संजय गुप्ता, INDORE. आतंकी घटनाओं में शामिल रहने के सबूत मिलने के बाद केंद्र सरकार ने पीएफआई और इससे जुड़ी संस्थाओं पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है लेकिन इस प्रतिबंध से सहयोगी संस्था एसडीपीआई (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) बच गई है, जानकारों के मुताबिक राजनीतिक दल होने के चलते यह फैसला गृह मंत्रालय नहीं कर सकता था, इसलिए यह बच गया लेकिन चुनाव आयोग इस पर एक्शन ले सकता है। वैसे यह दोनों संगठन सार्वजनिक तौर पर खुद को अलग बोलते हैं, लेकिन इनके पदाधिकारी एक-दूसरे में शिफ्ट होते रहते हैं। यह संगठन समाज में लोगों को खासकर युवा को भड़काकर अपने साथ जोड़ने, चंदा जमा करने और फिर इसके माध्यम से चुनाव के जरिए राजनीतिक पैठ बनाने में जुटा हुआ था। आगर-मालवा और नीमच में भी इनके सदस्य चुनाव लड़े हैं और कुछ जगह पार्षद भी बने हैं।
इस तरह एक दूसरे से लिंक है PFI और SDPI
द सूत्र की जांच में सामने आया है कि काफिल राजा पहले पीएफआई का अध्यक्ष था फिर एसडीपीई का अध्यक्ष बना, इसी तरह अब्दुल बेलिम पीएफआई में कन्विर था, जो बाद में एसडीपीए में आया। मो. सईद एसडीपीआई में था जो पीएफआई का जिलाध्यक्ष बना।
कमेटियों के नाम से करते थे चंदा जमा, खरगोन दंगे समय 50 लाख किए
जानकारी के अनुसार समाज से चंदा जमा करने किए इन्होंने मुस्लिम नुमाइंदा कमेटी और इस्लामिक रिन्यू कमेटी बना रखी थी। इसमें अब्दुल बेलिम था, जो चंदा जमा कराता था। खरगोन दंगे के समय 51 लाख रुपए जमा किए थे। चूड़ी वाला कांड में तस्लीम को भी आर्थिक मदद की थी और हर माह खाते में राशि कराई थी।
इंदौर नगर निगम में लड़े थे तीन वार्ड में पार्षद चुनाव
नगर निगम इंदौर में वार्ड 8 में एसडीपीआई की ओर से बेनजीर डॉ. जाहिद अली ने चुनाव लड़ा, इसी तरह वार्ड 39 से इशरत जुनैद खान ने और वार्ड 53 से एसडीपीआई की ओर से मोहम्मद जमील अब्बासी ने चुनाव लड़ा था।
नफरत फैलाने वाला रऊफ भोपाल से पकड़ाया
द सूत्र ने बताया था कि इंदौर से जिलाबदर हुआ एसडीपीआई का प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल रऊफ बेलिम अब भी नफरत फैलाने का काम कर रहा है। वह राजगढ़, गुना व अन्य शहरों में सक्रिय था। बाकायदा एसडीपीआई के लिए बैठक ले रहा है। लोगों को भड़काने का काम कर रहा उसके बेटे अजीम बिलाल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया
अब्दुल करीम बेकरीवाला - पेशे से तेजाजी नगर में चॉइस बेकरी संचालित करता है। वह मराठी मोहल्ला में रहता है। घर में ही बैठक आयोजित करता था। वह पीएफआई का प्रदेश अध्यक्ष है। संगठन के लिए फंड का इंतजाम करना नए सदस्यों को जोड़ने का काम करता है। सदर बाजार में हुए विवाद में नाम सामने आया है।
मो. जावेद बेलिम - पीएफआई में प्रदेश कोषाध्यक्ष है उसका काम फंड इकट्ठा करना और जरूरतमंदों तक होने पर जाना है वह मोड़को में मोबाइल की दुकान संचालित करता है। छिपा बाखल में जावेद का घर है एनआईए ने जब उसे पकड़ा तो घर से कई मोबाइल भी ले गए।
