भोपाल. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 24 जनवरी को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (Prime Minister's National Children's Award) विजेताओं से बातचीत की। इस संवाद कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के इंदौर से शामिल 12 साल के अवि शर्मा ने प्रधानमंत्री को काफी प्रभावित किया। बाल मुखी रामायण की रचना करने वाले बालक अवि की तुलना पीएम मोदी ने एमपी की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Former Chief Minister Uma Bharti) से कर दी। इस दौरान पीएम ने उमा भारती से जुड़ीं स्मृतियों का जिक्र किया था। इसके जवाब में उमा भारती ने 25 जनवरी को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री की तरीफ की।
— Narendra Modi (@narendramodi) January 24, 2022
ये लिखा पत्र में : मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के कार्यालय से एक पत्र जारी हुआ है। यह पत्र उमा भारती ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखा है। इस पत्र में लिखा कि-
- कल राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेताओं से संभाषण के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने 1973 में मणिनगर, गुजरात में मेरी उनसे पहली मुलाकात का उल्लेख किया। तब मैं 12 साल की थी, उन्होंने उस समय के मेरे व्याख्यान एवं ज्ञान का उल्लेख किया।
मैंने तो स्वयं को हमेशा एक अबोध प्राणी माना हैं बचपन से ही मेरे जीवन की धारा, दूसरे बच्चों से भिन्न थी किंतु मेरा बचपन अत्यधिक सुविधाओं, सम्मान फिर भी बच्चों की तरह ही बीता। मैं तो आज तक अपने आप को बड़ा समझ ही नहीं पाई।
मैंने अधिकतर इसकी चर्चा की हैं कि मैं प्रधानमंत्री मोदी को 12 साल के उम्र से जानती हूं। 1973 में मणिनगर, गुजरात के बाद मेरी उनसे मुलाकात सितंबर 1989 में गुजरात में ही हुई, जहां रामजन्मभूमि के शिलापूजन के लिए 1 लाख कारसेवकों की रैली, मोदी जी के देखरेख में हुई। मैं उसमें अतिथि वक्ता थी । तब तक मोदी जी गुजरात बीजेपी के संघठन मंत्री बन चुके थे एवं पूरा गुजरात ही उनकी देख रेख में भाजपा मय होता जा रहा था।
1973 में जैसा मैंने उन्हें देखा था वैसे ही मुझे उस दिन भी लगे। दृढ़ किंतु रूखे नहीं, हंसने का फकीराना एवं सूफियाना अंदाज, वह शायद हिमालय से हाल ही में आए थे। हिमालय की गरिमा, विशालता, दृढ़ता, तपस्या, भव्यता सबका मेल उनमें दिखाई दिया।
फिर तो निरन्तर मेरा उनसे संपर्क रहा जो की आज तक हैं। वह पार्टी के राष्ट्रीय सचिव फिर महासचिव, गुजरात के मुख्यमंत्री एवं भारत के प्रधानमंत्री बनते गए।
मैं भी BJYM की राष्ट्रीय आयक्ष, अटल जी के साथ केंद्र में मंत्री, फिर मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री फिर स्वयं मोदी जी के साथ फिर से केंद्र में मंत्री बनती गई।
मोदी जी गुजरात में जब मुख्यमंत्री बने उसके एक साल बाद , मैं मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री बनी। इसलिए मैं मध्यप्रदेश की राजकाज की व्यवस्था के लिए, मोदी जी को ही गुरु मानकर उनसे फोन पर परामर्श लेती थी।
जब वो प्रधानमंत्री बने, तो मैं एक कैबिनेट मिनिस्टर के नाते, कैबिनेट के हर बैठक में उनके ज्ञान की व्यापकता देखकर चकित एवं विस्मित होती रही।
यह तो मोदी जी की मानय से महामानव बनने की यात्रा हैं, जो दुनिया ने जानी किंतु इस महामानव का दिल अपने सहयोगीयों के प्रति एक मानव की तरह ही भावनाओं से भरा हुआ हैं।
उन्हें सारे विश्व की, हमारे देश की, बीजेपी की और अपने सहयोगीयों की बहुत फिक्र रहती है किंतु उनको ईश्वर ने बुद्धि एवं सामर्थ्य के साथ खुद को सम्भालने की शक्ति भी प्रदान की है।
हम लोगों ने उन्हें कैबिनेट की बैठकों में भावुक होते हुए एवं उनके आंसू गिरते हुए देखें हैं। जैसे जब सुषमा स्वराज AIMS में भर्ती थी तब कैबिनेट में इसका जिक्र करते हुए वह भाव विगलित (पिघला ) हो जाते थे। पर्यावरण मंत्री अनिल दवे के श्रद्धांजली की कैबिनेट बैठक में वह रो पड़े थे। ऐसे बहुत प्रसंग हैं, जब मैंने उनको भावुक होते हुए देखा।
मैं स्वयं उनको जिस नजर से देखती हूं वह तो आपको अजीब लगेगा। मेरे से वह आयु में सिर्फ 10 साल बड़े हैं किंतु वह मुझे पिता जैसे लगते हैं। एक ऐसे पिता, जिनका हृदय स्नेह से भरा हुआ है किंतु बहुत दूर हिमशिखर पर बैठा हुआ, यह महायोगी हम सब को देख रहा हैं, हमारी रक्षा कर रहा है ऐसा आभास मेरी तरह संसार की सभी स्त्रियों को मोदी जी के प्रति होता होगा। वह हम सबको एक महान, शक्तिशाली, स्नेहशील पिता के रूप में ही नजर आते हैं।
मैं मोदी जी के बारे में एक पुस्तक निरन्तर लिखती जा रही हूं । उसमें यह सारी बातें विस्तार से लिख रही हूं।
नए भारत के भाग्य की रचना के लिए ही मोदी जी ने जन्म लिया, हिमालय में तपस्या की, विश्व भ्रमण किया, राजनीति में आए और भारत के प्रधान मंत्री बने। वह अजर अमर हों, यही मेरे पिता जैसे बड़े भाई के लिए ईश्वर से प्रार्थना हैं और मुझे लगता है की मेरे इस प्रार्थना में भारत के सभी स्त्री-पुरुषों की भावना भी निहित हैं।
मोदी ने उमा के लिए ये कहा था : पीएम मोदी ने बताया था ''आज से करीब 45-50 साल पहले अहमदाबाद के मणिनगर इलाके में उमा भारती का एक कार्यक्रम था। जब मैं वहां उनको सुनने पहुंचा तो काफी हैरान था, क्योंकि बहुत ही छोटी उम्र की उमा जी धाराप्रवाह प्रवचन दे रही थीं। यही नहीं, वह रामायण की चौपाइयों और संस्कृत शास्त्रों का बहुत ही सटीक रूप में उल्लेख कर रही थीं।''