NEEMUCH.हमारे देश में गाय (cow)को माता का दर्जा दिया गया है। प्राचीन काल से ये परंपरा चली आ रही है। आज भी ज्यादातर घरों में पहली रोटी गाय को ही खिलाई जाती है। गाय के प्रति प्रेम और समर्पण के अनेक किस्से सुनने को मिलते हैं। जानवरों से प्यार करने वाले यूं तो कई लोग आपने देखें होंगे,लेकिन कुछ ही ऐसे होते हैं,जो उन्हें अपने घर का सदस्य मानते हैं। उनका अपने बच्चों की तरह लालन-पालन करते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण नीमच जिले से सामने आया है, जो इन दिनों हर कहीं चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां एक परिवार ने गाय की मृत्यु (
death of cow) होने पर न सिर्फ शोक रखा बल्कि भोज (Feast)का भी आयोजन करवाया।
यहां का है मामला
मामला जिले के गांव भादवामाता का है। भादवामाता में रहने वाले वीर गुर्जर बस के संचालक नरेश गुर्जर (
Naresh Gurjar) ने 2008 में गाय खरीदी थी। उसकी छोटी बच्ची (गौरी) का 14 साल तक पालन पोषण कर किया गया। बुधवार को वृद्ध और बीमार होने के कारण उसका इलाज करवाया गया। लेकिन गाय नहीं बच सकी। इसके बाद विधि- विधान से निजी जमीन में दफनाने (Buried in the ground by law)की अंतिम क्रिया की। 4 दिन का शौक रखने के पश्चात 20 अगस्त (शनिवार) को गुर्जर ने वेद पाठी ब्राह्मणों से गाय की आत्मशांति के लिए पूजा पाठ करवाया। इसके साथ उन्होंने 1100 से ज्यादा लोगों के लिए भोजन का आयोजन भी किया।