नासिर बेलिम रंगरेज, UJJAIN. यहां के तोपखाना इलाके में चल रहे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ऑफिस को 28 सितंबर को सील कर दिया गया। यहां काफी पुलिस तैनात है। 27 सितंबर को एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) और नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की संयुक्त टीम ने उज्जैन और महिदपुर में दबिश देकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया। पीएफआई दफ्तर से दस्तावेज जब्त किए जाने की भी जानकारी मिल रही है। टीम ने उज्जैन के नगारची बाखल से इसहाक खान, नयापुरा से जुबेर एहमद और अवंतिपुरा से आकिब खान को गिरफ्तार किया। इनके पास से कुछ सामग्री भी जब्त किए जाने की बातें कही जा रही है। टीम ने महिदपुर से आजम नागौर को भी गिरफ्तार किया।
केंद्र ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया
मोदी सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को 5 साल के लिए बैन कर दिया है। PFI को प्रतिबंधित करने की मांग कई राज्यों ने की थी। हाल ही में NIA, कई राज्यों की पुलिस और एजेंसियों ने पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी कर सैकड़ों गिरफ्तारियां की थीं। गृह मंत्रालय ने पीएफआई को 5 साल के लिए प्रतिबंधित संगठन घोषित किया। पीएफआई के अलावा टेरर फंडिग के आरोप में 8 सहयोगी संगठनों पर भी कार्रवाई की गई है।
पीएफआई पर बैन को लेकर राजनीति
PFI पर पांच साल के बैन के बाद सियासत शुरू हो गई है। केरल से कांग्रेस सांसद कोडिकुन्निल सुरेश ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, पीएफआई पर प्रतिबंध लगाना कोई उपाय नहीं है। हम आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं। आरएसएस पूरे देश में हिंदू सांप्रदायिकता फैला रहा है। पीएफआई और आरएसएस एक समान हैं, इसलिए सरकार को दोनों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) ने केंद्र सरकार के फैसले का विरोध किया है। पार्टी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि पीएफआई पर बैन लगाना भारतीय संविधान और लोकतंत्र पर हमला है। बयान में कहा गया है कि देश में अघोषित आपातकाल लागू है।