पन्ना. जिएं तो अपने बगीचे में गुलमोहर के तले....मरें तो गैर की गलियों में गुलमोहर के लिए। दुष्यंत कुमार की ये पक्तियां पन्ना (Panna school teacher) के एक स्कूल टीचर विजय कुमार चंसोरिया की जिंदगी पर फिट बैठती है। विजय कुमार ने 39 साल तक शिक्षक के पद पर नौकरी की। आज के समय में जब लोग संपत्ति जोड़ने के लिए किसी भी हद तक जा रहे हैं। ऐसे समय में सहायक शिक्षक विजय कुमार ने अपने रिटायरमेंट पर मिलने वाली 40 लाख रुपए की राशि गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए दान कर दी।
विजय कुमार (vijay kumar) जिले के संकुल केंद्र रक्सेहा के प्राइमरी स्कूल खदिंया में पदस्थ थे। यहां वे सहायक शिक्षक के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे थे। 39 साल तक उन्होंने रक्सेहा स्कूल में बच्चों को शिक्षा दी। तीन दिन पहले ही वह रिटायर हुए हैं। उन्हें रिटायरमेंट पर पीएफ और ग्रेज्युटी के तौर पर 40 लाख रुपए की राशि मिली है। एक तरीके से यह राशि उनकी जिंदगी की पूरी कमाई थी। लेकिन उन्होंने इसे बच्चों की शिक्षा के लिए दान (panna teacher donated 40 lakhs for school) करने का फैसला लिया।
बचपन गरीबी में गुजरा: विजय कुमार का बचपन गरीबी में गुजरा। उन्होंने दूध बेचकर और रिक्शा चलाकर अपनी पढ़ाई पूरी की। 1983 में वे टीचर बने। पहली पोस्टिंग रक्सेहा के स्कूल में हुई। वह हमेशा ही बच्चों को उपहार में कपड़े देते रहे। उपहार पाकर बच्चों के चेहरे की खुशी से उन्हें प्रेरणा मिलती थी। उनका कहना है कि, इन बच्चों की खुशी में ईश्वर दिखते हैं।
परिवार से इच्छा जाहिर की: शिक्षक विजय कुमार चंसोरिया ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमारे बच्चे सेटल हो गए हैं। बच्ची की भी शादी हो गई है। इसके बाद हमने बच्चों और अपनी पत्नी से राय ली। मैंने उनसे कहा कि हमें जो राशि रिटायरमेंट में मिलेगी, उसे हम गरीब बच्चों में दान करना चाहते हैं। शिक्षक की पत्नी हेमलता चंसोरिया ने बताया कि हमारे दो बेटे हैं। दोनों नौकरी करते हैं। वह अच्छे से सेटल हैं। ऐसे में हमारे पति ने रिटायरमेंट की राशि दान करने का फैसला लिया। बच्चों ने भी पिता की बात पर हामी भर दी और कहा कि आप दान कर सकते हैं। इसके बाद उन्होंने यह राशि दान करने का फैसला किया है।