ग्वालियर. भारी बारिश के बाद अचानक आई बाढ़ ने ग्वालियर-चंबल संभाग में भारी तबाही मचाई है। हालात यह हैं कि सैकड़ों लोगों के घर ढह जाने से वह बेघर होकर मुसीबतें झेल रहे हैं। किसी के तन पर कपड़ा नहीं है तो किसी को रहने के लिए घर भी नहीं बचा। वहीं किसी के पास खाने को राशन भी नहीं बचा है। बाढ़ का बहाव इतना तेज था कि पक्के मकान भी जमींदोज हो गए हैं। लोगों के चेहरों पर सिर्फ उदासी और आंसू हैं।
जिंदगी में कभी नहीं भूल पाएंगे
डबरा तहसील का चांदपुर गांव पूरी तरह से तबाह हो गया है। बाढ़ का पानी उतरने के बाद गांव की मनीषा बघेल अपने दो भाइयों के साथ गांव लौटी। घर का एक कमरा छोड़कर सबकुछ मलबा में बदल गया है। 40 क्विंटल गेहूं खराब हो गया है। मनीषा का कहना है कि तबाही का जो मंजर उन्होंने देखा है वह उसे जिंदगी में कभी नहीं भूल पाएंगे। वहीं डबरा-भितरवार के 46 गांव के करीब 20 हजार से ज्यादा लोग बाढ़ की चपेट में आए। अकेले डबरा के चांदपुर गांव में 580 मकान पानी में डूब गए थे। इनमें से 260 कच्चे और पक्के मकान मलबा में बदल गए हैं। तबाही के 3 दिन बाद बाढ़ का पानी उतरने पर धीरे-धीरे गांव के लोग वापस लौट रहे हैं। उजड़ी गृहस्थी देखकर उनकी आंखे भर आई हैं। किसी का घर तबाह हो चुका है तो किसी का घर किसी लायक नहीं बचा।
करीब 25 हजार हेक्टेयर की फसलें बर्बाद
ग्वालियर-चंबल संभाग में बाढ़ की वजह से कृषि क्षेत्रों को भी बड़ा नुकसान पहुंचा है। प्रारंभिक आकलन के मुताबिक 23 हजार से ज्यादा मकान टूटे हैं। करीब 25 हजार हेक्टेयर क्षेत्र की फसलें बर्बाद हो गई हैं। इसकी भरपाई के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि हमने फैसला लिया है कि जिनके घर गिर गए हैं, टूट गए हैं, लगभग एक लाख 20 हजार रुपए की लागत से वे फिर से बनवाएंगे। घर के अंदर रखे सामान अनाज, कपड़े, बर्तन-भाड़े का भी सर्वे कर राहत राशि दी जाएगी। जिन किसान भाइयों की फसलों का नुकसान हुआ है, उनका सर्वे कर राहत राशि दी जाएगी। सरकार का कहना है कि पशु की हानि पर भी राहत राशि देंगे। गाय, बैल, भैंस के 30 हजार, बकरा-बकरी के 3 हजार, मुर्गा-मुर्गी के 60 रु, मजदूर का मकान बनवाएंगे और घर के नुकसान का पैसा देंगे। एकमुश्त 50 किलो अनाज अभी देंगे व जिनका कार्ड नहीं है, उन्हें भी राशन मिलेगा।