देव श्रीमाली, Gwalior. चंबल अंचल में लोगों से हथियारों से प्रेम जग जाहिर है। पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव के मद्देनजर जिला मजिस्ट्रेट ने सभी लाइसेंसी हथियार जमा करने के आदेश दिए, लेकिन 8 दिन में महज 20 फीसदी हथियार थाने पहुंचे। जैसे ही ये खबर सोशल मीडिया पर वायरल हुई कि कलेक्टर शस्त्र लाइसेंस (Weapon License) रद्द कर रहे हैं तो हथियार जमा करने वालों की इतनी भीड़ उमड़ी कि थाने में बंदूकों का ढेर लग गया। हालत का पता चलने पर कलेक्टर ने तत्काल शस्त्र जमा करने की तारीख बढ़ाने का आदेश निकाला।
हथियार जमा करवाने लोग उमड़े
ग्वालियर शहर में हथियार लाइसेंस के निलंबन संबंधी आदेश वायरल होने के बाद 9 जून की दोपहर से शहर के थानों में हथियार जमा करने वालों की कतार लग गईं। दिन में लगभग 6 हजार हथियार थानों में जमा हो गए। इस तरह जमा हथियारों की संख्या 17 हजार से बढ़कर 23 हजार तक पहुंच गई। जिले में लाइसेंसी हथियारों की संख्या 32 हजार से ज्यादा हैं। 6 जून को 50 फीसदी हथियार ही थानों में जमा हुए थे।
कलेक्टर की चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल
7 जून को दोपहर में कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह द्वारा एसएसपी अमित सांघी से थानों में हथियार जमा ना करने वाले लाइसेंसधारकों की सूची मांगी थी, ताकि उनके लाइसेंस रद्द किए जा सकें। इस पत्र की प्रति सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। इसके बाद शहर के सभी थानों में हथियार जमा करने वाले लोगों की लाइनें लग गईं। मुरार और बहोड़ापुर जैसे थानों में तो बंदूकें रखने के लिए जगह ही नही बची। हालांकि कलेक्टर ने एसपी के प्रस्ताव पर शहरी क्षेत्र के लाइसेंसी हथियार पुलिस थानों में जमा करने के लिए दो दिन की मोहलत और दे दी है। अब हथियार 10 जून तक जमा किए जा सकेंगे।
ग्रामीण क्षेत्र के हथियार भी 7 जून तक जमा होने थे, पर इनकी तारीख कलेक्टर ने आगे नहीं बढ़ाई। ग्रामीण क्षेत्र के लाइसेंसियों की सुविधा के लिए कलेक्टर 3 बार तारीख बढ़ा चुके हैं। कलेक्टर ने एसपी से ग्रामीण क्षेत्र के ऐसे लाइसेंसियों की सूची मांगी है, जिन्होंने हथियार जमा नहीं कराए, जिन्हें निरस्त किया जाएगा। वहीं जिले के 270 लोगों ने हथियार घर पर रखने की मंजूरी कलेक्टर से मांगी है। इन्होंने आवेदनों में काम, धंधा, जान को खतरा जैसे कई कारण बताए हैं। कलेक्टर ने इन सभी आवेदनों को एसपी के पास रिपोर्ट के लिए भेजा है।