संजय गुप्ता. INDORE. पीएफआई के ठिकानों पर हुई देशव्यापी कार्रवाई में इंदौर से संगठन के तीन पदाधिकारी और उज्जैन से एक सदस्य पकड़ा गया है। इंदौर में इसकी शुरूआत सिमी संगठन पर प्रतिबंध के बाद साल 2001 से ही हो गई थी लेकिन एक साल पहले मामला बाणगंगा क्षेत्र में चूड़ीवाले के साथ हुई मारपीट कांड के बाद तूल पकड़ा तब एक तस्लीम नाम के युवक ने हिंदू नाम रखकर चूड़ियां बेचने का काम शुरू किया, तब एक छेड़छाड़ के मामले में लोगों ने उसकी पिटाई कर दी। इसकी वीडियो बनाकर एक समाज विशेष में फैलाया गया और इसके बाद इन्होंने सेंट्रल कोतवाली थाने पर प्रदर्शन किया। इसके बाद पता चला कि इस पूरे संगठित प्रदर्शन के पीछे पीएफआई का ही हाथ है।
फंड जुटाकर चुनाव लड़ा
युवक की पिटाई के बाद पीएफआई ने चुनिंदा क्षेत्रों में पोस्टर भी लगाए और इसमें राशि जमा करने के लिए कहा गया। बताया जाता है कि इस तरह इन्होंने 60 लाख रुपए की राशि जमा भी कर ली और बाद में इस राशि का उपयोग निगम चुनाव में किया और इससे कुछ वार्डों में इन्होंने अपने साथियों को चुनाव लड़वाया, हालांकि इंदौर में तो यह नहीं जीते लेकिन नीमच जिले में इनके पार्षद बन गए। इनकी पूरी रणनीति युवाओं को बरगला कर अपने साथ ज़ोड़ने, चंदा जमा करने और इसका उपयोग राजनीति में कर पदों पर काबिज होने की थी।
माइक लगाकर मदद की अपील
जानकारी के अनुसार पीएफआई ने ईदगाह के बाहर कुछ समय पहले माइक लगाकर लोगों से मदद की अपील की जिसमें यह कहा गया कि उनका संगठन झूठे इल्जाम में जेल में बंद बेगुनाहों की कानूनी मदद करता है। ईदगाह पर लाउडस्पीकर से PFI के कामों की जानकारी भी दी जा रही थी। यह पूरा घटनाक्रम तब पुलिस की खुफिया टीम ने रिकॉर्ड कर लिया था। इस दौरान एक पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व विधायक और शहर काजी भी वहीं आसपास किसी कार्यक्रम में मौजूद थे।
दंगे भड़काने वालों को दी मदद
इसके अलावा यह भी चला कि सिंतबर 2021 में खजराना टीआई दिनेश वर्मा ने हिंदू संगठनों पर गोलियां चलाने और शहर में दंगा भड़काने की साजिश के मामले में अल्तमश अबरार खान, उसके साथी इरफान, इमरान और जावेद को पकड़ा था। पुलिस का दावा था कि अल्तमश पाकिस्तानी ग्रुप के अलावा भीम आर्मी में शामिल था। करीब 200 ऐसे लोग उसके संपर्क में थे। अल्तमश व उसके साथियों के जेल जाने के बाद PFI ही इनकी कानूनी मदद कर रहा था। इतना ही नहीं अल्तमश, इरफान व इमरान के परिवार की हर जरूरत को PFI ने पूरा किया था। पुलिस का दावा है कि पर्दे के पीछे से PFI ही कोर्ट में उनकी मदद कर रहा है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक गिरफ्तारी के वक्त अल्तमश के मोबाइल में SDPI और PFI के पदाधिकारियों के नंबर मिले थे।
इन लोगों को पकड़ा गया
पीएफआई से जुड़े लोगों पर कार्रवाई में इंदौर से पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल करीम बेकरीवाला को मराठी मोहल्ला से, शहर अध्यक्ष मुमताज कुरैशी को जूना रिसाला से, कोषाध्यक्ष मो. जावेद बेलिम को छीपा बाखल से और सक्रिय सदस्य जामिल शेख को उज्जैन से पकड़ा है। अब्दुल करीम तेजाजी नगर में बेकरी संचालित करता है।
जिलाबदर और रासुका भी हो चुकी
पीएफआई से जुड़े अब्दुल बेलिम पर जिलाबदर व जैद पठान पर प्रशासन पहले ही रासुका की कार्रवाई कर चुका है। सिमी पर हुई कार्रवाई के बाद पीएफआई संगठन ने अपना काम करने का तरीका बदला। सामने आने के बजाए पर्दे के पीछे रहकर योजनाओं पर काम करता रहा। धीरे-धीरे इस संगठन ने मुस्लिम बहुल इलाकों में युवाओं के बीच अपनी पैठ जमाने की कोशिश की। सबसे पहले यह संगठन वर्ष 2015 में चर्चा में आया। सदर बाजार थाने व पुलिस की गाड़ियों पर पथराव भी हुआ। तब इस पूरी घटना की रुपरेखा बनाने में पीएफआई का हाथ सामने आया था।
परिजन बोले आधी रात को आई पुलिस, बिना बताए ले गए
अब्दुल करीम बेकरीवाला तेजाजी नगर में च्वाइस बेकरी चलाते हैं। उनका कंस्ट्रक्शन का भी काम है। फडिंग के लिए बेकरी में घटिया क्वालिटी का सामान तैयार करते है। 30 अगस्त को बेकरी पर खाद्य व औषधि विभाग ने कार्रवाई कर केस दर्ज कराया। पत्नी ने बताया कि रात 3 बजे 10-12 सिविल ड्रेस में लोग घर आए जिनमें महिलाएं भी थी।
13 साल से पीएफआई से जुड़ा है
पति का मोबाइल, लैपटॉप, कम्प्यूटर व परिवार के सभी मोबाइल ले गए। 13 साल से पति पीएफआई से जुड़े है। पति कुछ गलत नहीं करते। घर पर रिश्तेदार व मिलने वाले आते है। यहां कोई मीटिंग नहीं होती। जावेद के भाई मो. यासीन ने बताया कि रात में एनआईए के लोग आए थे। हमसे जावेद का कमरा पूछा। फिर हमें अपने कमरों में रहने के लिए कहा। परिवार के 8 मोबाइल भी वे ले गए।