अब्दुल खालिद - वह पीएफआई में महासचिव हैं। खालिद चूड़ी बेचने के लिए इलाकों में घूमता है। इस दौरान युवाओं से संपर्क करें पीएफआई से जुड़ने और मीटिंग में शामिल करने के लिए ब्रेन वॉश करता है। इस काम के बदले उसे 12 हजार रुपए मिलते हैं।
जामिल शेख - उज्जैन में रहने वाला जामिल इंदौर में भी काफी सक्रिय था। वह पीएफआई का प्रदेश सचिव है। उज्जैन में चैनल कटिंग का काम करता है। इसी की आड़ में वह लोगों को पीएफआई से जोड़ने का काम कर रहा था।
अब्दुल रऊफ बेलिम - एसडीपीआई का प्रदेश अध्यक्ष है। टायर की दुकान चलाता हैं। खरगोन में दंगे में पीड़ित परिवारों को 50 लाख रुपए बांटने के बाद चर्चा में आया था। कुछ समय पहले उसे जिलाबदर किया गया था। पता चला कि वह राजगढ़, गुना और अन्य शहरों में एसडीपीआई के लिए मीटिंग कल माहौल बना रहा था। सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी भी साझा करता। उसका बेटा अजीम बिलाल लगातार सोशल मीडिया पर भड़काऊ मैसेज वीडियो वायरल करता है। पिता पर हुई जिलाबदर की कार्रवाई पर भी उसने सोशल मीडिया पर तंज कसा था। रऊफ को भोपाल से पकड़ा गया है।
अब्दुल सईद टेलर - वह पहले एसडीपीआई का जिला अध्यक्ष था। छिपा बाखल में रहकर टेलर की दुकान संचालित करता था। उस पर जिलाबदर की कार्रवाई हुई तो घर खाली कर नूरानी नगर में रहने चले गया। वहीं पर अब दुकान चला रहा था। एसडीपीआई छोड़कर अब पीएफआई के लिए काम करने लगा था। परिवार का कहना है कि वह समाजसेवा करता है। चंदननगर पुलिस ने उसके खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की है।
तौसीफ छिपा - वह पीएफआई से जुड़ा हुआ है। जूना रिसाला में रहता है। संगठन के लिए लोगों को जोड़ने का काम करता है। सदर पुलिस ने उसके खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करते हुए जेल भेजा।
युसूफ मौलानी - यह पीएफआई से जुड़ा हुआ है छिपा बाखल में रहता है। मल्हारगंज पुलिस ने उसके खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्यवाही करते हुए जेल भेजा।
दानिश गौरी - पीएफआई से जुड़ा हुआ है। प्रदेश स्तर पर सक्रिय है। माणिकबाग में रहता है। समाज सेवा की आड़ में संगठन का प्रचार प्रसार करता है। जूनी इंदौर पुलिस ने उसके खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करते हुए जेल भेजा।
छोटे-छोटे काम करने वालों को जोड़ा
इंदौर में पीएफआई को मजबूत करने के लिए सभी वर्गों पर फोकस किया गया। विशेष रूप से छोटा-मोटा काम करने वालों को जोड़ा गया ताकि संगठन का कार्यक्षेत्र तेजी से फैले। संगठन में सबसे ज्यादा सदस्यता घर-घर पहुंच रखने वाले प्लम्बर, कबाड़ी, इलेक्ट्रीशियन, AC मैकेनिक और ऑटो ड्राइवर जैसे लोगों को दी जा रही थी। इनकी पहुंच घर-घर तक होती है या बड़े वर्ग को सीधे कनेक्ट कर पाते हैं। इस तरह के पेशे से जुड़े लोग PFI और SDPI में प्रमुख पदों पर भी हैं। पुलिस की नजर से बचते हुए यह अपना पूरा नेटवर्क संचालित कर रहे थे लेकिन ATS समेत कई जांच एजेंसियां इन पर नजरें बनाकर इनकी कुंडली निकालने में लगी हुई थीं।