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शिवराज सिंह राजपूत, SEHORE. सावन का महीना (Sawan month) सनातन धर्म (Sanatan Dharma) को मानने वालों के लिए सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। वेद और पुराणों में सावन के महीने का खास महत्व है। कहा जाता है कि इस महीने सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ (Lord Bholenath) की भक्ति करने वाले भक्तों को निश्चित रूप से शुभ फल मिलते हैं। कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा (Pandit Pradeep Mishra) बताते हैं कि इस महीने में भगवान शिव की सच्चे मन से की गई पूजा-अर्चना व्यर्थ नहीं जाती है। इतना ही नहीं भगवान शिव भक्तों से खुश होकर उनकी सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण करते हैं। पंडित प्रदीप मिश्रा ने इस पवित्र माह के लिए कुछ खास उपाय बताए हैं। इन्हें अपनाने से फल की प्राप्ति बहुत जल्दी होती है। आइए आपको बताते हैं सावन के महीने में कैसे शिवलिंग का निर्माण करें, जिससे आपकी किस्मत चमक उठे।
सावन माह में शिवलिंग निर्माण का शुभ मुहूर्त
पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि 30 जुलाई को सावन माह की शिवरात्रि (Shivratri) है। इस दिन का वेद-पुराणों में विशेष महत्व है। इस दिन शिव को प्रसंन करना बहुत आसान हो जाता है। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम सात बजे से आठ बजे के बीच का है। शुभ मुहूर्त में शिवलिंग का निर्माण करके जलाभिषेक (Jalabhishek) करें। पार्थिव शिवलिंग की पूजा नगर के ब्राह्मणों और अपने परिचितों के साथ करें।
किस कुल का व्यक्ति किस रंग की मिट्टी से शिवलिंग बनाए
कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने भक्तों को शिवलिंग बनाने की विधि बताई है। उन्होंने शिवलिंग पूजा का शत-प्रतिशत लाभ उठाने के लिए तरीके बताए। उन्होंने कहा कि आप जिस कुल में जन्मे हैं, उसी के हिसाब से शिवलिंग के लिए मिट्टी के रंग का चयन करें। ब्राह्मण श्वेत रंग की मिट्टी से शिवलिंग बनाएं। वैश्य पीली मिट्टी से शिवलिंग बनाएं। क्षत्रिय लाल मिट्टी से शिवलिंग का निर्माण करें। शूद्र काली मिट्टी से पार्थिव शिंवलिंग बनाएं। यदि कुल-वर्ण के हिसाब से उचित रंग की मिट्टी की व्यवस्था नहीं हो पाए तो जिस भी रंग की मिट्टी मिले, उससे शिवलिंग का निर्माण करें।
शिवरात्रि को शिवलिंग निर्माण के फायदे
यदि आप शिवलिंग का निर्माण करते हैं तो घर में सुख शांति के साथ वैभव बना रहेगा। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि इस दिन माता पार्वती और मां गंगा दोनों ही भगवान शिव के चरणों को छूती हैं। इसलिए सावन की शिवरात्रि का विशेष महत्व है। साथ ही सामूहिक रूप से पूजा करने से तत्काल फल मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मध्य रात्रि को भगवान शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे। माना जाता है कि इसी समय ब्रह्मा और विष्णु ने पहली बार शिवलिंग का पूजन किया था। तभी से हर साल एक महाशिवरात्रि और 11 शिवरात्रि पड़ती हैं।
पूजा को सफल बनाने के लिए इन मंत्रों का जाप करें-
- ॐ नमः शिवाय