BHOPAL: आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित करने के लिए हो रही खुदाई से बिगड़ रही पहाड़ की ओंकार आकृति !

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Vijay Mandge
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BHOPAL: आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित करने के लिए हो रही खुदाई से बिगड़ रही पहाड़ की ओंकार आकृति !

भोपाल : शिव के 12 ज्योतिर्लिंगो में से चौथा ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर में स्थित है। शिवपुराण के कोटिरुद्रसंहिता के 18 अध्याय में इसका वर्णन मिलता है। यही केवल एक ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो नर्मदा के उत्तरी तट पर स्थित है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की महिमा का वर्णन करते हुए जोड़गणपति आश्रम के मंगलदास महाराज कहते हैं कि राजा मंधाता की तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें आशीर्वाद दिया, जिसके बाद पाताल से एक ओम आकार का पर्वत निकला, जिसकी तलहटी में ज्योतिर्लिंग विराजमान है। ओमनाद की उत्पत्ति संसार में सबसे पहले यहीं हुई, इस पर्वत की आकृति ओम की तरह है। यही कारण है कि भक्तगण पूरे श्रद्धाभाव से इस पर्वत की परिक्रमा करते हैं। कुलमिलाकर यह कहा जा सकता है कि ओंकार पर्वत के कारण ज्योतिर्लिंग को ओंकारेश्वर के नाम से जाना जाता है। हालांकि अब इस ज्योतिर्लिंग में एक नए प्रोजेक्ट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल ओमकारेश्वर में ही आदिगुरू शंकराचार्य ने सन्यास लिया था। राज्य सरकार इस जगह पर शंकराचार्य की विशालकाय प्रतिमा स्थापित करने जा रही है, जिस जगह पर प्रतिमा स्थापित होना है, वह ओंकार पहाड़ी ही है। कुछ साधु संत और लोग इसके विरोध में उतर आए हैं। विरोध प्रतिमा स्थापना का नहीं, बल्कि उसकी जगह को लेकर है। लोगों का कहना है कि प्रतिमा स्थापित करने के लिए ओंकार पहाड़ी को खोदा जा रहा है, जिससे उसकी आकृति बिगड़ रही है, जबकि यही ओंकार ओंकारेश्वर पर्वत और ज्योतिर्लिंग की पहचान है। 





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सच जानने द सूत्र पहुंचा ओंकारेश्वर





ओंकार पहाड़ी पर हो रही खुदाई को लेकर कुछ लोगों ने भोपाल में द सूत्र से संपर्क किया और नए प्रोजेक्ट और उससे होने वाले नुकसान की जानकारी दी। इंदौर के अभय जैन ने कहा कि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित करने को लेकर कोई विवाद नहीं है यह तो प्रसन्नता का विषय है। विवाद स्थल चयन को लेकर है। जहां अभी निर्माण कार्य चल रहा है वह ओंकार पर्वत है। शास्त्रों में कैलाश पर्वत और ओंकार पर्वत सिर्फ इन दो पर्वतों को ही शिव स्वरूप माना गया है। इसलिए ओंकार पर्वत का प्राकृतिक स्वरूप बनाए रखना हम सभी का आध्यात्मिक दायित्व भी है। खैर...ये तो एक पक्ष था। पूरे मामले की जानकारी और सच का पता लगाने द सूत्र की टीम ओंकारेश्वर पहुंची और पूरे मामले की पड़ताल की। 





पहले समझिए...क्या है शंकराचार्य प्रतिमा से जुड़ा प्रोजेक्ट





ओंकार पर्वत पर 108 फीट की आदिगुरू शंकराचार्य की बहुधातु प्रतिमा स्थापित होना है। इसे स्टैचू आफ वननेस (एकात्मता की मूर्ति) के नाम से जाना जाएगा। इस प्रतिमा को स्थापित करने के लिए टर्नर कोनसेसियम को अपाइंटमेंट (अनुबंधित) किया गया है, जिन्होंने स्टेचू आफ यूनिटी और बुर्ज खलीफा जैसी इमारतों के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ओंकारेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य एवं आचार्य शंकर अंरराष्ट्रीय वेदांत संस्थान की स्थापना के लिए प्रदेश सरकार ने 370 करोड़ के बजट को स्वीकृत कर दिया है। संस्कृति विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर शैलेंद्र मिश्रा ने बताया कि 15 अगस्त 2023 तक प्रतिमा स्थापित हो जाएगी। इसके अलावा फिल्म थियेटर, नर्मदा विहार, गुरूकुल आवास की भी स्थापना होगी। इस पूरे प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 2500 करोड़ के आसपास है।





अगली कड़ी में बताएंगे



स्थल को लेकर क्या और क्यों हो रहा है विवाद?



मप्र सरकार Statue of Oneness Adi Shankaracharya स्टैच्यू ऑफ वननेस आदि शंकराचार्य Omkareshwar ओंकारेश्वर Culture Department संस्कृति विभाग Government of MP Bharat Hitaraksha Abhiyan Opposition to the Statue भारत हितरक्षा अभियान स्टैच्यू का विरोध