसएमई मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा मुखर हो गए। उन्होंने कहा कि ये योजना बेकार है इससे अच्छी योजना हमारा विभाग ला सकता है। इस पर मुख्यमंत्री ने समझाया कि आपके विभाग को ऐसी योजना बनाने में समय लगेगा और तब तक चुनाव आ जाएंगे। ऐसे में हम इस योजना को मंजूर कर देते हैं। बाद में आप अपनी अलग योजना बना लेना, उसे भी देख लेंगे लेकिन मंत्री सखलेचा अपनी बात पर अड़े रहे।
सीएम असहज हुए फिर नाराजगी जताई
मुख्यमंत्री शिवराज ने मंत्री सखलेचा से कहा कि इस योजना में सीधे तौर पर हम ओबीसी वर्ग के युवाओं को लाभ दे सकेंगे। इसका हमें आगे फायदा भी मिलेगा। योजना पर इस साल केवल 2 करोड़ खर्च आ रहा है। इसलिए इसे मंजूर कर देते हैं। इस पर मंत्री ने कहा कि ये योजना एक तरह बंधुआ मजदूर बनाने की है। इस पर बताया गया कि आजकल सभी जगह बॉन्ड भरवाया जाता है। ऐसे में विदेश में नौकरी करने के लिए भी 5 साल का बॉन्ड भरना होगा, इसमें बंधुआ मजदूर वाली बात कहां से आ गई। मंत्री सखलेचा ने तल्खी से कहा कि आप भले ही सहमत हो लेकिन मैं इस योजना से कतई सहमत नहीं हूं। मेरी इस पर कड़ी आपत्ति है। मंत्री के इस रवैये को देखते हुए मुख्यमंत्री थोड़े असहज हुए और बाद में नाराजगी भरे स्वर में कहा कि ठीक है योजना को ही निरस्त कर देते हैं। हालांकि इस बीच एक दो मंत्रियों ने कहा कि पिछड़ा वर्ग कल्याण की योजना को तो मंजूर कर ही देना चाहिए लेकिन तब तक मुख्यमंत्री योजना को निरस्त करने का निर्देश दे चुके थे। मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग के मंत्री रामखेलावन पटेल के कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं हुए इसके कारण विभाग अपना पक्ष मजबूती से नहीं रख पाया। मंत्री पटेल अपने क्षेत्र के कार्यक्रम में व्यस्त थे।
क्या थी योजना
पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की प्रस्तावित योजना के अनुसार प्रदेश के आईटीआई और नर्सिंग छात्रों को जापान में नौकरी दिलाना था। इसके लिए प्रति आवेदक 2 लाख का खर्च आ रहा है जिसमें सरकार को 1 लाख रुपए मिलाना थे और 1 लाख रुपए आवेदक से लिए जाने थे। इस राशि से आवेदक को जापानी भाषा सिखाने से लेकर उनके जाने का टिकट और जापान में नौकरी दिलाने वाली एजेंसी का कमीशन शामिल है। योजना के अनुसार उक्त एजेंसी का राज्य सरकार के साथ इस शर्त पर अनुबंध होने वाला था कि वो अभ्यर्थी को गारंटीड नौकरी दिलाएगी। जिसका मासिक वेतन जापानी मुद्रा येन में 1 लाख 17 हजार और भारतीय मुद्रा में 70 हजार से कम नहीं होगा।
योजना से मिलता माइलेज
सरकार यदि ये योजना मंजूर करती तो निश्चित रूप से सरकार को इस योजना से लाभ मिलता। दरअसल प्रीतम लोधी को पार्टी से निकाले जाने के बाद ओबीसी युवा सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरा हुआ है। ओबीसी महासंघ के बैनर तले प्रदेश के कई जिलों में बड़े आंदोलन ओर सभाएं हो रही हैं। यदि सरकार इस योजना को लॉन्च करती तो कहने को हो जाता कि ओबीसी युवाओं को विदेश में नौकरी देने की पहल बीजेपी सरकार ने की है। उल्लेखनीय है कि इस योजना के तहत महाराष्ट्र सरकार अब तक 1 हजार युवाओं को जापान में नौकरी के लिए भेज चुकी है।