Jabalpur. अनफिट भवनों में चल रहे अस्पतालों के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि जबलपुर सीएमएचओ ने नियम विरूद्ध तरीके से अनफिट भवनों में अस्पताल संचालन के लिए पंजीयन कैसे प्रदान कर दिया? चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबल बेंच ने कहा कि इसके लिए सरकार को आखिरी अवसर प्रदान किया जाता है, 4 हफ्ते के अंदर हर हाल में जवाब प्रस्तुत किया जाए।
बिना अनुमति, बिना एनओसी के चल रहे थे अस्पताल
लाॅ स्टूडेंट्स एसोसिएशन मध्यप्रदेश के अध्यक्ष विशाल बघेल ने याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि आयुष्मान भारत अस्पताल करमेता, शीतल छाया अस्पताल और जबलपुर पब्लिक हेल्थ केयर सेंटर को मप्र नगर विकास एवं आवास विभाग से बिल्डिंग कंपलीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला था इसके अलावा फायर सेफ्टी के संबंध में एनओसी भी नहीं मिली थी। बावजूद इसके सीएमएचओ ने अस्पतालों का पंजीयन कर दिया।
शिकायत के बाद रद्द कर दिया था पंजीयन
याचिका में सुनवाई के दौरान बताया गया कि इन अस्पतालों के अवैध रूप से संचालित होने की शिकायतें आई तो मामले को दबाने के लिए अवैध पंजीयन को निरस्त कर दिया गया। लेकिन पंजीयन हुआ कैसे इस बात की कोई जांच नहीं की गई। याचिका में आग्रह किया गया है कि सीएमएचओ, उनकी नर्सिंग होम निरीक्षण टीम और नर्सिंग होम शाखा प्रभारी के िखलाफ जांच कर उचित कार्रवाई की जाए