मोदी अमृत सिद्धि योग में महाकाल पथ का उद्घाटन करेंगे, 3 घंटे रहेंगे, उज्जैन में 6 दिन के कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार

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Atul Tiwari
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मोदी अमृत सिद्धि योग में महाकाल पथ का उद्घाटन करेंगे, 3 घंटे रहेंगे, उज्जैन में 6 दिन के कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार

BHOPAL/UJJAIN. उज्जैन का महाकाल कॉरिडोर का उद्घाटन करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को आने वाले हैं। कॉरिडोर का लोकार्पण अमृत सिद्धि योग में होगा। मोदी उज्जैन में 3 घंटे बिताएंगे। 11 अक्टूबर (मंगलवार) की शाम 6.30 बजे अश्विनी नक्षत्र होने से विशेष योग बन रहा है। इसे विशेष फलदायी माना जा रहा है। इससे पहले भी प्रधानमंत्री मोदी विशेष मुहूर्तों में कई आयोजनों में हिस्सा लेते रहे हैं। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण रेवती नक्षत्र तो अयोध्या के राम मंदिर का भूमिपूजन अभिजीत मुहूर्त में किया गया था।



कार्य सफलता के लिए बन रहा योग लाभकारी- ज्योतिषाचार्य



ज्योतिषी आनंद शंकर व्यास के मुताबिक, उज्जैन मंगल ग्रह की उत्पत्ति का केंद्र है। महाकालेश्वर भूमंडल के स्वामी हैं। ऐसे में मंगलवार के दिन होने वाला पूजन अधिक फलदायी होगा। यह योग नक्षत्र और वार के संयोग से बनता है। कार्य को सफलता से पूर्ण करने के लिए यह लाभकारी है। इस योग में किए गए मांगलिक और नए कार्य सफलतापूर्वक पूरे होते हैं। आमतौर पर मंगलवार को शुभ कार्य नहीं किए जाते, लेकिन उज्जैन मंगल की जन्मभूमि है। ऐसे में यहां सब मंगल ही होता है। 11 अक्टूबर की शाम 6.30 बजे गुरु अच्छी स्थिति में होगा। गुरु धर्म और न्याय का कारक गृह है, इसलिए इसका विशेष महत्व है।



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मोदी 11 अक्टूबर की शाम को उज्जैन पहुंचेंगे



मोदी इंदौर में प्लेन से उतरने के बाद हेलीकॉप्टर से उज्जैन पहुंचेंगे। यहां से वे शाम 6 बजे महाकाल मंदिर पहुंचेंगे। मंदिर में दर्शन के बाद महाकाल कॉरिडोर के नंदी द्वार पर 6.30 बजे पहुंचेंगे। यहां वे पूजा कर इलेक्ट्रिक गाड़ी से महाकाल कॉरिडोर देखेंगे। इसके बाद कार्तिक मेला ग्राउंड पर सभा को संबोधित करेंगे। उज्जैन से रात में हेलिकॉप्टर के टेक ऑफ की फैसिलिटी नहीं है, ऐसे में मोदी सड़क मार्ग से इंदौर पहुंचेंगे, जहां से वे दिल्ली के लिए निकल जाएंगे।



उज्जैन में 6 अक्टूबर से शुरू हो जाएंगे कार्यक्रम



6 से 11 अक्टूबर तक लगातार चलने वाली गतिविधियों की रूपरेखा बना ली गई है। 6 दिवसीय कार्यक्रमों की शुरुआत भगवान महाकाल की सवारी के साथ हो जाएगी। लोकार्पण के अवसर पर उज्जैन समेत प्रदेश के सभी जिलों में प्रमुख मंदिरों की साज-सज्जा की जाएगी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि महाकाल कॉरिडोर का लोकार्पण श्रद्धा का विषय है। इसमें शहर के प्रत्येक परिवार को आमंत्रण पत्र दिया जाएगा। सभी घरों और दुकानों में इलेक्ट्रॉनिक रोशनी की जाएगी। प्रमुख चौराहों और सड़कों पर विशेष साज-सज्जा की जाएगी। महत्वपूर्ण जगह रंगोली भी बनाई जाएगी। 



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प्रोजेक्ट का पहला चरण पूरा, विदेश से भी मिला पैसा



793 करोड़ रुपए के महाकाल विस्तार प्रोजेक्ट के पहले चरण के कामों को फाइनल टच दिया जा चुका है। प्रोजेक्ट लिए मध्य प्रदेश सरकार 421 करोड़ खर्च कर रही है, केंद्र सरकार ने 271 करोड़ तो फ्रांस सरकार ने 80 करोड़ रुपए दिए हैं। मंदिर समिति 21 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। प्रोजेक्ट से ना केवल दर्शन आसान होंगे, बल्कि लोग धार्मिक पर्यटन भी कर पाएंगे। कैंपस में घूमने, ठहरने, आराम करने से लेकर तमाम सुविधाएं होंगी।



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असुर को मारने के लिए प्रकट हुए महाकाल, 286 साल पहले मंदिर निर्माण



पौराणिक कथा के मुताबिक, दूषण असुर से मानवों की रक्षा के लिए महाकाल प्रकट हुए थे। असुर वध के बाद भक्तों की प्रार्थना पर बाबा ज्योतिर्लिंग के रूप में यहां विराजमान हुए। इसके बाद रानाजीराव शिंदे ने 1736 में मंदिर का निर्माण करवाया। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग के रूप में शिव विराजित हैं। मंदिर के 3 भाग हैं, सबसे नीचे गर्भगृह में ज्योतिर्लिंग है। भगवान शिव के साथ यहां माता पार्वती, गणेश और कार्तिकेय विराजमान हैं। बीच वाले हिस्से में ओंकारेश्वर मंदिर और सबसे ऊपर नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। महाकाल इकलौता मंदिर है, जहां भस्मारती होती है।



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रुद्रसागर तालाब का उद्धार हुआ, 92 प्रतिमाएं लगाई गईं




  • नए प्रोजेक्ट के तहत महाकाल परिसर 2 हेक्टेयर से बढ़कर 20 हेक्टेयर में फैल जाएगा। क्षेत्रफल के लिहाज से यह काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर (5 हेक्टेयर) से 4 गुना बड़ा रहेगा। काशी विश्वनाथ थाम 800 करोड़ की लागत से 33 महीने में तैयार हुआ था। मोदी ने 13 दिसंबर 2021 को इसे देश को समर्पित किया था।


  • मुख्य द्वार से लेकर मंदिर के गेट तक 92 प्रतिमाएं लगाई गई हैं। सभी में QR कोड है। इस पर स्कैन करते ही प्रतिमा का पूरा डिटेल मिल जाएगा।

  • महाकाल पथ से सटा हुआ रुद्रसागर तालाब की तकदीर भी बदल गई है। 8 महीने पहले तक यहां इतनी जलकुंभी थी कि पानी ढूंढना मुश्किल था। तालाब को साफ-सुथरा बनाने के लिए 40 लोगों ने डेढ़ महीने जलकुंभी हटाने के लिए दिन-रात एक कर दिया। 2016 के सिंहस्थ के बाद पहली बार इस तालाब पर फोकस किया गया।  सालभर महीने पानी रहे, इसके लिए शिप्रा नदी से लाइन जोड़ी गई है। आसपास स्ट्रक्चर के साथ फव्वारों को भी लगाया जा रहा है, ताकि पानी सर्कुलेट होता रहे।



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