INDORE. एग्रीकल्चर कॉलेज की जमीन एक बार फिर लेने के लिए प्रशासन आमादा है और इसके विरोध में सैकड़ों पूर्व और वर्तमान छात्र जुटने लगे हैं। शासन-प्रशासन ने कॉलेज को बताया है कि वह यहां पर सिटी फॉरेस्ट बनाकर ऑक्सीजन जोन बनाना चाहता है, इसके लिए कॉलेज की जमीन लेना होगी। इसकी जानकारी सामने आने के बाद से ही कॉलेज से पढ़े हुए पुराने छात्र, वर्तमान छात्रों का संगठन बनना शुरू हो गया है और इन्होंने प्रशासन को ज्ञापन और धरना देने का काम शुरू कर दिया है। किसान प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष केदार सिरोही ने कहा कि दिल्ली में हुए किसान आंदोलन की तरह ही अब सभी आंदोलनकारी कॉलेज में ही टेंट लगाकर यहीं रहना शुरू करेंगे, यहीं सोएंगे, यहीं खाएंगे और यहीं आंदोलन करेंगे। जब तक प्रशासन जमीन लेने का इरादा नहीं त्याग देते हैं, हम लोग लगातार आंदोलन जारी रखेंगे।
दो लाख छात्रों को जोड़ने की तैयारी
आंदोलनकारियों ने कहा कि साल 1960 से अभी तक के छात्र इस आंदोलन को सपोर्ट कर रहे हैं। हम एक-एक लाउडस्पीकर लेकर पूरे शहर की गलियों, कॉलोनियों में घूमेंगे और अपनी बात रखेंगे। यदि ऑक्सीजोन बनाना है तो फिर सबसे पहले तो कमिश्नर, कलेक्टर के पांच-पांच एकड़ के बंगलों को जंगल में बदल देना चाहिए और खुद फ्लैट में रहें, रेसीडेंसी एरिया में ऑक्सीजोन बना लें तो पूरे शहर का भला हो जाएगा। इसके लिए कॉलेज की जमीन की जरूरत ही नहीं होगी।
माफिया को फायदा पहुंचाने की कोशिश
आंदोलनकारियों का आरोप है कि सिमरोल में कॉलेज शिफ्ट करने की तैयारी हो रही है और ये बात उस एरिया में माफिया को पहले से ही पता है, इसलिए वहां पहले ही कई लोगों ने जमीनें खरीद ली हैं। इसके पहले भी दो बार जमीन लेने की कोशिश हो चुकी है लेकिन शासन-प्रशासन ने मुंह की खाई है, इस बार भी हम पीछे नहीं हटेंगे।
एग्रीकल्चर कॉलेज में आए थे महात्मा गांधी
साल 1935 में महात्मा गांधी भी यहां आ चुके हैं और जैविक खाद, खेती का महत्व बताया था। यहां खेती पर रिसर्च होती है और करीब 365 एकड़ में ये कॉलेज फैला हुआ है। इसे यूनिवर्सिटी बनाने की मांग लगातार चल रही है, जिस पर एक बार शासन भी हां बोल चुका है। यहां पर 100 साल पुराना खेती का रिसर्च सेंटर है।