PANNA: टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार रखने में पन्ना निभाएगा अहम भूमिका, PTR में ब्रीडिंग क्षमता वाली 16 बाघिनें बढ़ा रहीं कुनबा

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Arun Singh
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PANNA: टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार रखने में पन्ना निभाएगा अहम भूमिका, PTR में ब्रीडिंग क्षमता वाली 16 बाघिनें बढ़ा रहीं कुनबा

PANNA. टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। मौजूदा समय यहां पर ब्रीडिंग क्षमता वाली 16 बाघिनें हैं जो शावकों को जन्म दे रही हैं। साल के अंत तक ब्रीडिंग क्षमता वाली बाघिनों की संख्या बढ़कर 23 होने की उम्मीद है। पन्ना टाइगर रिज़र्व में मौजूदा समय वयस्क व अर्धवयस्क बाघों की कुल संख्या 60 के लगभग है, जबकि शावकों की संख्या 12-14 है। यह वन क्षेत्र पन्ना, छतरपुर व दमोह जिले के 1598 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसका कोर क्षेत्र 576 वर्ग किलोमीटर व बफर क्षेत्र 1022 वर्ग किमी है। पन्ना टाइगर रिजर्व (panna tiger reserve)  के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने "द सूत्र" से चर्चा करते हुए बताया कि टाइगर रिज़र्व में बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ने के कारण कई बाघ अपने लिए इलाके की तलाश में कोर क्षेत्र से बाहर निकल रहे हैं।





13 साल में बनी अलग पहचान





गौरतलब है कि बीते 13 वर्षों के दौरान पन्ना टाइगर रिजर्व ने देश और दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। साल 2009 में यह वन क्षेत्र बाघ विहीन हो गया था, फलस्वरूप यहां पर बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से आबाद करने के लिए बाघ पुनर्स्थापना योजना शुरू की गई। बेहतर प्रबंधन और संरक्षण से योजना को चमत्कारिक सफलता मिली और यह उजड़ा वन क्षेत्र बाघों से पुन:आबाद हो गया। इस तरह से पन्ना टाइगर रिजर्व दुनिया के लिए एक उदाहरण बन चुका है, जिसने शून्य से यह गौरवशाली मुकाम हासिल किया है।





सात बाघिनों ने जगाई उम्मीद





पन्ना टाइगर रिजर्व में प्रजनन क्षमता वाली बाघिनों का जिक्र करते हुए क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि बाघिन टी-6, पी-222, पी-234, पी-433, पी-141, पी-142, पी-151, पी-643, पी 234-22, पी 234-23, पी 141-12, पी-641, पी-642, पी 433-22, पी 213-62 तथा पी 234-21 हैं, जिन्होंने जून 2022 तक शावकों को जन्म दिया है। उन्होंने बताया कि वर्ष के अंत तक इस लिस्ट में 7 नई बाघिनों के शामिल हो जाने की सम्भावना है। इस तरह से ब्रीडिंग क्षमता वाली बाघिनों की संख्या 16 से बढ़कर 23 हो जाएगी। वर्ष के अंत तक जिन 7 बाघिनों से उम्मीद है कि वे बाघों की वंश वृद्धि में योगदान देना शुरू करेंगी, उनमें बाघिन पी-152, पी-652, पी-653, पी-433, पी 433-21, पी 433-23 तथा पी 222-32 शामिल हैं।





2018 में मध्य प्रदेश में थे ज्यादा बाघ





2018 की बाघ गणना रिपोर्ट के मुताबिक, देश में बाघों की सबसे अधिक संख्या मध्यप्रदेश में 526, कर्नाटक में 524 तथा उत्तराखंड में 442 पाई गई थी। इस तरह से मध्य प्रदेश महज दो के अंतर से टाइगर स्टेट का दर्जा हासिल करने में कामयाब हुआ था। गौरतलब है कि वर्ष 2010 में आई बाघों की गणना रिपोर्ट में कर्नाटक नम्बर वन में पहुंच गया था परिणाम स्वरूप मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट का दर्जा छिन गया था। उस समय मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या घटकर 257 में सिमट गई थी और कर्नाटक 300 बाघों के साथ टाइगर स्टेट का तमगा हासिल करने में कामयाब हुआ था। वर्ष 2014 में कर्नाटक 406 बाघों के साथ फिर प्रतिष्ठा को बरकरार रखने में कामयाब रहा। लेकिन 2018 की बाघ गणना रिपोर्ट में मध्यप्रदेश ने 526 बाघों के साथ अपने खोये हुए गौरव को पुनः हासिल कर लिया, जिसके बरकरार रहने की पूरी उम्मीद है।



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